मेरी भावना दीदी

18 साल के लड़के की जिज्ञासा बहुत तगड़ी होती है. मैं अपनी बहनों को बाथरूम में नहाते हुए चुपके से देखता था. गजब की क़यामत थी मेरी भावना दीदी. एक मनमोहक meri bhawna didi sex kahani पेश है..

यह घटना करीब आठ साल पहले की है, ताऊ जी की दो लड़कियाँ हैं, उस समय बड़ी वाली भावना दीदी 22 साल की और छोटी वाली 19 साल की थीं। मैं 18 साल का था, पर मुझे भावना दीदी बहुत अच्छी लगती थीं।

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वो मुझको बच्चा समझती थीं, पर मैं उनको एक सुंदर लड़की की तरह देखता था। उनका गोरा बदन और उभरे हुए मम्मे मुझे पागल कर देते थे। उनके साइज इस उम्र में इतने बड़े थे कि जब वो बिना दुपट्टे के चलती थीं तो उनकी हल चल और थरथराहट किसी को भी पागल करने के लिए काफी थी और यहाँ तो रोज ही पागल होने का सामान मौजूद था .

हमारे बाथरूम के दरवाजे में छोटे-छोटे छेद थे, कभी-कभी मौका मिलने पर मैं भावना दीदी को नहाते हुए देखता था। उनकी हल्के भूरे रंग के चूचुक मेरे लंड को खड़ा कर देते थे और उनकी गोरी चूत में से बाहर निकली हुई खाली दूध की चाय के रंग जैसी चूत की जीभ (क्लिट) मुझको पागल कर देती थी।

मुझे अभी तक याद है की मै अपना पहला मुठ मेरी दीदी के लिए ही मारा था. एक सन्डे सुबह सुबह जैसे ही मेरी दीदी बाथरूम से निकली मै बाथरूम मे घुस गया. मै बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलना शुरू किया. मुझे जोरो की पिशाब लगी थी. पिशाब करने के बाद मै अपने लंड से खेलने लगा.

एका एक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे दीदी के उतरे हुए कपड़े पर पड़ी. वहां पर दीदी अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गयी थी. जैसे ही मैने दीदी की नाइटगाऊन उठाया तो देखा की नाइटगाऊन के नीचे दीदी की ब्रा पडा हुआ था. जैसे ही मै दीदी का काले रंग का ब्रा उठाया तो मेरा लंड अपने आप खडा होने लगा. मै दीदी के नाइटगाऊन उठाया तो उसमे से दीदी के नीले रंग का पैँटी भी गिर कर नीचे गिर गया. मैने पैँटी भी उठा लिया. अब मेरे एक हाथ मे दीदी की पैँटी थी और दूसरे हाथ मे दीदी के ब्रा था.

दीदी के अन्दर वाले कपड़े चूमे से ही कितना मज़ा आ रहा है यह वोही ब्रा हैं जो की कुछ देर पहले दीदी के चुन्चिओं को जकड रखा था और यह वोही पैँटी हैं जो की कुछ देर पहले तक दीदी की चूत से लिपटा था. यह सोच सोच करके मै हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था. मै सोच नही पा रहा था की मै दीदी के ब्रा और पैँटी को ले कर क्या करूँ. मै दीदी की ब्रा और पैँटी को ले कर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नही क्या क्या किया. meri bhawna didi sex kahani

मैने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला. ब्रा को अपने छाती पर रखा. मै अपने खड़े लंड के ऊपर दीदी की पैँटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था. फिर बाद मे मैं दीदी की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया. फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग मे फँसा दिया और पैँटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फँसा दिया.

अब ऐसा लग रहा था की दीदी बाथरूम मे दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं मै झट जा कर दीदी के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं दीदी की चुंची चूस रहा हूँ. मै अपना लंड को दीदी के पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मै दीदी को चोद रहा हूँ.

मै इतना गरम हो गया था की मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मै झड़ गया. मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से दीदी की पैँटी और नाइटगाऊन भीग गया था. मुझे पता नही की मेरे लंड ने कितना वीरज़ निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे दीदी के नाम पर निकला था.

मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज़ था की मेरे पैर जवाब दे दिया और मै पैरों पर ख़ड़ा नही हो पा रहा था और मै चुप चाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया. थॉरी देर के बाद मुझे होश आया और मै उठ कर नहाने लगा. शोवेर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुआ और मै फ़्रेश हो गया. meri bhawna didi sex kahani

नहाने बाद मै दीवार से दीदी की नाइटगाऊन, ब्रा और पैँटी उतारा और उसमे से अपना वीरज़ धो कर साफ़ किया और नीचे रख दिया. उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मरने का तरीक़ा मेरा सबसे फ़ेवरेट हो गया. हाँ, मुझे इस तरह से मै मरने का मौक़ा सिर्फ़ इतवार को ही मिलता था. क्योंकि, इतवार के दिन ही मै दीदी के नहाने के बाद नहाता था. इतवार के दिन चुप चाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था की कब दीदी बाथरूम मे घुसे और दीदी के बाथरूम मे घुसते ही मै उठ जाया करता था और जब दीदी बाथरूम से निकलती तो मै बाथरूम मे घुस जाया करता था.

और अपना कारनामा अंजाम दिया करता था .

एक दिन को तो मैं भूल ही नहीं सकता, मैं भावना दीदी और पूजा (छोटी बहन) घूमने गए वहाँ एक झरना था।

सबने नहाने का मन बनाया…। भावना दीदी मुझको तो बच्चा समझती थीं,

उन्होंने कहा कि हम लोग जल्दी से नहा कर वापस चलेंगे इस लिए सब लोग अपने कपडे उतार कर इस पास के पत्थर पर रख दो जिससे गीले न हो जाएँ .

भावना दीदी ने अपना दुपट्टे को उतार कर पत्थर पर रख दिया ,नजारा देखने वाला था उनके सीने के दोनों गोलार्ध अपनी छठा बिखेर रहे थे .उन्होंने मुझे अपनी और देखते हुए देख कर कहा, ” अब क्या देख रहे हो जल्दी से अपने कपडे उतार कर पत्थर पर रखो “.

और उन्होंने अपना कुरता उतार दिया उनका सांचे में ढला बदन सूरज की रोशनी से और निखर उठा और उनकी गोलाइयों के उत्तुंग शिखर पर्वतो के शिखरों से मुकाबला करने को लालायित दिख रहे थे ब्रा में उनके पयोधर कैसे समां रहे थे मुझे आश्चर्य हो रहा था meri bhawna didi sex kahani

अभी तक तो इनके दर्शन अँधेरे बाथरूम में ही ,वो भी छेद से ही हुए थे .

इसके बाद उन्होंने अपने सलवार का नाड़ा खिंच दिया ,और वह एकाएक नीचे गिर पड़ा

उसके नीचे गिरते ही उनकी पुष्ट जांघो व् गठीली पिंडलियों का दृश्य ,बस जान लेने वाला था

पर साथ ही वहां पड़े हुए पानी से भीग गया और दीदी ने कहा ,” अरे यह तो भीग गया , अब मैं क्या करुँगी ?”

मैंने भी कहा , हाँ अब तो यह भीग गया ,अब तो इसे सुखाना पड़ेगा .

उन्होंने कहा, ” जल्दी से इसे पास वाले पत्थर पर रख दो ,जिससे जल्दी सूख जाये .”

मैं उसे उठाने के लिए जल्दी से झुका और उनकी जांघो को नजदीक से देखने का लोभ संवरण न कर पाया और जल्दी से जांघों के संधि प्रदेश पर नजर डाल कर सलवार उठा लिया .

इसलिए उन्होंने और पूजा ने अपने कपड़े उतार दिए और केवल ब्रा और चड्डी में नहाने लगीं।

भीगे हुए चड्डी और ब्रा में उनके चूचुक और चूत की फाँकें.. सब दिख रहा था। मेरा लंड तो चड्डी में से बाहर आ गया,

पर मैं पानी के अंदर था तो किसी को पता नहीं चला। थोड़ी देर मैं दोनों बाहर निकल गईं।

मैंने कहा- मैं अभी आता हूँ। meri bhawna didi sex kahani

मेरा लंड बैठ नहीं रहा था, तभी भावना दीदी ने अपने कपड़े उठाए और पेड़ों के पीछे चली गईं। मैं समझ गया कि वो कपड़े बदली करेंगी। मैं चुपचाप पेड़ के पीछे छिप गया। भावना दीदी ने अपनी ब्रा उतार दी।

अय.. हय…गोरे गोरे बोबों पर लाल-लाल चूचुक !!

मैं अपना लंड हिलाने लगा फिर उन्होंने अपनी चड्डी उतार दी। गोरी चूत और उस पर एक भी बाल नहीं था। मेरा मन कर रहा था कि उनकी चूत को खा जाऊँ, पर मैंने अपने आप को संभाला।

तभी पूजा ने भी अपनी चड्डी उतार दी। उसकी चूत पर हल्के बाल थे। पूजा को सूसू लगी और वो साइड में करने लगी। उसकी खुली हुई चूत को देख कर मेरा पानी निकल गया।

मैंने जल्दी से कपड़े उठाए और पहन कर वहीं बैठ गया। दोनों कपड़े पहन कर आईं और हम घर चले गए।

मेरे पापा ने भावना दीदी को, मुझे इंग्लिश पढ़ाने को कहा। मेरे लिए तो भावना दीदी के पास रहना ही बड़ी बात थी। मैं रोज रात को भावना दीदी के कमरे में चला जाता।

वो रात में छोटा सा नेकर और टी-शर्ट पहन कर सोती थीं, पर अंदर ब्रा नहीं पहनती थीं। उनके निप्पलों के उभार दिखते रहते और मैं उनके बोबों को देखता रहता था। उनके बदन की खुशबू मेरी नींद उड़ा देती थी। ऐसे ही चलता रहा, पर भावना दीदी को मुझ पर कभी-कभी शक होता था, पर वो मुझ को बच्चा ही समझती थीं।

एक दिन भावना दीदी ने रात में फ्रॉक पहन रखी थी। उस पर आगे बटन थे। मैं रोज की तरह उनके कमरे में था। वो किताब से पढ़ा रही थीं। पढ़ाते-पढ़ाते वो सो गईं। नींद में उनकी फ्रॉक थोड़ी सी ऊपर हो गई। उन्होंने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी और उनके गोरे-गोरे कूल्हों को देख कर मेरा लंड बेकाबू हो गया। meri bhawna didi sex kahani

मैंने धीरे से उनकी फ्रॉक को और ऊपर कर दिया और उस का एक बटन भी खोल दिया। वहाँ उनकी गोल-गोल गोरे चूतड़ों के बीच में से गुलाबी चूत की लाइन दिख रही थी। मैंने धीरे से अपना लंड निकाल कर उन की गांड से लगा दिया। भावना दीदी हल्की सी हिलीं तो मैं सोने की एक्टिंग करने लगा। वो चादर ओड़ कर सो गईं, पर मेरा लंड तो बस रुक ही नहीं रहा था।

दूसरे दिन पूजा ने भावना दीदी को सब बता दिया। मैं तो शर्म से उनके पास भी नहीं गया। दो दिन बाद भावना दीदी ने मुझे बुलाया और पढ़ने को कहा, मैं चुपचाप पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे पानी लाने को कहा। मैं पानी ला कर फिर पढ़ने लग गया।

थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा- तुम पढ़ते रहो, मैं ज़रा लेटी हूँ।

भावना दीदी चादर ओड़ कर लेट गईं और शायद वे सो गई थीं। तभी उन का एक पांव मेरे ऊपर आ गया और उनकी चादर सरक गई। मैंने देखा वो पूरी नंगी सो रही हैं। उनकी गोरी जाँघ दिखने से मेरा लंड खड़ा हो गया था।

तभी भावना दीदी ने आँखें खोल लीं और बोलीं- मैं तुमको अच्छी लगती हूँ?

“मेरी तरफ देखो !”

मैंने कहा-” हाँ !”

तो इसमे शर्माने की क्या बात है ,मैं जवान हूँ और मतलब भर की सुन्दर भी हूँ

भले ही तुम्हारी बहन हूँ ,पर ……
“आखिर हूँ तो लड़की ही ,और तुम भी चाहे जितना भाई दिखने का दिखावा करो
देखोगे तो मेरे उरोज ही ‘”.

मैंने हकलाते हुए कहा ,”दीदी आप क्या बोले जा रहीं है . meri bhawna didi sex kahani

मैं देख रहीं हूँ कि तुम्हारी नजरे मेरे वक्षस्थल पर टिकी रहती हैं .

मैं शर्म से पानी -पानी हो रहा था ,पर वे थी कि बोलती ही जा रही थी

“तो बताओ… तुमको क्या आता है !”

मैं , “मतलब “.

मतलब ये कि तुम देखना ही चाहते हो या कुछ करने का भी इरादा है

मैंने घबराते हुए कहा ,”अरे आप क्या कह रहीं हैं ,मेरी समझ में नहीं आ रहा है “.
“देखोगे मेरे ये “,उन्होंने अपने भरे पूरे वक्ष -स्थल को हाथ से ऊपर करते हुए कहा .
वह क्या समां था , शब्दों में बयान करना संभव नहीं है

“कर के बताऊँ दीदी?”

“हाँ बता !”

उन्होंने अपनी एक टांग सीधी और एक टांग घुटना मोड़ कर रख ली। मुझको वो लेटी हुई कयामत लग रही थी। मैंने फुर्ती से अपनी शर्ट उतारी और उनकी टांगों पर चूमने लगा। उनकी टांगों, फिर जांघों को चूमते-चूमते उनकी चूत की ओर बढ़ा ,किन्तु चूत को नहीं छुआ ,उसके चारों ओर अपनी जीभ से उनकी उत्तेजना और बढ़ा रहा था ,पर छू नहीं रहा था
उत्तेजना वश वे अपना सर इधर उधर कर रहीं थी .पर उन्हें चैन नहीं पड़ रहा था ,वे तड़प रहीं थी और मदिर मदिर सिस्कारियां भी भर रही थीं

वो तड़प रही थीं, उनकी चूत का नमकीन स्वाद मुझको आज भी याद है।थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद मेरा लंड पूरा तन गया था। मैंने अपने रहे सहे कपड़े भी उतार दिए और पूरा नंगा होकर उनके सामने खड़ा हो गया और अपने हाथ उनके वक्ष पर रखेऔर स्तनों को धीरे से अपने हाथों में भरने का भरपूर प्रयास किया पर असफल रहा ,अंततः उनके मन का मर्दन करते हुए अपने हाथों का भार उन पर रख दिए।। meri bhawna didi sex kahani

एक बार उनकी तरफ़ देखा तो वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। मैंने देखा कि उसका चेहरा वासना से लाल हो चुका था।मैंने हिम्मत करके उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया वो धीरे से मेरे लण्ड को मसलने लगी। हमने एक दूसरे की तरफ़ देखा और एक दूसरे के करीब आ गये। हम एक दूसरे की तरफ़ देख ही रहे थे कि मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसको चूमने लगा।

मैंने उसे लेट जाने को कहा तो वो लेट गई। अब मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके बाएँ स्तन पर अपना मुँह रखा और उसे चूसने लगा। साथ ही मैंने अपने एक हाथ से उसके दूसरे स्तन को मसलना शुरु कर दिया। इससे वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई। वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।

अब मैंने धीरे-धीरे उनके बदन पर हाथ फेरना शुरु कर दिया और फिर उनके गोरे-गोरे बोबों को चूसने लगा। भावना दीदी को मजा आ रहा था। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उनका बदन बिल्कुल चिकना था। मैं तो पागल सा हो गया था। उनके पूरे बदन को चाट रहा था। meri bhawna didi sex kahani

मैंने धीरे-धीरे उनके बदन पर हाथ फेरना शुरु कर दिया और फिर उनके गोरे-गोरे बोबों को चूसने लगा। भावना दीदी को मजा आ रहा था। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उनका बदन बिल्कुल चिकना था। मैं तो पागल सा हो गया था। उनके पूरे बदन को चाट रहा था।

फिर मैंने उनकी दोनों जाँघ को खोल दिया और उनकी गुलाबी चूत को चाटने लगा। वो तड़प रही थीं, उनकी चूत का नमकीन स्वाद मुझको आज भी याद है।

फिर भावना दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं।

‘आह’ मेरा तो पानी निकल गया।

पर भावना दीदी ने मेरा लंड को चूसना बंद नहीं किया। मेरा लंड एक बार फिर से पूरी पावर में था। फिर वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत में डाल दिया।

“ओह…अह… उनकी चूत बिल्कुल गर्म थी !” meri bhawna didi sex kahani

वो ऊपर बैठ कर जोर-जोर से उचकने लगीं। मैं उनके बोबों को पकड़ कर दबाने लगा। वो और जोर से हिलने लगीं। उनकी ‘आह्ह’ निकल रही थी और फिर उनका पानी निकल गया…!

Vo मेरे ऊपर ही लेट गईं। उनका पूरा बदन मेरे ऊपर था और मैं उसकी गर्मी को महसूस कर सकता था। फिर भावना दीदी ने मेरे कान मे कहा, “अब सो जा।”

वो उठ कर बाथरूम में चली गईं और नहा कर सो गईं।

उन दिनों मैंने भावना दीदी को 5-6 बार चोदा। उनके मुंबई वापस जाने से पहले वाली रात को भी चोदा था, पर भावना दीदी ने गांव आना बंद कर दिया।

मैं समझ गया, वो चाहती हैं कि जो भी कुछ हुआ, उसे भूल जाओ। आज मेरी शादी हो चुकी है और भावना दीदी की भी हो चुकी है। meri bhawna didi sex kahani

पता नहीं उनको याद है या नहीं पर मुझको आज भी उनकी गुलाबी चूत का स्वाद और उनके बदन की खुशबू याद है और हमेशा रहेगी।

———समाप्त———

क्या दिन थे वो भी.. आपको मेरी ये didi sex kahani जरूर पसंद आई होगी..

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