सुनिधि मैम पापा का लंड पकड़ कर चूस रही थी

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मेरा नाम वर्षा है और मेरी उमर 20 साल है, मेरे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार है, मेरी लंबाई 5’6″.. चुचियाँ 36″.. कमर 28″.. और गान्ड.. 34″ है. एक बात मैं आपको कुछ भी शुरू करने से पहले बता दूं कि मुझे नये नये लंड लेना बहोत पसंद है. Live Chudai Show

दर असल मेरी ये नटखट चूत मुझे नये नये लंड लेने पर मजबूर कर देती है. क्योकि इसमे खुजली बहुत होती है और इसी लिए मेरी इस प्यारी सी चूत ने आज तक करीबन 13 लंड का स्वाद चखा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वा लंड आप सभी मे से किसी का भी हो सकता है. केसे वो कहानी के अंत मे बताउन्गि, तो चलो अब कहानी स्टार्ट करती हूँ.

बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी, मेरा बर्थ डे बहोत नज़दीक आ रहा था और मुझे इसकी बड़ी खुशी भी थी. क्योकि मुझे बर्थ डे गिफ्ट बहोत पसंद है, क्योकि मेरे मोम डॅड मुझे हर बार एक अलग ही गिफ्ट देते है और वो हमेशा ही अच्छा होता है.

तो बात मेरे बर्थ डे से दो दिन पहले मैं रात को बाथरूम जाने के लिए उठी, मैं बाथरूम से जेसे ही बाहर निकली तो मैने एक साया सा देखा, पहले तो मैने अनदेखा कर दिया पर फिर जेसे ही मैं बेड पर बैठ और सोने लगी, तो मुझे डोर खुलने की आवाज़ आई, जिसे सुन कर मैं घबरा गयी.

क्योकि उस वक्त रात के 1:38 बज रहे थे, तो मैने सोचा कही कोई चोर तो नही है ना, तो इस लिए मैं धीरे से आगे बढ़ी और रूम से बाहर आई और लॉबी मे आ गयी और चारो ओर देखने लगी कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आई है. मैं बहोत डर रही थी पर मैने होसला सा करके अपने कदम मैन-डोर की ओर बढ़ाए और देखा कि डोर लॉक नही है.

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मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैने हल्के से डोर खोला और बाहर की ओर झाँकने लगी, और मैं क्या देखती हूँ कि एक आदमी हमारे घर के गेट पर एक कोने मे लगा हुआ बैठा और बाहर की ओर देख रहा है. पहले तो मुझे समझ नही आया कि वो कॉन है पर जेसे ही उसने अपना फोन निकाला और फोन ऑन किया.

तो उसकी लाइट से पता चला कि वो आदमी कोई और नही बल्कि मेरे डॅड है. मैं हेरान थी कि डॅड आख़िर वहाँ इस वक्त रात को क्या कर रहे है, मैं उन्हे आवाज़ लगाने ही वाली थी कि वो चोरों की तरह छुपते हुए वहाँ से उठे और बाहर की और जाने लगे.

मैने भी सोच लिया कि अब मुझे जानना ही पड़ेगा कि आख़िर माजरा क्या है, तो मैने भी छुपते हुए उनका पिछा शुरू किया और देखा कि वो हमारी पड़ोसन मिस सुनिधि के घर घुस गये. मैं जब वहाँ पहुँची तो मैने देखा कि गेट खुला हुआ है तो मैं भी उनके घर मे घुस गयी, पर वहाँ कोई नही था और एक दम अंधेरा था.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर डॅड गये तो गये कहाँ? फिर अचानक एक रूम की लाइट ऑन हो गयी और उस रूम की खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी. मैने तुरंत वहाँ से अंदर झाँका और मैं अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गयी.

मेरे पापा अंदर एक दम नंगे खड़े थे और मिस सुनिधि उनके लगभग 7″ लंबे और मोटे लंड को मूह मे लाकर मज़े से चूस रही थी. मैं ये सब देख कर हेरान थी पर मुझे गुस्सा भी बहोत आया कि डॅड ऐसा केसे कर सकते है. तभी अंदर से आवाज़ आने लगी.

सुनिधि – अम्म्म्म.. आमम्म्म.. डार्लिंग मुझे तुम्हारे लंड का स्वाद बहोत पसंद है.

डॅड – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

सुनिधि – नही आज तो मैं जी भर के तुम्हारे इस मोटे लंड को चूसने वाली हूँ.

डॅड – अहह.. नही बेबी आज हमें जल्दी करना होगा, मैं बड़ी मुश्किल से आया हूँ.

सुनिधि – ओह्ह्ह.. फ्फो कभी तो जल्द बाजी छोड़ दिया करो.

डॅड – आह.. तुम मस्त चूस रही हो बेबी चुस्ती रहो.

सुनिधि – क्यो तुम्हारी वो कुत्ति पत्नी तुम्हारे लंड से नही खेलती क्या.

डॅड – नही वो ऐसे चुसाइ कभी नही करती मेरी जान कम ऑन अह्ह्ह्ह..

मुझे ये सुनकर बहोत गुस्सा आया, पर देखते ही देखते डॅड अपने असली रूप मे आ गये और उन्होने मिस सुनिधि को बेड पर लिटाया और अपने मोटे तगड़े साँप को उसकी चूत की गहराइयों मे पहुचा दिया, और कब डॅड ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कब रूम से आहह.. आह.. की आवाज़े आने लगी पता ही नही चला.

डॅड पूरी रफ़्तार से मिस सुनिधि की ठुकाई कर रहे थे, वो लंड को पूरा बाहर निकालते और स्टाककक से पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देते, इससे सुनिधि की चीख निकल जाती और वो डॅड वो गालिया निकालने लग गई, और डॅड भी उसकी माँ बहेन कर देते.

वो चुदाई इतनी मजेदार हो गयी थी कि मेरा हाथ भी कब मेरी नरम से चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला और मैने लोअर मे हाथ घुसाया और अपनी चूत मे उंगली घुसाने लगी.  डॅड धड़ा धड़ सुनिधि की चुदाई कर रहे थे.

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सुनिधि – चोद साले चोद आहह.. फाड़ दे मेरी चूत बहेन चोद साले अह्ह्ह्ह..

डॅड – तेरी माँ की चूत साली कुतिया बहेन की लौडी, ले ये ले बहेन चोद.

सुनिधि – ह.. चोद चोद मेर राजा आहह.. फाड़ दे आअज..

डॅड – अहह.. तेरी चूत आज बड़ी टाइट लग रही है, क्या हुआ तेरी वो खस्सि पति तेरी बजाता नही है क्या?

सुनिधि – नही वो बहेन का लोड्‍ा है साला बस काम करता रहता है सारा दिन रात ऑफीस मे.

सुनिधि – साले तू उस माँ चोद भोन्सडि के बीज का नाम क्यो ले रहा है, मेरा मज़ा खराब होता है.

डॅड- साली कुतिया ले तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ आज.

और इतना बोलते ही डॅड ने पूरी रफ़्तार से मिस सुनिधि की चुदाई करना शुरू कर दिया. सुनिधि चिल्लाती रही पर डॅड एक ही पोज़ मे उसे 30 मिंट तक लगातार चोदते रहे, और इस दोरान वो तीन बार झड़ी पर डॅड बिना रुके उसे धड़ा धड़ बस चोदते रहे.

डॅड को देख कर मेरा नज़रिया अब उनके लिए कुछ और ही हो चुका था, उनका वो मोटा लंड मेरी आँखो मे वासना जगा चुका था और ये सोचते सोचते मैं भी झड़ गयी, और उधर डॅड ने भी लंड चूत से निकाला और पचछररर पचछररर वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर सुनिधि का सारा शरीर अपने गरम गरम माल से नहला दिया.

मैं तो ये सब देख कर एक दम हेरान थी, मैने ऐसा दृश्य पहले कभी न्ही देखा था. डॅड का लंड अब आधा मुरझा गया था और इस दशा मे वो और भी सेक्सी लग रहा था. मैं तो जेसे उनके लंड की दीवानी सी हो गयी थी, फिर मैने वहाँ देर नही की और वहाँ से घर आ गई और थोड़ी देर बाद डॅड भी चुपके से आए और अपने रूम मे जा कर सो गये.

मैने उस दिन रात भर डॅड को सोच कर अपनी चूत मे उंगली की और कई बार झड़ी. रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग.

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

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खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस सुनिधि के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी.

पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी. मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस सुनिधि हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड सुनिधि जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है.

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसीलिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – वर्षा ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और सुनिधि के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और सुनिधि जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी सुनिधि से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी. मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्थ डे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए.

डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था. हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

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सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी. और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था. मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी.

मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ. फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत.

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