मैडम ने बोला मुझे कार सिखा दो..

नमस्ते, पहले तो आपको बधाई हो, आपकी साईट पर madam ne bola mujhe car sikha do Hindi Sexy Kahaniya बहुत ही अच्छी और कामुक है| आशा है ऐसा ही लेवल बना रहे| अब में अपनी कहानी पर आता हूँ| यह उस समय की घटना है जब मैं १२वीं क्लास में था। इस Hindi Sexy Kahani में हीरोइन मेरी इंग्लिश की मैडम है| मेरी इंग्लिश काफ़ी कमज़ोर थी। मैंने ईंग्लिश पर ज्यादा ध्यान देने की सोची। मैं अपनी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले अपनी ईंग्लिश मैडम से मिला।

उनका नाम सुजाता था। वोह एक पंजाबी औरत थीं। उनकी उम्र ३२ – ३३ साल के करीब होगी। पंजाबी औरतों की तरह वोह भी गोरे बदन की काफी भरी-भरी औरत थीं। ऊँचाई लगभग ५’२” होगी पर उनकी ऊँची एड़ी के सैंडलों के कारण हमेशा ५’६ – ५’७ की लगती थीं। पतली कमर, ३६ के साईज़ की मस्त चूचीयाँ और ३८ की मस्त डोलती भारी गाँड।

Aur bhi mazedar Kahani Padhne ke liye hamari website par click kre – Antarvasna

“गुड आफ़टरनून मैडम!”

“गुड आफ़टरनून रोहित!”

“मैडम, आई नीड सम गाईडेंस!”

“कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ।”

“मैडम आपको तो पता है कि मेरे ईंग्लिश में अच्छे मार्क्स नहीं आये।”

“हाँ मुझे पता है। तभी तो मैं कहती हूँ कि तुम्हें कड़ी मेहनत कारने की दरकार है।”

“हाँ मैडम। मैं नहीं चाहता कि बोर्ड परिक्षा में भी मेरे ऐसे ही मार्क्स आयें।”

”तो आखिर तुम अंत में सही लाइन पर आ ही गये।”

“हाँ मैडम। मुझे पता है कि मुझे कड़ी मेहनत की दरकार है और मैं कुछ भी करने को तैयार भी हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ… और मेरे बेसिक्स भी ठीक नहीं हैं। तो मैडम आप मुझे गाईड करें कि मैं कहाँ से और कैसे शुरू करूँ।”

“ठीक है रोहित। मैं तुम्हारी टीचर हूँ और यह मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हें सही दिशा में गाईड करूँ। तुम एक काम करो। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और एक हफ्ते बाद मुझे रिंग करो।”

“ओके… थैंक्स मैडम” फिर मैंने मैडम का फोन नम्बर और ऐड्रस ले लिया। एक हफ़्ते बाद मैंने मैडम को फोन किया।

“हैलो, क्या सुजाता मैडम से बात कर सकता हूँ?”

“बोल रही हूँ”

“मैडम, मैं रोहित बोल रहा हूँ… मैडम आपने कहा था कि एक हफ़्ते बाद फोन कर लेना”

“हाँ याद है। फोन पर तो तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर पाना मुश्किल है…. तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ। तभी तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर लेंगे… ठीक है?”

“ओके मैडम…बाय।”

“बाय।”

फिर अगले दिन मैं शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मैंने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।

“हैलो मैडम!” madam ne bola mujhe car sikha do

“हैलो रोहित… आओ… अन्दर आओ… बैठो। एड्रस ढूँढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?”

“थोड़ी बहुत परेशानी तो हुई क्योंकि आपकी कॉलोनी मेरे लिये नई है।”

“चलो… धीरे-धीरे इस कॉलोनी में पुराने हो जाओगे। खैर… क्या लोगे, टी कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?”

“नथिंग मैडम। कुछ नहीं।”

“शरमाओ मत.. तुम्हें कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा।”

“ओके, कॉफी!”

“बस अभी लाती हूँ!”

फिर मैडम कॉफी ले आयीं

“यह लो रोहित, कॉफी लो!”

“थैंक्स!”

“बिस्कुट भी तो लो…”

“नहीं मैडम, इसकी क्या ज़रूरत है…!”

“रोहित! तुम बहुत शाई लड़के हो… खैर हमें क्या बात करनी है? ”

”मैडम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश में कैसे मार्क्स आते हैं।”

“हुम्म.. मेरे खयाल से तुम्हारे ११वीं क्लास में ५० से ज्यादा मार्क्स नहीं आये।”

“येस मैडम…. और हाइएस्ट मार्क्स ९५ तक आते हैं… मैडम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी ९०+ आयें।”

“बिल्कुल आ सकते हैं। लेकिन उसके लिये तुम्हें काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा… क्या तुम करोगे?”

“येस मैडम, मैं हार्डवर्क करूँगा… पर मेरे बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हैं और मेरी ग्रामर बहुत वीक है।”

“रोहित तुम्हें सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉँग बनाने चाहिए। जिसके बेसिक्स स्ट्रॉँग नहीं उसे कुछ भी नहीं आता।”

“मैडम तो बेसिक्स स्ट्राँग कैसे होंगे।”

“उम्म… मैं तुम्हें बेसिक्स स्ट्राँग करने में हेल्प करूँगी।”

“येस मैडम… आप मुझे कुछ दिनों के लिये कोचिंग दे दिजिए।”

“तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।” madam ne bola mujhe car sikha do

“ओके मैडम।”

“कॉफी तो पियो… ठंडी हो रही है।”

“येस मैडम। मैडम आपकी फैमिली में कौन-कौन है?”

“मैं, मेरे हसबैंड और एक बेटी और एक बेटा।”

“मैडम… कहाँ हैं सब… कोई दिख नहीं रहा।”

“बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं। एकचुअली मैं भी वहाँ से कल ही आयी हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं… और हसबैंड २ हफ़्ते के लिये आफिस के काम से आउट आफ स्टेशन गये हैं।”

“बच्चे कब तक आयेंगे?”

“वो भी दो हफ़्ते बाद आयेंगे… यही तो दिक्कत है… अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती।”

“क्यों मैडम?”

“मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है… रिक्शॉ से जाने में बहुत टाइम लगता है… और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।”

“मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है…। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।”

“नहीं ऐसी बात नहीं है… दैट्स नाईस आफ़ यू…. रोहित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”

“येस मैडम।”

“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो… मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं… और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है… हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”

“येस मैडम मॉयप्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”

“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”

“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”

“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”

“ओके मैडम… पर किस टाईम?”

“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही… तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी… पर रोहित… कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या… एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी… इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”

“येस मैडम… शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”

“ठीक है… तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।” madam ne bola mujhe car sikha do

“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”

“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है… मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है… बॉय द वे… तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”

“बिल्कुल नहीं… तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”

“ओके रोहित…बाय”
मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छेसे तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।

“मैडम… पहले तो मैं आपको गेयर डालना सिखाता हूँ।”

मैं कुछ देर तक उनको गेयर, एक्सलरेटर, क्लच, ब्रेक वगैरह के बारे में बताता रहा।

“चलिए मैडम… अब आप चलाइए।”

“मुझे डर लग रहा है!”

“कैसा डर?”

“कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो?”

“उसके लिये मैं साथ हूँ ना”

फिर मैडम ड्राइवर सीट पर बैठ गयीं और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया। फिर मैडम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैडम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी। मैडम घबरा गयीं।

मैंने कहा, “मैडम एक्सलरेटर से पैर हटाइये!”

मैडम ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी।

“मैंने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी!”

“कोई बात नहीं मैडम… पहली बार ऐसा होता है।”

“नहीं… मैं कार सीख ही नहीं सकती… मुझ से नहीं चलेगी” madam ne bola mujhe car sikha do

“चलेगी… चलिए अब स्टार्ट कीजिये और फिर ट्राई करिये । पर इस बार एक्सलरेटर आराम से छोड़ियेगा।”

“नहीं मुझसे नहीं होगा!”

“मैडम… शुरू-शुरू में गलतियाँ होती हैं… कोई बात नहीं!”

“नहीं मुझे डर लगता है!”

“अच्छा… एक काम करते हैं… मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ… फिर तो आपको डर नहीं लगेगा!”

“लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?”

“आप मेरी गोद में बैठ जाना… मैं स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गेयर कंट्रोल करना… मेरे डैडी ने भी मुझे ऐसे ही ड्राइविंग सिखायी थी।”

“लेकिन कोई हमें देखेगा तो कैसा लगेगा?”

“मैडम इस वक्त यहाँ कोई नहीं आयेगा… और वैसे भी आपकी कार में यह शीशों पर फ़िल्म लगी है जिससे अंदर का कुछ भी बाहर से दिखाई नहीं देता। सो डोंट वरी, नो वन कैन सी व्हॉट इज़ गोइंग आन इनसाइड।”

“चलो ठीक है!”

फिर मैं ड्राइवर सीट पर बैठा और मैडम मेरी गोद में। जैसे ही मैडम मेरी गोद में बैठी, मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। हम दोनों का यह पहला स्पर्श था। मैंने कार स्टार्ट करी।

“रैडी मैडम?”

“हाँ… मुझे सिर्फ़ गेयर ही सम्भालने हैं ना?”

“येस मैडम। आज के दिन आप सिर्फ़ गेयर ही सीखो” madam ne bola mujhe car sikha do

कार चलनी शुरू हुई। क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और मैडम मेरी गोद में, इसलिए मेरी बाहें मैडम की चूचियों की साईड से छू रही थी और मैडम की चूचियाँ थी भी काफ़ी बड़ी। वोह थोड़ा अनकम्फर्टेबल फ़ील कर रही थीं और इसलिए वो मेरी जाँघों पे न बैठ के मेरे घुटनों के पास बैठी थी। जैसे ही मैं कार को टर्न करता तो मैडम की पूरी चूचियाँ मेरी बाहों को छूती थी। मैडम गेयर सही बदल रही थीं।

“क्यों रोहित… ठीक कर रही हूँ ना?”

“परफैक्ट मैडम! अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजिए!”

“ओके!”

क्योंकि मैडम मेरी गोद में काफ़ी आगे होकर बैठी थीं इसलिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हें प्रॉब्लम हो रही थी।

“मैडम… आप थोड़ी पीछे खिसक जाईये… तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पायेगा।”

अब मैडम मेरी जाँघों पे बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिये।

“मैडम! थोड़ा और पीछे हो जाईये!”

“और कितना पीछे होना पड़ेगा?”

“जितना हो सकती हों”

“ठीक है।” अब मैडम पूरी तरह से मेरे लौड़े पर बैठी थी। मैंनेअपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये और स्टियरिंग कंट्रोल करना सिखाने लगा। जब भी कार टर्न होती तो मैडम के चुत्तड़ मेरे लौड़े में धँस जाते। मैडम की चूचियाँ इतनी बड़ी थी कि वो मेरे हाथों को छू रही थी। मैं जान बूझ कर उनकी चूचियों को टच करता रहा।

“मैडम अब एक्सलरेटर भी आप संभालिये!”

“कहीं कार फिर से आउट आफ़ कंट्रोल ना हो जाये…!”

“मैडम अब तो मैं बैठा हूँ ना”

मैडम ने फिरसे पूरा एक्सलरेटर दबा दिया तो कार ने एक दम स्पीड पकड़ ली। इस पर मैंने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार एक दम से रुक गयी। मैडम को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी। इस पर मैंने मैडम की चूचियों को अपने हाथों में पकड़ कर मैडम को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया। कार रुक गयी थी और मैडम की चूचियाँ मेरे हाथों में थी।

मैडम बोली, “मैंने कहा था ना कि मैं फिर कुछ गलती करूँगी” madam ne bola mujhe car sikha do

“कोई बात नहीं। कम से कम गेयर तो बदलना सीख लिया।” मैडम की चूचियाँ अभी भी मेरे हाथ में थीं।

“शायद मुझे स्टियरिंग संभालना कभी नहीं आयेगा”

“एक बार और ट्राई कर लेते हैं!”

“ठीक है!”

मुझे एहसास दिलाने के लिये कि मेरे हाथ उनकी चूचियों पर हैं, मैडम ने चूचियों को हल्का सा झटका दिया तो मैंने अपने हाथ वहाँ से हटा लिये। मैंने कार फिर से स्टार्ट करी। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये और मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख दिये।

“मैडम एक्सलरेटर मैं ही संभालुँगा… आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालिये!”

“यही मैं कहने वाली थी!”

कुछ देर तक मैडम को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैं बोला, “मैडम अब मैं स्टियरिंग से हाथ उठा रहा हूँ… आप अकेले ही संभालिये।”

“ओके…अब मुझे थोड़ा कॉनफिडैंस आ रहा है… लेकिन तुम अपने हाथ रैडी रखना कहीं कार फिर से आउट आफ कंट्रोल हो जाये।”

“मैडम मेरे हाथ हमेशा रैडी रहते हैं।”

“रोहित मुझे कस के पकड़ना… कहीं ब्रेक मारने पर मैं स्टियरिंग में ना घुस जाऊँ!”

“येस मैडम मैं कस के पकड़ता हूँ।”

मैंने अपने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम की चूचियों पर रख दिये। मैं तो मैडम से डाँट की उम्मीद कर रहा था लेकिन मैडम ने कुछ ना कहा। मैंने तब मैडम की चूचियों को दबा दिया तो उनके के मुँह से आह निकल गयी।

“रोहित… मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही काफ़ी है। चलो अब घर चलते हैं!”

“ओके मैडम।” मैडम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैडम के घर चल दिये।

“ओके मैडम… मैं चलता हूँ!” madam ne bola mujhe car sikha do

“खाना खाके जाना!”

“नहीं मैडम… मैंने मम्मी को कहा था कि खाने के टाईम तक घर पर आ जाऊँगा”

“ठीक है… तो कल १० बजे आओगे ना?”

“येस मैडम… आफ़ कोर्स!”

मैं अगले दिन भी पूरे १० बजे पहुँच गया। आज भी मैडम काफी खूबसूरत लग रही थीं। उन्होंने ने आज पीकॉक ब्लू कलर की सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी और उनके सफ़ेद कलर के हाई हील सैंडल काफ़ी मैच कर रहे थे। मैडम ने आज बहुत ही अच्छा परफ़्यूम लगा रखा था। पढ़ने के बाद हम फिर से कार सीखने उसी ग्राऊँड में आ गये।

“तो रोहित आज कहाँ से शुरू करेंगे?”

“मैडम मेरे ख्याल से आप पहले स्टियरिंग में परफ़ेक्ट हो जाइये। उसके बाद और कुछ करेंगे!”

“ठीक है। कल जैसे ही बैठना है?”

“येस मैडम”।

मैडम आज सीधे आकर मेरे लौड़े पर बैठ गयी। आज मैडम की सलवार थोड़ी टाईटथी और मैडम के चूत्तड़ों से चिपकी हुई थी। हमने कार चलानी शुरू की। मैडम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिये। मैंने अपने हाथ मैडम के हाथों पर रख लिये। आज मैडम के चूत्तड़ मेरे लौड़े पर बार-बार हिल रहे थे। कुछ देर बाद मैंने कहा, “मैडम… अब मैं अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ!”

“हाँ… अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो… पर मुझे कस के पकड़ के रखना… कहीं कल की तरह स्टियरिंग मे घुस ना जाऊँ?”

“मैडम… आप बिल्कुल फ़िक्र ना करें… मैं हूँ ना!” मैंने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैडम को पकड़ने के बहाने उनकी चूचियों पर रख दिये। और वाह… मज़ा आ गया। मैडम ने आज ब्रा नहीं पहनी थी। इसलिए आज मैडम की चूचियाँ बड़ी सॉफ़्ट और माँसल लग रही थी। मैंने मैडम की चूचियों को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया। मैडम की सिल्क की कमीज़ में उनकी चूचियों को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था। मैडम ने भी तब अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और अब उनकी बुर मेरे लौड़े पर थी। उनकी इस हरकत से मैंने साहस करके अपना एक हाथ मैडम की कमीज़ में डाला और मैडम की एक चूची को दबाने लगा। और आश्चर्य कि उन्होंने कुछ नहीं कहा।

“मैडम… मज़ा आ रहा है?” madam ne bola mujhe car sikha do

“आहहह…ऊँ… किसमे?”

“कार चलाने में…!”

“हाँ… कार चलाने में भी मज़ा आ रहा है!”

“मैडम… अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया!”

“हुम्म!!”

अब मैंने अपना दूसरा हाथ भी मैडम की कमीज़ में डाल दिया और दोनों चूचियों को दबाने लगा।

“आआहह…हह… रोहित तुम… आहह… यह क्या कर रहे हो?”

“मैडम… आपको कार सीखा रहा हूँ!”

“तुम्हें मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये… और वैसे भी मैं तो शादी-शुदा औरत हूँ, और मेरे २ बच्चे भी हैं… मुझ में तुम्हें क्या अच्छा लगेगा?”

“मैडम आपकी एक-एक चीज़ अच्छी है” “रोहित मैं थोड़ा थक गयी हूँ। पहले तुम कार रोक लो… आगे जा कर थोड़ी झाड़ियाँहैं… कार वहाँ ले चलो…!”

मैंने कार झाड़ियों में ले जा कर रोक ली और हम कार से बाहर आ गये।

“बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं… हाँ तो रोहित इस शादी-शुदा और २ बच्चों की अम्मी मे तुमको क्या अच्छा लगता है?”

“मैडम… एक बात बोलूँ?”

“हाँ बोलो!”

“मैडम… आपका ड्रेसिंग सैंस बहुत अच्छा है और आपके खरबुजे बहुत अच्छे हैं”

“क्या?? खरबुजे? मैं क्या कोई पेड़-पौधा हूँ जो मुझ में खरबूजे हों?”

“मैडम यह वाले खरबुजे” मैंने मैडम की चूचियों को दबाते हुए कहा।

“आहह। उहहह।”

“मैडम आपके तरबूज भी बहुत अच्छे हैं”

“क्या… तरबूज? मुझ में तरबूज कहाँ हैं” वोह हँसते हुए बोलीं।

“मैडम… मेरा मतलब आपके चूत्तड़”और मैंने उनकी गाँड पर अपना हाथ रख दिया।

“झूठ!! मेरे चौड़े और मोटे चूत्तड़ क्या तुम्हें अच्छे लगते हैं?” यह कह कर मैडम मेरी तरफ़ पीछे मुड़ गयीं और अपनी सलवार नीचे कर दी। मैडम ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी। madam ne bola mujhe car sikha do

“देखो ना… कितने बड़े हैं मेरे चूत्तड़!”

मैं तो देखता ही रह गया। मैडम के चूत्तड़ मेरे मुँह के पास थे। मैं मैडम के चूत्तड़ों पर हाथ फेरने लगा।

“मैडम मुझे तो ऐसे ही चूत्तड़ अच्छे लगते हैं। गोरे-गोरे और बड़े-बड़े… मैडम… आपके चूत्तड़ों की महक बहुत अच्छी है।” यह कह कर मैं मैडम के चूत्तड़ों पर किस करने लगा। मैं मैडम के चूत्तड़ों के बीच की दरार में जीभ मारने लगा।

“ओह… ऊऊऊऊ…. रोहित यह क्या कर रहे हो?”

“मैडम… मुझे तरबूज बहुत अच्छे लगते हैं!”

“आहहह… और क्या अच्छा लगता है तुम्हें!”

“च्युईंग गम!!!”
“क्या… च्युईंग गम? वो कौन सा पार्ट है?”

जवाब में मैं मैडम की चूत दबाने लगा।

“ऊहह… आह… आह… रोहित… च्युईंग गम को दबाते नहीं हैं!!”

“मैडम… इस पोज़िशन से मैं च्युईंग गम को च्यू नहीं कर सकता!”

“रोहित… कार की पिछली सीट पे च्युईंग गम च्यू की जा सकती है!!!”

“यहाँ कार के बाहर क्यों नहीं मैडम?”

“क्योंकि कोई देख भी सकता है!”

फिर हम दोनों कार मे घुस गये और पिछली सीट पर आ गये। मैडम ने टाँगें खोल ली और आपनी चूत पे हाथ रख कर बोली, “रोहित… यह रही तुम्हारी च्युईंग गम!”

मैं मैडम की चूत चाटने लगा। मैडम सीट पे लेटी हुई थी। मेरी जीभ मैडम की चूत पे और मेरे हाथ उनकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं करीब १० मिनट तक मैडम की चूत को जीभ से चाटता रहा।

“रोहित… क्या तुम्हारी पेंसिल शार्पेंड है?”

“क्या मतलब?”

“बेवकूफ़… मेरे पास शार्पनर है और पेंसिल तुम्हारे पास है…!”

“येस मैडम… मेरी पेंसिल को शार्प कर दीजिए!”

“लेकिन पहले तुम अपनी पेंसिल दिखाओ तो!”

मैंने अपनी जींस उतार दी। मैंने अंडरवीयर नहीं पहना था। मैं अपना लौड़ा मैडम के मुँह के पास ले गया तो मैडम ने जल्दी से उसे अपने मुँह में ले लिया। कुछ देर तक मैडम मेरा लौड़ा चूसती रहीं। फिर बोलीं, “रोहित… तुम्हारी पेंसिल काफ़ी अच्छी क्वालिटी की है!”

“मैडम… क्या आपका शार्पनर भी अच्छी क्वालिटी का है?”

“यह तो पेंसिल शार्प होने पर ही पता चलेगा!” madam ne bola mujhe car sikha do

“तो मैडम करलूँ अपनी पेंसिल शार्प?”

“येस्स्स्स… रोहित… जस्ट डू इट… फ़क मी… येस फ़क मी हार्ड… चोदो मुझे… स्क्रू मी…!”

मैंने अपना लौड़ा मैडम की चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा।

“ओहह… रोहित… माय डार्लिंग… तुम्हारी पेंसिल मेरे शार्पनर के लिये बिल्कुल फिट है…. आआआआहहह…. वेरी गुड लगे रहो…. ऐसे ही धक्के मारते रहो… रोहित… मेरे खरबूजों को ना भूलो… इन्हें तुम्हारे हाथों की सख्त ज़रूरत है!”

“मैडम… आहह… आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है!”

“आआहहहह… रोहित… अपनी मैडम के खर्बूजों को तो खाओ!”

फिर मैं धक्के देने के साथ-साथ मैडम के निप्पलों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

“आआआआईईईईईई…. रोहित… और तेज… तेज… जोर-जोर से धक्के मारो… आज अच्छी तरह ले लो मेरी चूत… स्पीड बढ़ाओ!!!”

मैंने तेज-तेज धक्के मारने शुरू कर दिए। करीब १५ मिनट बाद मैडम बोलीं, “आआआआ… ओहह… रोहित…. तेज…. मैं आने वाली हूँ…” और हम दोनों एक साथ ही झड़े।

“आआआआआ…. आआहह… आई लव यू रोहित… मज़ा आ गया!”

“येस मैडम… आपका शार्पनर गज़ब का है!”

“तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की है।”

“मैडम, क्या मैं अपनी पेंसिल आपके शार्पनर से फिर एक बार शार्प का सकता हूँ?”

“श्योर… लेकिन बाकी का काम घर चल कर… और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे!”

तब हमने अपने कपड़े ठीक किये और अचानक मैडम ने कार का दरवाजा खोला और ड्राईविंग सीट पर बैठ गईं। उन्होंने बड़ी दक्षता से कार स्टार्ट की और देखते ही देखते कार हवा से बातें करने लगी। शहर की घुमावदार सड़कों से होती हुई कार कुछ ही समय में मैडम के घर के सामने थी। इस दौरान मेरे मुख से कोई बोल नहीं फूटे बल्कि मैं हक्का-बक्का सा मैडम को कार ड्राईव करते देखता रहा। madam ne bola mujhe car sikha do

“रोहित आओ… कुछ देर बैठते हैं… तुम काफ़ी थक भी गये हो। चाय नाशता कर के जाना।”

“पर मैडम आप तो कार चलाने में पूरी एक्सपर्ट हैं।”

“अरे अब अंदर भी तो आओ। या यहीं बाहर खड़े ही सब पूछते रहोगे?”

मैडम के एसा कहने पर हम दोनों घर में आये। मैडम किचन में गयीं और जल्दी ही दो प्याली चाय के बना लायीं। साथ में कुछ बिसकुट और स्नैक्स भी थे। मैडम ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, “हाँ तो तुमने कहा कि मैं एक्सपर्ट हूँ पर तुम्हें भी तो एक्सपर्ट करना था। जब तुम मुझसे ट्यूशन पड़ने आये तो मैंने देखा की तुम्हारी नज़र खरबूजों और तरबूजों पर ज्यादा है। जब तक तुम्हारी नज़र इन पर ज्यादा रहती तुम ईंग्लिश में एक्सपर्ट नहीं हो सकते थे। तो मैंने सोचा पहले मैं तुम्हें इनका स्वाद चखा दूँ।”

“Madam आप सच्ची गुरू हैं जो शिष्य का इतना खयाल रखती हैं।”

मैडम हँसती हुई उठीं और मुझे अपने पीछे-पीछे अपने बेडरूम में ले गयीं।

“हूँ तो तुम क्या कह रहे थे। तुम्हें तरबूजों का बहुत शौक है ना। अच्छा रोहित एक बात बता… तुम्हें मेरे तरबूज कैसे लगते हैं?”एसा कहते-कहते मैडम ने मेरी तरफ़ अपने भारी चुत्तड़ कर दिए और अपनी एक हथेली चुत्तड़ पर जमा कर थोड़ा सा झुकीं। मैडम की इस अदा ने मेरे तन-बदन में आग लगा दी।

“मैडम सही कहूँ तो आप जैसे तरबूज मैंने और किसी के नहीं देखे।”

“मेरे सामने ही मेरी गाँड की तारीफ कर रहे हो और मैडम भी बोल रहे हो… मेरा नाम सुजाता है!”

“वोह तो मैडम मैं जानता हूँ… पर मैं आपका नाम कैसे ले सकता हूँ!”

“मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल सकते हो। मेरी गाँड मारना चाहते हो पर नाम नहीं ले सकते। तुम्हारा यही भोलापन तो मुझे भा गया। तभी तो मैंने तुम्हें अपनी च्यूईंग-गम चखाई। अब हो सकता है तरबूज भी चखा दूँ। पर इसके लिये मैडम नहीं चलेगा!”

“अच्छा तो सुजाता जी… आप के तरबूजों को चखने के लिये तो मैं कुछ भी करने को या कहने को तैयार हूँ!”

“तो ठीक है तुम मुझे एक रंडी की तरह ट्रीट करो… और खयाल रखना जितना खुल कर तुम मेरे साथ पेश आओगे उतना ही खुल कर मैं तुम्हें इन तरबूजों का मजा चखाऊँगी!”

एसा कह कर सुजाता मैडम ने मुझे अपने हाथों से उसे नंगी करने को कहा। मुझे तो मन की मुराद मिल गयी। मैंने धीरे-धीरे उनकी कमीज़ और सलवार उतारी और अब वोह मेरे सामने सिर्फ़ सफ़ेद कलर के हाई हील सैंडल पहने बिल्कुल मादरजात नंगी खड़ी थी। फिर देखते ही देखते उन्होंने मुझे भी पूरा नंगा कर दिया।
फिर वोह डबल बेड पर कुत्तिया की तरह चोपाया बनी। उन्होंने अपना चेहरा एक तकिये में दबा लिया और अपनी विशाल गाँड हवा में ऊँची कर दी।

“रोहित लो अब मेरी गाँड अच्छी तरह से देखो, इसको सहलाओ, इसको प्यार करो!” madam ne bola mujhe car sikha do

“वाह सुजाता मैडम तुम्हें मान गया। तुम केवल ईंग्लिश की टीचर ही नहीं हो, बल्कि पूरी ईंग्लिश सैक्स की भी टीचर हो!” ऐसा कह कर मैं उनकी गाँड पर हाथ फेरने लगा। बीच-बीच में मैं उनकी गाँड के छेद को भी खोद रहा था।

“अरे भोसड़ीके गाँडू! केवल गाँड को देखता ही रहेगा या और कुछ भी करेगा? ठीक से देख यह तेरी अम्मी की गाँड नहीं है। घर मैं जब तेरी अम्मी गाँड मटकाती है तो ऐसी ही लगती है क्या?”

“अरी छिनाल सुजाता! मेरी मम्मी की क्या बात पूछती है… मैं मादरचोद नहीं हूँ… समझी??? पर लगता है तेरा पती एक भड़वा है… तभी तो तेरे जैसी छिनाल को घर में अकेली छोड़ कर पंद्रह – पंद्रह दिन के लिये बाहर चला जाता है। आज मैं तेरी इस मस्त गाँड को फाड़ के रख दूँगा!”

“हाय मेरे रोहित मेरे दिलबर! यही तो मैं तेरी ज़ुबान से सुनना चाहती हूँ। अब पहले मेरी गाँड को थोड़ी चिकनी तो कर ले!”

उनके ऐसा कहते ही मैंने उनकी गाँड के गोल छेद पर अपनी जीभ रख दी। कुछ ही देर में उनकी गाँड खुलने लगी और मैं उसकी गाँड अपनी जीभ से मारने लगा।

“ओहहह….. मरीईईईई….. हाय इसी तरह और पेल… अपनी पूरी जीभ अपनी टीचर की गाँड में घुसा दे… और ठेल…. पेल!!!”

कुछ देर मैं उनकी गाँड अपनी जीभ से चोदता रहा। फिर मैंने अपना लंड जो अब तक तन्ना कर लोहे की रॉड बन चुका था, उनके मुख के पास लाया और उनके मुख में पेलने लगा। सुजाता मैडम भी मेरे लंड को अपने मुख में पूरा का पूरा लेकर चूसने लगी। साथ में वोह मेरे लंड को थूक से भी तर कर रही थी। उन्हें पता था कि मैं अब उनकी गाँड मारने वाला हूँ इसलिए जितना हो सके उतना वो उसे चीकना बना रही थी जिससे उन्हें गाँड मरवाने में कम दर्द हो।

अब मैं उनके पीछे आ चुका था। उनकी गाँड अपनी पूर्ण छटा के साथ हवा में उठी मेरे लंड को आमंत्रण दे रही थी। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी गाँड पर टेका। फिर दोनों हाथों से मैं उनकी गाँड जितना चीर सकता था उतनी चीरी और कस कर एक करारा शॉट लगाया। मेरा आधा लंड एक ही बार में उनकी गाँड में ठँस गया था। madam ne bola mujhe car sikha do
इस हमले के लिये शायद वो तैयार नहीं थी।

“अरे हरामी यह क्या कर दिया… किसी की गाँड ऐसे मारी जाती है? कम से कम कुछ देर वहाँ लंड रगड़ता, बात करता, बताता कि गाँड मैं लंड डालने जा रहा हूँ… और तू साला ऐसा है कि एक ही बार में मूसल की तरह ठोक दिया। क्या तेरा बाप तेरी अम्मी की ऐसे ही मारता है? बाहर निकाल…! बहुत दर्द हो रहा है! मैं कितने चाव से तुझसे गाँड मरवाने वाली थी… तूने एक ही बार में बर्बाद कर दिया!”

“साली सुजाता! पहले तो बड़ी अकड़ रही थी। मैंने तो पहले ही कहा था आज मैं तेरी गाँड फाड़ के रहुँगा । अभी तो केवल आधा गया है। अब मैं पूरा डालने वाला हूँ!”ऐसा कह कर मैंने पहले से भी तगड़ा एक शॉट और मारा और इस बार मेरा लंड उनकी गाँड में जड़ तक समा गया।

“अरे मादरचोद, मुझ पर से नीचे उतर… ना तो तुझसे से कार सीखनी, ना तुझसे चुदवाना, ना तुझे ईंग्लिश पढ़ाना… अरे मर गयीईईईई….. साले तूने मेरी गाँड फा….आआआ….ड़ दी!”

इधर सुजाता मैडम बड़बड़ाए जा रही थी और मैं धीरे धीरे लंड हिलाता उनकी गाँड में लंड के लिये जगह बना रहा था। कुछ ही देर में मेर लंड आसानी से उनकी गाँड में अंदर बाहर होने लगा। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा और वो अपने चूत्तड़ हिलाने लग गयी थी।

“हाँ इसी तरह… अब मज़ा आ रहा है। मेरी बात का मेरे दिलबर बूरा मत मानना। मैं जानती थी कि तुझसे गाँड मराने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा तभी तो मैं तुझे घर लेके आयी। तेरी बातों से मुझे पता लग गया था कि तू गाँड का रसिया है। जब से तूने मेरे तरबूजों की तारीफ़ की तभी से मैं तुझसे गाँड मरवाने को तड़प उठी थी!”

“सुजाता रानी मेरी नज़र तो तेरी गाँड पर उस समय से है जब तू पहली बार क्लास लेने आयी थी। जब तू हाई हीलके सैंडल पहन कर अपने बड़े-बड़े तरबूज जैसे चूत्तड़ मटकाती क्लास और स्कूल में फिरती थी तौ मेरा लौड़ा तेरी गाँड में घुसने के के लिये तड़प जाता था… लेकिन इतनी जल्दी मेरा लंड तेरी गाँड में जड़ तक घुसा हुआ होगा इसकी उम्मीद नहीं थी… लेकिन जो हुआ अच्छा ही हुआ…लो अब मेरे लंड की ठाप सहो!” madam ne bola mujhe car sikha do

ऐसा कह कर मैं बेतहाशा उनकी गाँड मारने लगा। सुजाता मैडम भी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। करीब १० मिनट बाद मैंने ढेर सारा वीर्य उनकी गाँड में झाड़ दिया। जब मैंने लंड उनकी गाँड से निकाला तो उनकी गाँड से सफेद-सफेद मेरा वीर्यज्वाला मुखी से लवा की तरह बाहर निकलने लगा।

जब तक सुजाता मैडम के हसबैंड और बच्चे वापस नहीं आ गये, मैं रोज उसके घर जाता रहा। मैं उसके घर जाते ही उसको पूरी नंगी कर देता था। वो नंगी ही घर के काम भी करती थी, मुझ से चुदवाती थी, गाँड मरवाती थी और ये सब करने के बाद मुझे ईंग्लिश भी पढ़ाती थी। बाद में स्कूल की छुट्टियाँ खतम होने पर, स्कूल में भी मौका देख कर स्कूल में ही किसी जगह पर अपनी सलवार नीचे करके मुझसे अपनी गाँड या चूत मरवाने लगी।

freestory.info@gmail.com

Partner sites : escort service in Hyderabad, escort service in Raipur and escort service in India

और भी मजेदार किस्से: 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *