मेरा नाम सनी है। पूरे छह फिट का हट्टा-कट्टा मस्त नौजवान हूँ और मूसल किस्म के लंड का मालिक हूँ। बात आज से करीब एक साल पहले की है, मैं अपने दोस्त रमन से मिलने के लिए उसके घर राजस्थान गया हुआ था। वैसे मुझे तब तक किसी लड़की को पेलने का अनुभव नहीं था। लेकिन उस यात्रा में जो सुख मुझे प्राप्त हुआ वो मुझे हमेशा याद रहेगा.. पढ़िए मेरी पहली dost ki sali hot hindi sexy story..
राजस्थान पहुँचते ही मेरे दोस्त ने मेरा बड़ी अच्छी तरह से स्वागत किया। वो एक अच्छे खानदान का लड़का था.. सो उसका घर भी किसी महल से कम नहीं था।
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दरअसल रमन ने मुझे उसके खुद के लिए लड़की चुनने के लिए ही बुलाया था। अगले दिन हमें लड़की देखने जाना था.. इसलिए रात को खाना खाकर में उसके साथ उसके कमरे में ही सो गया।
दूसरे दिन सुबह ही हमें लड़की देखने के लिए निकलना था। सुबह करीब आठ बजे मैं, मेरा दोस्त रमन, उसके पापा-मम्मी और उसकी छोटी बहन.. हम सब उनकी इनोवा गाड़ी में लड़की के घर जाने के लिए निकले। उसके घर से लड़की का घर करीब 3 घंटे की दूरी पर था।
रास्ते में हम काफ़ी मस्ती करते हुए करीब 11:30 पर लड़की के घर पहुँचे। dost ki sali hot hindi sexy story
वहाँ पहुँचते ही हम सबका बड़े ही शानदार तरीके से स्वागत किया गया। जिस लड़की के साथ मेरे दोस्त की सगाई होने वाली थी.. उसका घर भी किसी महल से कम नहीं था। हम सबको आराम के लिए अलग-अलग कमरे दिए गए। उस हिसाब से मेरा कमरा, मेरे दोस्त का कमरा और उसके पापा-मम्मी और उसकी बहन को अलग कमरा दिया गया।
शाम के वक़्त हमें लड़की से मिलना था तो हम सब खाना खाकर सोने की तैयारी में लगे हुए थे। मैं खाना खाकर बाथरूम में नहाने के लिए चला गया, तभी मेरे रूम के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
मैं बाथरूम में था इसलिए 3-4 बार आवाज़ देने पर मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे रूम के दरवाजे पर खड़ा होकर नॉक कर रहा है। जल्दबाज़ी में मैं वैसे ही आधा नहाया हुआ दरवाजा खोलने के लिए दौड़ा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. सामने एक बहुत ही सेक्सी लड़की चनिया-चोली में खड़ी हुई नज़र आई। जब मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि ये वही लड़की है जो हमारे स्वागत के वक्त ही मुझे घूर रही थी। उस वक्त मैंने रमन से पूछा था तब मुझे पता चल गया था कि इस लड़की का नाम प्रज्ञा है और वो रमन की होने वाली साली थी।
उसको इस तरह देख कर मैं हक्का-बक्का हो गया। एक तो मैं नहाते हुए दरवाजा खोलने आया था.. तो पूरा नंगा ही था और ऊपर से ऐसी सेक्सी लड़की को सामने देखते ही मेरा लंड प्रज्ञा के सामने मानो सलामी देने में लगा हो।
क्या मस्त फिगर था उसका.. हाय.. बड़े-बड़े मम्मे.. करीब 36 की साइज़ के, पतली कमर करीब 27 की साइज़ की और बड़ी सी गांड करीब 36 की साइज़ की होगी। कुल मिला कर एक चोदने लायक फुलझड़ी मेरे सामने खड़ी थी।
प्रज्ञा मुझे इस हालत में देखकर ज़ोर से हँस दी और फिर से मुझे देखने लगी। थोड़ी देर बाद उसने अपनी नज़र नीचे कर लीं। जब उसने अपनी नज़र नीचे की तब मुझे अहसास हुआ कि मैं पूरी तरह से नंगा हूँ। वो बार-बार मेरे लंड को घूरे जा रही थी। dost ki sali hot hindi sexy story
अचानक मुझे भी याद आया कि मैं तो टॉवेल के बिना ही बाहर आ गया था। मैंने जल्दी से अपनी स्थिति बदल कर उसके सामने उल्टा खड़ा हो गया और एक तकिया अपने लंड के पास रखकर वापिस उसके सामने खड़ा हो गया।
मैंने जब प्रज्ञा की ओर देखा तो पाया कि उसकी आँखें लाल हो गई थीं जो मुझे कच्चा खा जाने के लिए बेकरार लग रही थीं।
फिर मैंने सीटी बजाई तब वो झेंप गई और फिर से हँस दी। मैं समझ गया कि यह चुदने के लिए तैयार है.. पर मैंने जल्दबाज़ी ना करते हुए उसे पास में पड़े सोफे पर बैठने के लए कहा और वापस बाथरूम जाकर अपना शरीर पोंछकर कपड़े पहन कर वापस उसके पास आकर बैठ गया।
Dost ki sali hot hindi sexy story
काफ़ी देर तक खामोश रहने के बाद मैंने उसके साथ इधर-उधर की बात चालू की, बातों-बातों में मैंने जाना कि वो अभी पढ़ रही है।
मैंने थोड़ी और बात करने के बाद उससे पूछा- क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड है.. या नहीं है?
वो थोड़ी देर मेरे सामने देखती रही, फिर बोली- मैंने आज से पहले किसी लड़के के साथ बात तक नहीं की है।
यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। फिर मैंने अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए प्रज्ञा को फ्रेंडशिप का ऑफर किया.. तो उसने तुरंत ही अपना हाथ देते हुए मेरी दोस्ती स्वीकार कर ली।
अब मैंने उसके हाथ को अपने होंठों से चूम कर उसका धन्यवाद किया। मेरे छूते ही मानो उसके शरीर में एक सिरहन सी हुई और वो मुझसे लिपट गई। dost ki sali hot hindi sexy story
करीब दस मिनट तक मैं उसे अपनी बांहों में दबाए हुए बैठा रहा। इस स्थिति में मेरा चेहरा उसके चेहरे के सामने आ गया और मेरी साँसें उसकी सांसों में घुल रही थीं।
मैंने हिम्मत जुटाकर धीरे से उसके गुलाबी मखमली होंठों को चूम लिया।
प्रज्ञा मानो इस पल का ही इंतजार कर रही थी। उसने भी कसकर अपने होंठों के बीच मेरे होंठों को दबा लिया। धीरे-धीरे हमारा चुंबन और रोमांचक होता गया।
हमारे इस आपसी आकर्षण में मुझे याद आया कि कमरे का दरवाजा तो खुला ही है। मैंने प्रज्ञा के होंठों से अपने होंठ हटा कर दरवाजा बंद करने का इशारा किया। वो मेरी बात को समझते हुए मेरी बांहों से अलग हुई और मैं दरवाजा बंद करने चला गया।
जब मैं दरवाजा बंद करके लौटा तो प्रज्ञा सोफे पर नहीं थी.. वो बिस्तर के किनारे बैठी हुई थी.. मानो कोई नई-नवेली दुल्हन सज-धज कर अपनी चूत की ओपनिंग का इंतजार कर रही हो।
मैं धीरे से उसके पास गया और उसके सामने बैठ गया। मैं उसके इतने नज़दीक था कि मुझे उसके दिल की धड़कन तक सुनाई दे रही थी।
मैंने फिर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। करीब 5 मिनट की होंठ चुसाई के बाद अब मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन को सहलाना शुरू कर दिया।
प्रज्ञा अब धीरे-धीरे मेरी इस हरकत का मज़ा लेते हुए मेरे अंगों के साथ खेलने लगी। वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी और मैं उसके पूरे बदन को अपने होंठों के ज़रिए चाट-चाट कर उसकी वासना की आग को और भड़का रहा था।
अब हम दोनों को हमारे कपड़े मानो हमारे ही दुश्मन लग रहे थे। मैंने प्रज्ञा के बदन से एक-एक करके सारे कपड़े उतारने चालू कर दिए। पहले मैंने उसके चनिया-चोली के ऊपर डाले हुए दुपट्टे को उसके बदन से अलग किया और उसके एक मम्मे को चोली के ऊपर से ही सहलाने लगा। करीब दस मिनट उसके मम्मों को सहलाकर फिर मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिए और अपने होंठों से उसकी चोली को चूम-चूम कर धीरे से उसके बदन से अलग कर दिया।
मेरी इस हरकत से प्रज्ञा के रोंगटे खड़े हो गए। अब प्रज्ञा मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और चनिया पहन कर बैठी थी। dost ki sali hot hindi sexy story
इसी दौरान मैंने उसके सामने देखा तो मैंने पाया कि उसका पूरा चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया था। उसकी आँखें मुझे उसको और भड़काने का निमंत्रण दे रही थीं और उसका एक हाथ मेरी पैन्ट पर बने हुए तंबू पर अपनी मुहर लगा रहा था।
मैंने उसको और भड़काने के लिए उसको बिस्तर के ऊपर खड़ा होने को कहा.. तो वो अपनी अदा का जादू बिखेरते हुए धीरे-धीरे अपनी गांड को हिलाते हुए खड़ी हो गई.. जिस वजह से उसका चनिया मेरे चेहरे के सामने आ गया।
Maine हल्के से वहाँ अपने होंठ रखकर उसको चूम लिया.. जिसकी वजह से वो और भी मदहोश हो गई।
मैंने दोनों हाथों से उसके चनिए के नाड़े को खींच कर उसका चनिया उसके बदन से अलग कर दिया। अब ब्रा और पैन्टी में खड़ी प्रज्ञा मुझे बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
करीब 5 मिनट तक मैं उसे ऐसे ही देखते रहा। आगे का दौर संभालते हुए वो मेरे बगल में आकर धीरे से लेट गई और मुझे मेरे कपड़े उतारने का इशारा करने लगी।
मैंने उसे खुद ही अपने कपड़े उतारने के लिए कहा और उसके बदन के दोनों साइड अपने पैर रखकर अपना पजामा उसके मुँह तक ले गया।
वो मेरा इशारा समझ गई और मेरे लंड को पजामे के ऊपर से ही सहलाती हुई धीरे-धीरे पजामा को खोलकर नीचे कर दिया।
अब उसके सामने में सिर्फ़ अंडरवियर में था।
अब पूरे कमरे में सिर्फ़ मैं और प्रज्ञा आधे नंगे होकर बिस्तर के ऊपर एक-दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे.. मानो हम दो बदन से एक बदन होने की नाकाम कोशिश में जुट गए हों।
हमारी इस उत्तेजना में कब हमारे शरीर से बाकी के कपड़े निकल गए.. खुद हमें ही मालूम नहीं चला। हम दोनों पूरे नंगे होकर एक-दूसरे को बेतहाशा चूम और चाट रहे थे, एक-दूसरे के अंगों के साथ खेल रहे थे। dost ki sali hot hindi sexy story
मेरे मुँह में उसके रसभरे आम थे.. जिसके निप्पल मैंने चूस-चूस कर लाल कर दिए थे। प्रज्ञा की सिसकारियों से पूरा कमरा वासनायुक्त हो गया था।
मैंने धीरे से अपनी स्थिति को बदल कर उसके पूरे बदन तो चाटते हुए उसकी चूत पर अपना सर जमा दिया। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी.. प्रज्ञा को मानो कोई झटका लगा हो, वह उछल पड़ी और मारे वासना के उसने मेरा सर उसकी चूत पर कस लिया।
अब उसे भी मज़ा आने लगा था और वासना के मारे उसका पूरा शरीर हिल रहा था।
मैंने स्थिति को समझते हुए अपना लंड जो कि उसके मुँह के पास था, उसे प्रज्ञा के मुँह में ठूंसने लगा। प्रज्ञा मेरा इशारा समझ गई और पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में गटक गई।
मुझे तो जैसे कोई अफीम का नशा हो उठा।
अब मैं उसकी रसीली चूत चूस रहा था और वो मेरे लंड को खा जाने की कोशिश में जुटी हुई थी।
हम दोनों ही वासना के इस खेल के उस चरण में आ गए थे, जहाँ से हम दोनों का वापस जाना नामुमकिन था। प्रज्ञा और मैं अब फिर से स्थिति बदल कर एक-दूसरे के मुँह में मुँह डाल कर मानो एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ जाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। dost ki sali hot hindi sexy story
इस तरह किस करते-करते ही मैंने प्रज्ञा के पैर थोड़े फैला दिए और अपने लंड को उसकी रसीली चूत के साथ रगड़ कर उसे मेरा लंड अन्दर लेने के लिए उकसाने लगा। प्रज्ञा जल बिन मछली की तरह मेरा लंड अन्दर लेने के लए तड़प रही थी और मैं था.. जो उसकी चूत पर अपना लंड बार-बार घिसे जा रहा था।
वैसे ही अपनी करामात दिखाते हुए मैंने अपने लंड को धीरे से प्रज्ञा की चूत पर रखकर हल्का सा धक्का मारा और मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में फंस गया। लंड का सुपारा फंस जाने की वजह से उसे काफ़ी दर्द हो रहा था, पर मैंने उसके दर्द को अनदेखा करके उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबोच लिया और एक जोर का झटका लगा दिया। इस बम-पिलाट झटके से मेरा आधा लंड उसकी प्यारी चूत में चला गया।
वो दर्द से कलप गई।
मैं थोड़ी देर वैसे ही उसके होंठों को चूसता रहा और उसके दर्द के कम होने का इंतजार करने लगा। जैसे ही मुझे महसूस हुआ कि प्रज्ञा का दर्द अब कम हुआ है.. मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जा पहुँचा।
आख़िर मेरा तीर निशाने पर लग गया और प्रज्ञा जो कुछ देर पहले एक कच्ची कली थी.. वह अब फूल बन चुकी थी। उसकी चूत से थोड़ा खून निकला जो इस बात की गवाही दे रहा था कि इससे पहले चूत कुंवारी थी.. एक कच्ची कली थी। dost ki sali hot hindi sexy story
अब हम दोनों वासना के इस निराले खेल के आखरी पड़ाव के नज़दीक जा रहे थे। मैंने प्रज्ञा को उसकी पहली चुदाई में हर तरह से चोद-चोद कर यह एहसास दिला दिया था कि वो बस मेरी गुलाम सी हो गई थी। प्रज्ञा इस हद तक मुझे चाहने लगी थी कि अगर मैं उसको कहता कि मैं उसकी गांड मारना चाहता हूँ, तब भी वो मना नहीं करती। पर वास्तव में मैं उसे अपने प्यार की तरह ही संभाल कर रखना चाहता था।
मैं अब अपनी स्पीड बढ़ाते हुए ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा। वो मेरी इस सुनामी की ऐसी कायल हो गई कि वो 3 बार झड़ गई थी। अब मुझे भी मेरी मंज़िल करीब आते दिख रही थी।
मैंने प्रज्ञा से कहा- मैं अब आने वाला हूँ।
तो उसने मुझे अन्दर ही झड़ जाने के लिए कहा और 10-12 धक्कों में ही मेरा ये वासना से निराला खेल अपनी चरम सीमा पर जा पहुँचा।
सच में ऐसी दमदार चुदाई हुई कि हम दोनों ही थक कर एक-दूसरे के ऊपर नशे के मारे दस मिनट निढाल पड़े रहे।
आख़िर जब हमें होश आया तब फिर से एक-दूसरे को लंबा सा किस करके अलग हुए और बातें करने लग गए।
अब वो मुझे बहुत प्यार से देख रही थी, मैंने उससे पूछा- मुझे अन्दर झड़ने के लिए क्यों बोली थीं?
उसने बताया- मैं आपके प्यार की मुहर के तौर पर आपका सारा वीर्य अपने अन्दर महसूस करना चाहती थी और आपके वीर्य को अपने अन्दर लेकर मुझे स्वर्ग की खुशी का एहसास हुआ है।
दोपहर की इस प्यारी सी चुदाई के बाद शाम को हमने मेरे दोस्त रमन के लिए उस लड़की विध्या को उसकी मंगेतर के रूप में सिलेक्ट किया.. जो कि प्रज्ञा की ही बड़ी बहन थी। फिर दूसरे दिन वापस अपने दोस्त रमन के घर जाने के लिए हम निकल आए।
जाते वक़्त रमन और विध्या की आँखों में जो जुदाई का गम था.. उसके कई गुना ज़्यादा दर्द मेरी और प्रज्ञा की आँखों में था। हमने एक-दूसरे के फ़ोन नंबर लिए और आगे फिर से मिलने के वादे के साथ जुदा हो गए।
———समाप्त———
प्रज्ञा मुझे बाद में मिली भी थी पर sexy story फिर कभी.. इस hot hindi sexy story में फ़िलहाल इतना ही..
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