हम दोनों भाई एक साथ ही एक बिस्तर पर सोते थे। एक रात अचानक मेरे भाई की तीसरी टांग मेरी गांड को छू रही थी। और फिर माहौल इतना ज्यादा गरम हो गया कि उसी तीसरी टाँग से भाई ने मेरी चुदाई कर दी।
पहली बार तो मैंने यह सब झेल लिया लेकिन भाई ने दूसरी बार भी यही हरकत करि और मेरी गांड मार ली।
मेरा नाम अश्विन है और यह मेरी दर्द भरी दास्तां है अंतर्वासना Gay Sex Kahani की। मैं सम्मिलित लड़का नहीं हूं मैं एक सीधा सेक्सुअल पसंद लड़का हूं। यानी मैं हर लड़के की तरह लड़कियों को ही देखकर मुट्ठ मारता हूं।
लेकिन मुझे अपने भाई के सेक्सवल्डलॉ इसका पता नहीं था और वह अपनी इस आग को मेरे ऊपर शांत करेगा ऐसा मैंने सोचा नहीं था।
यह वारदात शुरू होती है उस रात को जिस राज मेरा भाई लंबी-लंबी पोर्न वीडियोस देख रहा था और Mastram Sex Story पढ़ रहा था।। और मैं हर जूतिया की तरह अपनी पढ़ाई कर रहा था ताकि जिंदगी में कुछ बन पावर एक सेक्सी लड़की को पाकर उसे चोद पाऊं।
पूछ रहा था भाई ने हद ही पार कर दी थी और वह सुबह से लगातार चुदाई देख रहा था। वह उस रात बहुत ही ज्यादा गरम हो गया था और बस अपना लंड ही मचल रहा था बार-बार।
मैंने कहा – अभी बस कर और सो जा!!
उसने बोला – बस थोड़ी देर और और फिर सो जाऊंगा!!
वह फिर भी रात भर लगा रहा और पता नहीं कब मेरी आंख लग गई और मैं तो सो गया। वह भी शायद बाद में सो गया था लेकिन देर रात से सोया था वह।
रात के यही दो-तीन बज रहे होंगे और अचानक मुझे अपने पीछे कुछ डंडी जैसा महसूस हुआ। मैंने पीछे हाथ लगाया तो भाई की गली पकड़ ली हाथ में। मैंने एकदम से अपना हाथ हटा लिया और मेरी नींद भी खुल गई।
मैं उसकी तरफ पीठ कर कर सो रहा था। और भाई की तीसरी टाँग मेरी गांड में लग रही थी। मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं मेरे तो सब छोड़ो ऐसे ही है।
लेकिन फिर वह तीसरी टांग मेरी गांड के ऊपर हिलने लग गई और मुझे पता लगा मेरा भाई जाग रहा है। वह जानबूझकर अपने लंड को मेरी गांड के ऊपर हिला रहा था।
फिर उसने धीरे से मेरी पैंट खोल दी और मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई। मेरा दिल बहुत ही जोर जोर से धड़क रहा था और मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या रिएक्शन तू मेरी बॉडी तो सुन हो गई थी।
और इसी का फायदा उठाया मेरे को हरामी भाई ने।
उसने धीरे-धीरे कर कर मेरी गांड खोली और उसके अंदर अपनी लुल्ली घुसाने लगा। उसकी लड़की मेरी गांड में घुस भी नहीं रही थी बस थोड़ा सा टोपा ही अंदर गया था। और फिर उसने अपनी लुल्ली को मेरी गांड में अंदर बाहर करना चालू कर दिया।
ऊपर से ही मेरी गांड मार रहा था और बस उसका टोपा ही मेरी गांड में घुसा था। लेकिन फिर भी मुझे बहुत अजीब लग रहा था और मुझे दर्द भी हो रहा था। मुझे ऐसा महसूस हो रहा रहा जैसे ये गे लड़के का पहला वासना रोमांस हो। और वो बदनसीब लड़का मेही हूँ।
अचानक उसका लंड और भी ज्यादा खड़ा हो गया और उसने मेरी दोनों गांड के छेद को बड़ा किया और अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया।
मुझे बहुत ही ज्यादा दर्द हुआ और मेरे आंसू तक छलक गए। लेकिन मेरा भाई वह साला मेरी गांड मारने में ही लगा हुआ था।
इतनी ज्यादा कामवासना से मुझे इतना समझ में आ गया था कि मेरा भाई गे है और वह अपनी आग मेरे ऊपर बुझा रहा है।
कुछ देर बाद कहीं ना कहीं मुझे भी मज़ा आने लगा पता नहीं क्यों। मैं तो यह सोचता था मुझे लड़कियों में ही मजा आता है लेकिन जब वह मेरी गांड मार रहा था तुम मुझे बाद में उसमें भी मज़ा आने लगा।
और वह मेरी गांड को पीछे से चोदे ही जा रहा था। अपनी Gand Chudai करवाने में मुझे भी मज़ा आने लग गया था और हम दोनों कहीं ना कहीं वासना में बह गए थे।
फिर कुछ देर बाद उसका झड़ने वाला था और उसने अपनी रफ्तार और ज्यादा बढ़ा दी। मैं बस अपनी गांड को इधर-उधर मटका रहा था लेकिन वह पकड़ कर मुझे और जोर जोर से चोदने लगा।
फिर कुछ ही देर में उसका झाड़ गया और उसने अपना सारा माल मेरी गांड के ऊपर निकाल दिया। मुझे पहले तो थोड़ा सा अजीब लगा लेकिन फिर बाद में एक अजीब सी संतुष्टि महसूस हुई।
इसके बाद उसने अपना रुमाल निकाला और मेरी गांड पर लगा हुआ माल पोछ दिया।
मैंने मन में ही सोचा – सही है बेटा वारदात के कोई भी सुराग मत छोड़िओ!!
मेरी गांड की चुदाई करने के बाद और उसकी साफ सफाई करने के बाद वह ऐसे सो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं था और उसने कोई भी सबूत नहीं छोड़ा।
इस क्रिया कांड के बाद मुझे यह भी पता लगा कि मेरा सेक्सुअल पसंद सिर्फ लड़की ही नहीं लड़का भी है। मेरी कहानी सुनने में ऐसी लगती है जैसे गे XXX Story in Hindi में होता है। लेकिन मेरी यह कहानी सच है जिसे मैंने आप लोगों के साथ बांटा है।