सभी लोगों को मेरा नमस्कार! मेरा नाम आनंद मेहता है. अभी कहानी लिखते समय मेरी उम्र ५० साल है. यह चुदाई की कहानी मैंने आप सभी पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी है. आशा है कि आप इसे पढ़कर मजे लेंगे।
मैं एक किराये के घर में रहता हूँ। मेरे ऊपर वाले घर में मकानमालिक का परिवार रहता है, जिसमें एक खूबसूरत शादीशुदा लड़की अपनी 5 साल की बेटी के साथ रहती है। उसका लगभग 30 साल का पति दूसरे जिले में 10+2 विद्यालय के शिक्षक के रूप में कार्यरत है, इसलिए सिर्फ छुट्टियों में ही घर पर आता है।
इस नए घर में आये हुए अभी मुझे एक महीना ही हुआ था कि मुझे मकानमालकिन का असली रूप देखने को मिल गया।
एक दिन मैं अपने घर का किराया देने ऊपर वाले घर में जा रहा था। दरवाजे के पास पहुंचा तो बहुत धीमी-धीमी कूखने और कराहने की आवाजें आ रही थीं। मैं तो पचास साल का अनुभवी आदमी हूँ। इन आवाजों को सुनकर मुझे अपनी पत्नी के साथ मनायी सुहागरात की याद आ गयी। उस दिन मैंने अपनी 26 साल की पूरी ताकत लगाकर नई-नवेली पत्नी को चोदा था। चार दिनों तक तो वह लंगड़ाकर चली थी।
उस दिन के बारे में जब भी सोचता हूँ तो पूरे शरीर में कामुक कम्पन होने लगता है।
मैं इन यादों से तब बाहर निकला जब मेरे हाथों में रखे 5000 रुपये के नोट गिरे।
मुझे लगने लगा कि मकानमालकिन जरूर किसी से सेक्स कर रही है.
फिर भी मेरा दिल इसको नहीं मान रहा था, उसका पति तो बाहर दूसरे जिले में है, तो फिर अंदर कौन है?
मैंने बालकोनी की तरफ की खिड़की को धीरे से थोड़ा घसकाया।
हे भगवान! ये क्या चल रहा है? दो बलिष्ठ आदमी मकान मालकिन के साथ मजे कर रहे थे। वह बिस्तर पर लेटी हुई थी और बार-बार सिसकारियां भर रही थी. ऊपर से एक मोटा आदमी अपने बड़े से पेट लिए उस बेचारी पर चढ़े हुए था और अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करते हुए अपने लंड को अंदर-बाहर किये जा रहा था।
दूसरा मोटा आदमी उस बेचारी के चूचियों को एक हाथ से जोर-जोर से मसल रहा था और अपने दूसरे हाथ से अपने खड़े लंड को सहला रहा था। चूचियों को मसलने वाला आदमी मेरे क्षेत्र का बदमाश नेता था, जब मैंने उसे गौर से देखा तो पता चला।
चोदता आदमी शायद उसका दोस्त होगा।
मैंने मन ही मन उस नेता को गाली देने लगा ‘साला! चूतिया! क्षेत्र का काम तो ठीक से करता नहीं है और यहां आकर बहुत अच्छे से अपने खड़े लंड पर ताव दिए जा रहा है।’
मेरा ध्यान उस लड़की पर गया। आह … आह … उसके नंगे बदन को देखकर मेरे बदन में आग लग रही थी। उसके दो बड़े-बड़े बूब्स को अपने हाथों से मसलने का दिल कर रहा था। मेरा रोम-रोम उसके गोरे नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो रहा था।
नेता के अब चोदने की बारी आई। उसका पेट काफी ज्यादा निकला हुआ था। उसने लड़की को कुतिया बनाकर चोदना शुरू कर दिया। नेता पीछे से धक्का दिए जा रहा था और मालकिन दर्द से कराह रही थी।
उसकी दो चूचियों को लटकती देखकर मेरी आँखों को मजा आ रहा था। उसके नंगे बदन को अपनी बांहों में लेने के लिए मेरा मन तड़प रहा था और मेरा लंड उसके बुर में जाने के लिए। मेरा लंड बाहर निकलने के लिए फुंकार मारने लगा और पूरा तना हुआ था।
मैंने अपनी पैंट की चैन खोली और अपना कड़े लंबे लंड को हाथ से पकड़कर जोर लगाते हुए निकाला. मेरे लंड से पानी निकल आया था।
मैंने खुद से बोला ‘एक न एक दिन तुझे जरूर चोदूंगा साली! नहीं तो मेरा नाम भी आनंद मेहता नहीं।
उसके नंगे बदन को देखने के बाद, मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और उस लड़की को चोदने की कल्पना करते हुए अपने खड़े लंबे लंड को सहलाने लगा और मूठ मारने लगा। करीब दस मिनट के बाद मेरे लंड से रस निकलने लगा।
मेरे लंड से रस निकलने के बाद भी मेरा लंड सामान्य रूप में नहीं आया. अभी भी उसके बुर में घुसने के लिए तड़प रहा था। मैं फिर से उसके नंगे बदन को देखकर जोर-जोर से मुठ मारने लगा।
अबकी बार ढेर सारा रस निकला और कुछ देर बाद मुझे थोड़ा राहत महसूस होने लगी। मैंने अपने लंड को पैंट खोलकर अंदर किया और बिना किराये का पैसा दिए वापस अपने घर में जाने लगा।
अपने घर में पहुँचकर सोफे पर जा बैठा। तभी मेरी पत्नी आकर जोर से मेरा कंधा पकड़कर हिलाकर बोली- आप कहाँ खोये हुए हैं? ऑफिस नहीं जाना है क्या?
मेरे दिमाग में तो बस उसे ही चोदने का ख्याल चल रहा था। मैं अपने सपनों में उसकी बुर में अपनी हाथों की अंगुलियों को अंदर-बाहर कर रहा था. कितना मजा आ रहा था … उह … उह … उसकी सिसकारियां।
सपने देखने में भी मेरी बीवी ने दखल दे दी। क्या एक आदमी अपने सपने में भी किसी जवान लड़की को नहीं चोद सकता है?
इन्हीं ख्वाबों से बाहर आकर मैंने कहा- नहीं मैडम! ऑफिस नहीं जाएंगे, अभी बहुत कमजोरी जैसा लग रहा है।
वह बोली- लेकिन कुछ देर पहले तक तो आप बिल्कुल ठीक-ठाक लग रहे थे, अब क्या हो गया?
मैंने कहा- अरे मैडम! बीमारी कहीं भी, कभी भी हो सकती है … खासकर दिल की बीमारी।
वह मेरे बोलने के बाद चुप सी हो गयी।
मैंने अपनी बीवी के चेहरे की तरफ देखा तो वह तो मेरे दोनों पैरों के बीच के उभार को देखे जा रही थी। तभी वो मेरे चेहरे पर शक की निगाह से देखते हुए आकर मेरे बगल में बैठ गयी।
मैं घबरा गया … मैं समझ गया कि मेरी चोरी पकड़ी गयी है।
मेरे उभरे हुए लंड के ऊपर पैंट को छूते हुए बोली- यहाँ पर तो भीगा हुआ है … आप किराया देने गए थे ना? कहीं मालकिन को चोद के तो नहीं आ रहे हैं?
मैं झट से पीछे हटा और बोला- अरे! ये आप क्या बोले जा रहीं हैं … मैं मालकिन को चोद दूँ … नहीं नहीं, ऐसा नहीं है।
मैंने मन में ही कहा ‘कैसी पत्नी मिल गयी है … काम की बात तो समझती नहीं है और जो नहीं समझना चाहिए वो ही समझ जाती है … उफ!’
फिर से बीवी ने सवाल किया- तो बताइए, कैसे भीगा वहां पर?
मैंने थोड़े गुस्से से कहा- सच आप सुनना चाहतीं हैं तो सुनिए। आप तो दिन-रात भजन और पूजा-पाठ में व्यस्त रहती हैं … पूरा एक महीना हो गया सेक्स किये हुए आपके साथ … आप तो देती नहीं हैं … मेरा पेनिस आज खड़ा हो गया था … इसे शांत करने का बस एक ही उपाय था ‘मुठ मारना’ मैंने मार लिया तो इसमें क्या हुआ।
मेरी पत्नी थोड़ा हिचकते हुए बोली- मुझे अब सेक्स करने में मन नहीं लगता है … आप कोई दूसरी क्यों नहीं ढूंढते हैं अपनी कामवासना को शांत करने के लिए … मैं आपसे कुछ नहीं बोलूँगी।
मैं खुशी से बोल पड़ा- सच डार्लिंग! आप मजाक तो नहीं कर रही हैं?
वह दूसरी बार समझदारी दिखाती हुई बोली- आप इतना खुश हो रहे हैं. क्या कोई पहले से ही ढूंढ के तो नहीं रखे हुए हैं?
मैं तुरंत बोल पड़ा- हाँ … ऊपर मालकिन।
वह आश्चर्यचकित हो बोली- क्या वह जवान औरत! क्या वह लड़की आपके मोटे लंड के झटके को सह पाएगी? आप तो उसकी बुर को फाड़ ही देंगे, जैसा मेरे साथ पहले करते थे।
मैंने अपनी पत्नी को अपनी बांहों में लेकर गले लगाया और कहा- मेरे लंड को सहन करना उसका काम है। आपकी जैसी पत्नी सबको मिले जो अपने पति को खुली छूट देती हो, अपने पति के बारे में सोचती हो।
उस रात को मैंने मकान मालकिन को अपने सपने में खूब चोदा और रात में मेरा स्वप्नदोष हो गया जिसके कारण मेरा पहना हुआ लुंगी सुबह में बहुत महक रहा था।
सुबह उठते ही सबसे पहला ख्याल उस रंडी को चोदने का ही आया। उस रंडी का नंगा गोरा बदन मेरी आंखों के सामने तैरने लगा। अभी से ही मेरा काला लंड खड़ा हो गया और लुंगी के बीच से निकल पड़ा।
मैं रात में जांघिया नहीं पहनता हूँ… दिन में ऑफिस में मेरा लिंग जाँघिया के अंदर कसा-कसा रहता है तो रात में वो आराम करता है।
जब बीवी चाय देने आयी तो उसकी नजर मेरे चेहरे के बजाय सबसे पहले मेरे खड़े लंड पर गईं, वह थोड़ी चौंक कर चाय धरते हुए बोली- आपकी पचास की उम्र हो गयी है फिर भी आपका लिंग हमेशा गरम रहता है … आपका काला केला तो बिल्कुल पूरी तरह अभी जवान ही है।
मैंने भी अपनी मूँछों पर ताव दिया और फिर अपने काले केले को हाथ में पकड़कर अपनी पत्नी को देखाते हुए बोला- ये आनंद मेहता का लंड है … जब तक उस रंडी को ये चोद नहीं देता, तब तक यह शांत नहीं होगा … देखिये तो जरा कैसे मेरा लंड एक नाग की तरह उफान मार रहा है … अब बस इसे कोई बिल मिल जाये।
बीवी बोली- आज भी ऑफिस जाना है या नहीं?
मैंने एक हाथ से लंड को सहलाते हुए बोला- नहीं … तीन दिनों की छुट्टी ले ली है।
लगभग एक घंटे बाद किराये के रुपये लेकर मैं शर्ट और नई लुंगी पहने ऊपर जाने लगा। मकान मालकिन के घर के पास पहुँचकर घंटी बजाई।
उसने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही बोली- अरे मेहता जी आप! आइये, किराया देने आए हैं? मुझे बुला लिया होता!
उसके अंत के शब्द सुनकर मैंने बोला- कल सोच रहा था कि आपको रात में बुला लूँ लेकिन नहीं बुलाया।
वह थोड़ा मुस्कुरायी. ऐसा लग रहा था जैसे वह मेरी द्विअर्थी बात के असली अर्थ को समझ गयी हो.
वह टोन छोड़ते हुए बोली- हाँ, आपको तो रात में ही फुर्सत मिलती होगी, दिन भर तो ऑफिस में रहते होंगे।
मैं एक सोफे पर बैठा और वह मेरे ठीक सामने वाले सोफे पर। उसके बालों से शैम्पू की खुशबू आ रही थी … वो अभी-अभी नहाकर लाल और उजले रंग के मिले हुए डिजाइन की साड़ी में थी. उसके दो परिपक्व रसीले आम उसके ब्लाउज के ऊपर से दिख रहे थे. उसकी पतली कमर मेरे हृदय पर चोट कर रही थी।
मैं अभी सोफे पर ही बैठा हुआ था कि मेर लंड कहर बरपाने के लिए तैयार होने लगा … दोनों पैरों के बीच लटके मेरे दो बड़े-बड़े अंटियों और काले केले में खून का प्रवाह बहुत तेज होने लगा। मैं अपने शर्ट के पॉकेट से रुपये निकालकर देने लगा.
उसकी कोमल अंगुलियों ने जब मेरे अंगुलियों को छुआ तो जैसे मेरे पूरे बदन में आग लग गयी और यह आग उसका गहरे लाल रंग का साड़ी से और उत्तेजित हो रहा था।
वह बोली- और बताइये, आपका काम कैसा चल रहा है?
मैंने कामुक भरे स्वर में कहा- काम तो ठीक चल रहा है, बस एक काम रुका पड़ा है।
फिर बात को संभालते हुए बोला- फैक्टरी का काम थोड़ा मंदा है आजकल।
हम दोनों बातें ही कर रहे थे कि अचानक मालकिन का उजला घने बालों वाला पालतू कुत्ता मेरे पैरों के पास आया और भौंक कर मेरे लुंगी को अपने दांतों से खींचने लगा। इस अचानक खिंचाव से मेरे लुंगी की गांठ खुल गयी और मेरा पचास वर्षों से संजोया हुआ काला सामान दिख पड़ा।
मैंने मालकिन की ओर देखा … उसकी नजरें तो मेरे खड़े लंड को ही निहार रहीं थीं।
मैंने झट से लुंगी से उसे छुपा दिया।
मालकिन ने कुत्ते को फटकारा तो वह वहां से चला गया।
मैं अब खड़ा होकर अपने लुंगी को ठीक से कसने लगा। मालकिन की नजरें अभी भी मेरे दोनों पैरों के बीच में टिकीं थीं।
वह खड़ी हो गई और मेरे पास आकर मेरे लंड के ऊपर लुंगी पर सहलाने लगी. कुछ सेकंड बाद मेरे दो बड़े-बड़े अंटियों को जोर से दबायी। मैंने गहरी सांसें ले रहा था … मुझे मजा आने लगा … मेरे मन में उसके रसीले होठों को चूसने का ख्याल आया ही था कि उसने अपने होंठ मेरे होंठों के ऊपर रख दिए. मैंने उसके चेहरे को जोर से पकड़ा और जोर-जोर से उसके रसीले होंठों का रस पीने लगा. कितने सालों बाद ऐसे रसदार होंठ मिले थे.
उसने लुंगी के अंदर हाथ लगाकर मेरे काले केले को निकाला और उसे पकड़कर आगे-पीछे करने लगी. कभी-कभी वह मेरे केले को जोर से दबा भी देती थी।
कुछ मिनट बाद वह अपने चेहरे पर से मेरे हाथों के बंधन को हटाने लगी. मैंने अपना हाथों को उसके चेहरे पर से हटा लिया. वह तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गयी और मेरे 90 डिग्री पर खड़े लंड को अपने मुंह मे लेकर चूसने लगी.
ऐसा लग रहा था कि मानो वह लंड नहीं कोई चॉकलेट चूस रही हो.
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी- आ … आ … ह … हह… क्या बात है … मजा आ रहा है … और चूसो!
मेरा आधा लंड भी उसके मुंह मे नहीं जा पा रहा था लेकिन जब वह लंड के छेद वाले किनारे पर अपनी कोमल होंठों से रगड़ती थी तो आह … उस आनंद की बात ही क्या है।
पंद्रह मिनटों तक बस यही होंठों का चूसना और उसके द्वारा मेरा लंड का चूसना चला।
तब मैं बोला- बस मेरी रानी! मेरे लंड को चूसना ही है या इससे चुदवाना भी है?
ऐसा कहकर मैंने उसे उठाकर अपनी बांहों में लेकर एक कमरे की तरफ जाने लगा। वह अपना बायाँ हाथ मेरे शर्ट के अंदर ले जाकर मेरे सीने पर के बालों को सहला रही थी. मुझे इतना जोश जग रहा था कि बस सोच रहा था कि फर्श पर रखकर ही उसे चोद दूँ.
लेकिन गदगद बिस्तर पर चोदने में ज्यादा मजा आता है, ऐसा सोचकर मैं कमरे में पहुँचकर उसे गदगद बिस्तर पर पटक दिया और उत्तेजना में अपना शर्ट खोलने लगा. वह भी अपनी साड़ी खोलने लगी। शर्ट खोलकर एक ही झटके में अपना लुंगी खोली … वह मुझे कपड़े खोलते हुए देख रही थी और मैं उसे।
मुझे जाँघिया न पहने देखकर बोली- मुझे चोदने का इंतजाम पहले से ही कर के आये थे?
मैंने कहा- तुमको अब पता चल रहा है … मेरा लंड तुम्हारे बुर में जाने के लिए कल सुबह से ही तड़प रहा है।
वह साड़ी खोलकर अपना ब्लाउज खोल रही थी. मैं नंगा होकर बिस्तर पर कूदकर खड़ा हो गया. वह कुछ कहना ही चाह रही थी कि मैंने अपना काला कड़क केला उसके मुंह में ठूंस दिया. वह फिर उसे चूसने लगी।
मैं सिसकारियां भरते हुए बोला- बातें चोदने के बाद करूँगा रानी!
उफ … उफ … उसके मुंह में मेरे लंड का अंदर-बाहर जाना … आनंद की कोई सीमा न थी.
मैंने कहा- रानी! यह काम बहुत पहले ही होना चाहिए था … उफ … आह … ह … चूसो … मेरे लंड को चूस के और काला कर दो।
फिर उसे बिस्तर पर लेटाकर मैं जल्दी से उसके साया को खोलने लगा. साया तो खुल गया लेकिन उसका अंदर का जाँघिया खुल नहीं रहा था. जाँघिया बहुत ही कसा हुआ था।
वह मेरे बैचैनी को देखकर हँसने लगी और बोली- मेहता जी! थोड़ा शांत हो जाइए … इतना कामुक और चोदने के लिए बेचैन तो सुहागरात के दिन भी मेरे पति नहीं हुए थे जितना आप अभी हो रहे हैं!
ऐसा कहकर वो एक झटके में ही अपनी कसी जाँघिया को खोल दी और मैं अपना पचास साल का गठीला और हुष्ट-पुष्ट शरीर उसके नंगे बदन पर रख दिया और उसकी दो बड़ी बड़ी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा. बीच-बीच में अपने हाथों से उसके दोनों बूब्स को जोर से दबाता तो उसके मुंह से कराह निकल जाती।
वह मेरे पीठ पर और कभी मेरे चेहरे पर अपने हाथों से सहलाये जा रही थी। अब तक मेरा लंड अपने अधिकतम लम्बाई प्राप्त कर चुका था.
मैंने अपने लंड को दायें हाथ से पकड़कर उसके बुर के पास लाकर एक ही झटके में उसे अंदर घुसा दिया। प्रत्येक झटके के साथ उसकी चीखें निकल जाती थीं।
शुरू-शुरू में तो मेरा पूरा लंड अंदर नहीं जा रहा था … मैंने कहा- कितनों से तुम चोदवाती हो, फिर भी तुम्हारी बुर ढीली नहीं हुई है?
वह बोल पड़ी- मुझे आज तक इतना मोटा और लम्बा लंड नहीं मिला है मेहता जी!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आज ढीली हो जायेगी.
ऐसा कहकर मैंने जोर का दम लगाया … अबकी बार मेरा लंड काफी अंदर जा चुका था। वह दर्द से कराहने लगी और बोली- आपने तो आज मेरी फाड़ दी. उम्म्ह… अहह… हय… याह…
मैंने अपना चोदने का काम जारी रखा. पांच, छह झटकों के बाद उसे भी आनंद आने लगा और बोलने लगी- चोदो … और चोदो।
कुछ मिनटों बाद वह कुतिया बन गयी और मैं पीछे से उसकी चूत मारता गया. कुतिया बन के चुदवाना उसे बहुत पसंद था. फिर लगभग बीस मिनट के बाद फचाक-फचाक की आवाजों को करते हुए मैं उसके अंदर डाले-डाले ही झड़ गया।
आखिरकार मेरे लंड के गर्म वीर्य ने उसकी प्यास को बुझा दिया।
वह बोली- धन्यवाद, मेहता जी! मुझे सेक्स के चरम बिंदु पर पहुंचाने के लिए … आज जैसे चरम बिंदु पर कभी भी नहीं पहुंची थी।
और हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में ही सुस्ताने लगे। एक-दूसरे के शरीर की गरमाहट हमें आनंदित कर रही थी और हमें सुकून दे रही थी।
यह चोदन स्टोरी आपको कैसी लगी, आप मुझे मेल से और कमेंट्स में बता सकते हैं।
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