गर्म लड़की को पूरी तरह से शांत करने का तरीका

Barish XXX

मैं पुणे का रहने वाला हूँ, उम्र 27 वर्ष, एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूँ। यह कहानी पिछले साल के सितम्बर की है. यह उन दिनों की बात है जब मैं किसी दूसरी कंपनी में काम करता था, वहाँ एक लड़की थी कनिका उसका बॉयफ्रेंड था, पर पता नहीं क्यों वो उसको समय दे नहीं रहा था. Barish XXX

पर सच कहूँ दोस्तो, वो इतनी खूबसूरत है कि उससे दूर रहने वाला पागल होगा। वो गोरी और थोड़ी सी मोटी थी, पर बदन की आकृति बना कर रखी हुई थी। मुझे वैसी लड़कियाँ और औरतें बहुत पसंद हैं। बरसात के दिन थे, मैं रोज उसको छोड़ने घर तक जाता था, उसके यहाँ एक गार्डन था वहाँ पर हम बैठा करते थे।

फ़िर थोड़े दिन बाद उसको मेरा साथ अच्छा लगने लगा, हम थोड़ा करीब आने लगे या यों कहिए कि हम कुछ ज्यादा नजदीक आ रहे थे। मैं उसके ड्रेस में ऊपर से हाथ डाल कर उसके स्तन दबाता था, कभी उसकी पैंट में हाथ डाल कर नीचे उंगली डाल कर उसको शांत करता था।

सच कहूँ दोस्तो, वो इतनी गर्म है कि क्या बताऊँ और हमारे बीच ये नजदीकियाँ कैसे आई हम दोनों को भी पता नहीं चला। हमेशा की तरह एक दिन मैं उसके घर से थोड़ा दूर उसको छोड़ कर जा रहा था कि उसने कहा- आज तुम मेरे घर तक आओ ना ! वहाँ पर अँधेरा होता है। मैंने उसको उसकी बिल्डिंग के गेट के तक छोड़ा तो उसने कहा- घर चलो ! बारिश भी है ! और मॉम-डैड से मिल कर जाओ !

मैंने कहा- ठीक है।

मैं उसके साथ घर तक गया। वो चाबी से दरवाजा खोलने लगी।

मैंने कहा- घर पर कोई नहीं है क्या?

उसने कहा- हैं ! पर मेरे पास चाबी होती है।

फ़िर हम अन्दर गए, उसने मुझे बैठाया, पानी लेने अन्दर गई, बाहर आकर मुझे कहा- आज खाना खाकर जाना।

मैंने बोला- नहीं ! तेरे मॉम-डैड को पसंद नहीं आएगा।

तब उसने मुझे बताया- आज घर पर कोई नहीं है, घर वाले गाँव गए हैं, तीन दिन बाद आएँगे।

तब उसकी आँखों में मैंने पढ़ लिया कि उसने आज घर क्यों बुलाया है।

उसने कहा- आज तुम मेरे यहाँ रूक रहे हो ! अपने घर पर बता दो !

वो शुक्रवार था और शनिवार और रविवार छुट्टी होती है, मैंने फ़ोन पर घर पर बता दिया कि दोस्तों के साथ पिकनिक जा रहा हूँ। रविवार को आऊँगा। और फ़िर बाहर जाकर मैं कोंडोम लेकर आया। हमने खाना खाया और ऐसे ही मूवी देखने लगे। तभी कोई गर्म दृश्य शुरू हुआ तो वो मुझे देखने लगी और मेरे करीब आकर मेरी बाँहों में सर रख कर बोली- विवेक, आज रात मैं तुम्हारी हूँ।

मैंने उसको प्यार से अपनी बाहों में ले लिया।

तब वो बोली- कभी भी प्यार से मेरे बॉय फ्रेंड ने भी मुझे पास नहीं लिया।

मैं उसको उसी तरह दस मिनट तक बाहों में भर रहा।

वो फ़िर बोली- क्या तुम आज मुझे प्यार दोगे? जो मैं चाहती हूँ वो करोगे?

मैंने हाँ में गर्दन हिलाई।

बोली- दस मिनट रुको ! मैं आती हूँ !

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और अन्दर चली गई। दस मिनट बाद उसने मुझे आवाज़ दी अन्दर आने के लिए। मैं अन्दर गया, देखा कि वो एक लाल नाईटी में थी, थोड़ा पेट दिखाई दे रहा था। वो दौड़ कर मेरे गले लग गई। और मैंने उसको चूम लिया। उस दिन मैंने उसको पहली बार इतनी हसीन और खुश देखा। और मैं उसको और खुश करना चाहता था।

फ़िर हम दोनों बिस्तर पर आ गए। हम दोनों एक दूसरे को आधा घण्टा चूमते रहे होंगे। फिर मैंने उसकी नाईटी ऊपर से नीचे सरकाई उसने लाल ब्रा पहनी थी, पहली बार मैंने उसको ऐसे देखा था। गार्डन में अँधेरे में कुछ इतना नज़र नहीं आता था।

मैं उसकी ब्रा ऊपर से ही उसके स्तन दबाने लगा, फ़िर मैंने उसकी ब्रा उसके वक्ष से उतार दी और मैंने उसके चुचूकों को अपने होंटों से चूसना शुरू किया। वो जोर से आहें भरने लगी। पाँच मिनट में गर्म हो गई और मेरे सर को जोर से अपने वक्ष पर दबाने लगी और कहने लगी- काटो इनको दाँतों से ! पी लो मेरे बूब्स का रस।

मैं जोर से चूसने लगा काटने लगा। फिर धीरे धीरे पेट के ऊपर मैं उसको चूमने लगा। वो और गर्म हुई और मुझे बोलने लगी- विवेक प्लीज मत सताओ मुझे ! मैं ख़ुशी से मर रही हूँ ! मुझे तड़पाओ मत ! मैंने उसके नाईटी को उतार दिया, उसने पैंटी भी लाल पहनी थी और मेरी हरकतों से वो थोड़ी गीली भी हो गई थी। मैंने वहीं गीली पैंटी को बाहर से चाटना शुरू किया।

दोस्तो क्या बताऊ आपको ! उसकी चूत की खुशबू से मुझे जैसे नशा सा चढ़ने लगा था, मैंने उसकी पैंटी उतार कर देखा कि उसने चूत से बाल साफ़ कर रखे थे। उसकी चूत गुलाबी थी, मैंने अपनी जुबान से उसको चूसना शुरू किया। वो और उछलने लगी और मेरे सर को जोर से दबाने लगी।

मैं समझ गया कि उसको बहुत दिन बाद ऐसा मजा मिला है या उसने कभी इतना मजा नहीं लिया था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई मैंने उसका रस पी लिया। थोड़ी देर शांति से लेटी रही वो ! दस मिनट बाद वो उठी तो मुझे चूमने लगी मेरे बदन पर टूट पड़ी, मेरे कपड़े उतारने लगी.

और फ़िर थोड़ी देर में मेरे अण्डरवीयर से मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने उसको चूसने का इशारा किया पर उसको वो नहीं आता था। वो अपनी जुबान से बाहर से ही मेरे लंड को चाटने लगी। फ़िर पाँच मिनट बाद मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और कोंडोम लगा कर लंड को उसकी चूत में डालना शुरू किया।

मेरा लंड थोड़ा अन्दर जाते ही वो चिल्लाना शुरू हुई। तब मैंने थोड़ा आहिस्ते से उसके अन्दर पेलना शुरु किया। थोड़ी देर बाद वो मेरा साथ देने लगी। फ़िर मैंने थोड़ी रफ़्तार बढ़ा कर उसकी चूत में पूरा लण्ड डाल दिया। उसको मजा आ रहा था और वो अब मुझे और जोर से करने को बोल रही थी।

मैंने उसके कहने पर अपनी रफ़्तार बढ़ाई फिर कुछ देर बाद वो झड़ गई। फ़िर मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कोंडोम हटा कर उसके पेट पर झड़ गया। वो मेरे रस को उंगली पर लेकर चाट रही थी।

थोड़ी देर हम वैसे ही लेटे रहे। थोड़ी देर बाद वो फ़िर मेरे लंड के साथ खेलने लगी और उसे खड़ा करने लगी। पाँच मिनट बाद दोबारा तैयार होने के बाद हमने बहुत चुदाई की। उस रात हमने तीन बार चुदाई की और फ़िर सो गए।

दूसरे दिन शनिवार को भी मैं उसके घर रूका था, अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो में अकेला ही बिस्तर में था, कनिका मेरी बगल में नहीं थी। मैंने कनिका को पुकारा तो उसने कहा- आ रही हूँ ! तुम ब्रश करके तैयार हो जाओ !

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मैं उठ कर तैयार हो गया। दस मिनट बाद एक लड़की लाल रंग की साड़ी पहन कर मुँह पर घूँघट किए मेरी तरफ चली आ रही थी। मुझे पता था कि वह कनिका ही होगी पर चेहरा ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था, उसकी साड़ी पारभासक थी.

उसमें से उसका गोरा पेट और उसके गहरे गले के ब्लाउज से उसकी वक्षरेखा दिखाई दे रही थी। उसके हाथ में दूध का गिलास था, वह मेरे नजदीक बिस्तर पर बैठ गई और मुझे दूध का गिलास हाथ में देकर कहने लगी- लो पी लो दूध ! आज तुम्हें बहुत मेहनत करनी है फ़िर से !

मैंने उसकी आवाज़ सुनी और मैं समझ गया कि यह कनिका ही है और इसका आज भी बहुत कुछ करने का मन है। मैंने दूध पीया और उसका घूंघट उठाया। दोस्तो, मैं आपको क्या बताऊँ ! वह क्या लग रही थी ! उसको इतना खूबसूरत मैंने कभी नहीं देखा था !

वह मेरी तरफ देखने लगी, उसकी आँखों में इतनी शरारत भरी हुई थी ! मैंने उसको वैसे ही चूमना शुरू किया, वह भी मुझे उसी तरह से चूमते हुए मेरा साथ देने लगी। हम दोनों उसी तरह आधा घंटा एक दूसरे को चूमते रहे। मैं उसके स्तन भी दबा रहा था।

वह बहुत गर्म हो गई थी, मैंने उसको लिटा दिया और उसकी साड़ी आराम से उतार दी। उसने अन्दर सिर्फ लाल रंग की ब्रा और चड्डी पहनी थी, पेटिकोट और ब्लाऊज गायब था तो मुझे पता लगा कि ब्लाऊज़ ना पहनने के कारण ही मुझे ऐसा लगा था कि जैसे उसने काफ़ी गहरे गले का ब्लाऊज पहना हो !

मैंने उसको फ़िर से चूमना और उसके चूचे दबाना शुरू कर दिया। वह सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने उसके चुचूक को ब्रा के ऊपर से दाँतों में पकड़ लिया तो वह जोर से आह-आह करने लगी। मुझे पता था उसको ऐसा करना बहुत पसंद है।

मैंने दस मिनट तक वैसे ही उसके दोनों चुचूकों को चूसा, फ़िर मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उन दोनों कबूतरों को खोल कर आज़ाद दिया। इन दोनों कबूतरों को रात ही मैंने बहुत चूसा था इसलिए वे लाल हो रहे थे और इतने खूबसूरत दिख रहे थे ! कि यारो, मैं उनको फ़िर से चूसने लगा।

उसे भी बहुत मजा आ रहा था, वह मेरा सिर जोर से अपने वक्ष पर दबाने लगी। मैं उसके स्तनों का रस पीने लगा। थोड़ी देर बाद में उसके पेट पर अपनी जुबान घुमाने लगा तो वह मचलने लगी थी, तड़पने लगी थी, मेरे बाल पकड़ कर मुझे बोल रही थी- मत करो राजा ! प्लीज मत करो ! गुदगुदी होती है !

मैंने उसकी बात नहीं मानी और पाँच मिनट उसको वैसे ही करता रहा। वह हंस हंस कर मचल रही थी। फ़िर उसकी चूत पर पहुँच गया मैं ! तब मैंने देखा कि उसकी चड्डी चूत के छेद के स्थान पर गीली हो गई थी। मैंने उसको वहीं चाटना शुरु किया। मैं जब उसके पेट पर मस्ती कर रहा था, शायद तभी वह एक बार झड़ गई थी।

उसकी योनि से मस्त सुगन्ध आ रही थी और उस सुगन्ध से जैसे मुझे नशा सा चढ़ रहा था। मैंने उसकी चड्डी उतार दी और मुझे एक बार फ़िर उस खूबसूरत चूत के दर्शन हो गए। रात की तरह मैं उसकी चूत को चाटने लगा, उसमें अपनी जुबान घुसा कर अन्दर के माल को चूसने लगा।

वह भी खूब उत्तेजित हो रही थी और मेरे सिर को जोर से अपने वस्ति-स्थल पर दबाने लगी, रगड़ने लगी। मैं उसकी पसंद के अनुसार ही उसकी चूत चाट रहा था। वह अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी, हम दोनों अनजाने में ही अब 69 अवस्था में हो गए और एक दूसरे को चाटने लगे। करीब बीस मिनट बाद मैंने सीधे होकर उसको पीठ के बल लिटाया और अपने लण्ड को कनिका की चूत के दाने पर रगड़ने लगा।

वह जोर जोर से बड़बड़ा रही थी, कह रही थी- ऐसा मत करो ! सीधा अन्दर डालो ! मत तड़पाओ !

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पर मुझे उसको थोड़ा तो तड़पाना था और फ़िर वह मजा देना था जो उसको चाहिए था। मैंने थोड़ी देर में लण्ड उसकी चूत में घुसाया, धीरे-धीरे धक्के देने लगा। थोड़ी देर बाद जब कनिका मेरा साथ देने लगी तब मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर से उसे चोदने लगा।

अब कमरे में सिर्फ चीखने की और गालियों की आवाज गूंज रही थी। 20 मिनट के बाद हम दोनों झड़ने वाले थे, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और 2-3 धक्के लगते ही उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरे लण्ड को प्यार से चूस कर पूरा पानी पी लिया।

सुबह के गयारह बजे चुके थे पर थकान के कारण हम दोनों वैसे ही नंगे सो गए। दोपहर करीब साढ़े बारह बजे हम दोनों उठ गए और बाथरूम में नहाने गए। वहाँ बाथरूम के अन्दर भी कनिका को चोदने को मन कर रहा था मेरा !

जैसे ही हम शॉवर के नीचे गए, कनिका ने मेरे लण्ड को साबुन लगाया और साफ किया और मुँह में लेकर चूसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लण्ड में जान आई और फ़िर से तैयार हो गया कनिका की चुदाई के लिए। मैंने भी उसकी फ़ुद्दी साबुन से साफ की और चाटने लगा।

थोड़ी देर बाद उसको वैसे ही दीवार से चिपक कर खड़े होने को कहा और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। करीब 20 मिनट बाद हम दोनों चरम सीमा पर एक साथ ही पहुँचे। जब हम बाथरूम से बाहर आए तो दोपहर के दो बज रहे थे।

हम दोनों ने खाना खाया और सो गए। शाम के छः बजे हम दोनों उठ गए, चाय पी रहे थे तब उसने मुझे कहा- अब तुम मेरे बदन की मालिश करो अच्छे से तेल लगा कर !

मैंने तेल से उसकी बढ़िया सी मालिश की। उस दिन शाम को हम बाहर घूमने गए थे, घूमते घूमते हम बाज़ार में पहुँच गए। फ़िर कनिका को पता नहीं क्या हुआ, मुझसे बोली- तुम कॉफ़ी शॉप में रुको ! मैं आधे घंटे में आती हूँ ! मैं जाकर कॉफ़ी शॉप में बैठ गया। शायद चालीस मिनट बाद कनिका आई। उसके हाथ में तीन शॉपिन्ग बैग थे। वह शॉपिन्ग करके आई थी।

जब मैंने उसको पूछा- इनमें क्या है ?

तो उसने कहा- यह तुम्हें बाद में पता चलेगा !

मुझे पता चल गया कि इसका आज कुछ ही अलग मूड है। फ़िर हमने खाना खाया और घूम कर रात को करीब दस बजे घर आ गए। घर आने के बाद उसने मुझे कहा- तुम तैयार हो जाओ, हम दस मिनट में मिलते हैं। वह कमरे में चली गई, मैं फ्रेश होने अन्दर गया।

जब वापिस आया तो देखा कि हॉल में हल्की सी रोशनी थी। मैंने कनिका को पुकारा तो उसकी आवाज़ आई- मैंने वहाँ एक सी डी रखी है, लगा लो ! मैं आती हूँ ! मैंने देख कर सी डी लगाई, वह एक ब्लू फ़िल्म थी। उसमें ऐसा था कि एक आदमी को एक चिराग मिलता है और उसमें से एक जिन्न निकलता है और पूछता है- बोलो मेरे आका ! आपको क्या चाहिये?

वह एक लड़की मांगता है। तो एक हसीना उसके सामने आती है, उसने अरेबियन कपड़े पहने थे। क्या चीज थी यार ! आगे दोनों का प्रेम मिलन शुरू होता है। वह लड़की उसका लंड चूसती है और वह उसकी चूत चाटता है। आगे आपको पता ही है दोस्तो कि क्या क्या होता है। अगले दृश्य में वह उससे दो लड़कियाँ मांगता है और लड़कियाँ मिलने पर वह उनके साथ मस्त चुदाई करता है।

तभी मेरे कंधे पर हाथ घुमाती कनिका मेरे कान में कहती है- मेरे हजूर ! आप को क्या चाहिए आज?

और मेरे कान पर अपनी जुबान से गुदगुदी कर रही थी। फ़िर उसने मेरी आँखों पर पट्टी बांध दी और मेरे गालों पर चूमने लगी। आहिस्ते-आहिस्ते मेरे शर्ट के बटन खोल दिये और घूम कर मेरे सामने आकर मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये।

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उसकी इस हरकत से मेरा लंड काबू में नहीं रहा, मेरी पैंट फाड़ कर बाहर आने के लिए मचलने लगा। मैं उसके सर को पकड़ कर जोर जोर से उसके होंठ चूसने लगा। मैं अपनी जुबान उसके मुँह में घुसा रहा था, कभी वह मेरे मुँह में उसकी जुबान डाल रही थी। यह सब बीसेक मिनट तक हुआ होगा।

हम दोनों पूरे गर्म हो गए थे। हमारा चूमने का दौर समाप्त होने के बाद वह दो मिनट के लिए मुझ से दूर हुई और फ़िर दोबारा मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका लिए। फ़िर मेरी आँखों से पट्टी हटा कर मेरी बंद आँखों को उसने चूम लिया और बोली- अब धीरे से अपनी आँखें खोल कर देखो !

मैंने देखा तो देखता ही रह गया ! उसने भी उसी फ़िल्म वाली उस जेनी अरेबीयन ड्रेस पहनी थी। मैं उसको देख रहा था- उसका गोरा बदन, उसके स्तन और उसकी चूचियों के बीच की दरार ! नाक तक रुमाल बांधा था उसने ! मैं उठ कर उसके करीब गया, उसके पीछे से पूरा घूम कर देखा और उसको पीछे से पकड़ लिया और उसको वैसे ही चूमना शुरू कर दिया.

उसकी गर्दन पर चूमा, उसके चेहेरे से रुमाल हटाया और उसके रसीले होंठों से अपने होंठ चिपका दिये और हम फ़िर से चुम्बन करने लगे। थोड़ी देर बाद हम अन्दर कमरे में गए, उसको मैंने बिस्तर पर लिटा दीया और मैं उसके ऊपर आ गया।

तब उसने मुझे कहा- यही ड्रेस लेने मैं बाज़ार गई थी !

मैंने कहा- बहुत प्यारी और सेक्सी है !

फ़िर मैं उसके स्तन ड्रेस के ऊपर से ही दबाने लगा। वह गर्म हो रही थी, उसके मुँह से सीत्कारें निकलने लगी- आह ! आहा !

मैंने उसकी ड्रेस स्तन से थोड़ी सरका दी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, उसके स्तन अब मेरे हाथ में थे, उनको अपने मुँह में लेकर मैं जोर से चूसने लगा। हमने जब पहली बार सेक्स किया था तब उसने बताया था कि उसको स्तन जोर से दबाने और चुचूकों को कटाने से मजा आता है।

मैं उसी तरह उसके स्तन जोर से दबा रहा था और चुचूक भी चूस रहा था। करीब बीस मिनट बाद में उसके पेट पर चूमने लगा तो कनिका जोर से चिल्लाने लगी और हंस भी रही थी। मैंने उसको उसी तरह बहुत तड़पाया, फ़िर जो हुआ वह तो मैंने कभी सोचा नहीं था.

कनिका बहुत गरम हो गई थी, उसने मुझे अपनी बगल में बिस्तर पर धकेला और मेरे ऊपर आ गई और जोर-जोर से मेरे होंठ चूसने गई, मेरी शर्ट निकाल कर फेंक दी, मेरे पेट पर चूम रही थी मेरे चुचूक चूस रही थी, वह मदहोश सी हो गई थी। फ़िर उसने मेरी पैंट उतार दी और लण्ड को चूसने लगी।

फ़िर हम 69 की अवस्था में आये और मैं अपनी जुबान उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा, कभी गर्दन ऊपर करके उसकी गाण्ड में भी जुबान डाल रहा था। कनिका भी उतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी न जाने उसको आज क्या हुआ था, उसने मेरी गाण्ड में उंगली डाल दी।

मेरे लंड में एक अजीब सी हलचल हो रही थी और मस्त चुदाई के लिए तैयार हो गया था। कनिका जिस तरह से कर रही थी, बहुत मजा आ रहा था। फ़िर उसको घोड़ी बना कर मैंने पीछे से लंड को चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के देने लगा। कनिका भी अब मेरा साथ दे रही थी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर !

फ़िर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, कनिका फ़िर से चिल्लाने लगी- जानू ! आज मुझे घोड़ी की तरह चोदो ! जितना जोर से कर सकते हो, करो ! मैं घोड़ी की तरह चुदना चाहती हूँ ! उसकी बातें सुन कर मैं और जोर से उसकी चुदाई करने लगा।

कनिका लगातार चिल्ला रही थी- मेरे घोड़े ! और जोर से मार ! मजा आ रहा है !

थोड़ी देर बाद उसका चिल्लाना गालियों में बदल गया, कहने लगी- अरे, मुझे कुतिया की तरह चोद जोर से ! फाड़ दे मेरी चूत ! अपना लण्ड पूरा डाल दे ! मुझे अपनी रंडी समझ ले ! और डाल ! और अन्दर डाल ! वह अब अपनी गांड उछाल-उछाल कर चुद रही थी।

सच में बहुत मजा आ रहा था। करीब बीस मिनट बाद हम दोनों भी झड़ने वाले थे। मैं अपनी पूरी रफ़्तार से उसकी चूत में लण्ड पेल रहा था। अब मैं झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और 4-5 झटके देने के बाद उसके मुँह में झड़ गया।

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फ़िर हम दोनों वैसे ही कुछ देर नंगे एक दूसरे की बाहों मे लेटे एक दूसरे को चूम रहे थे। आधे घंटे बाद मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया। हम उस रात और दो बार झड़ गए, फ़िर वैसे ही नंगे सो गए। अगली सुबह मतलब रविवार को करीब दस बजे हम उठे, दो दिन के बाद थोड़ी सी थकान सी हो गई थी। उठ कर मैं नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद कनिका बाथरूम में आई और मुझे पीछे से पकड़ लिया। फ़िर हम हमेशा की तरह चूमने लगे कभी उसके स्तन को, कभी होटों को चूस रहा था।

मैंने उसको वहीं लिटा लिया और उसकी चूत चाटने लगा। वह मेरे बालों में हाथ फ़िरा रही थी। करीब बीस मिनट बाद वह मेरा सर अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी और झड़ गई। फ़िर वो मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगी और थोड़ी देर बाद उसके मुँह में ही मैंने अपना सारा माल छोड़ दिया। फ़िर हम नहा कर तैयार हो गए। उस दिन दोपहर को खाने के बाद हमने फ़िर से एक बार किया और शाम के पाँच बजे अपने घर को जाने के लिये निकला। उन तीन दिनों की और उसके बाद की सभी चुदाई मुझे अभी भी याद है।

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