Meri Biwi priti aur roohi bhabhi 2 Bhabhi ki Chudai
मेरी बीवी प्रीति के रोने पे रूही भाभी ने मेरा लंड देखा। मेरा जानदार औजार देख कर भाभी की भी नीयत डौल गयी। लग रहा था वो मुझसे चुदवाना छह रही थी। इस मस्त Meri Biwi priti aur roohi bhabhi 2 Bhabhi ki Chudai ki kahani का अगला भाग-
मैं कमरे में आ गया और मैंने अपनी लुंगी उतार दी। मैंने प्रीति से अपनी साड़ी उतारने को कहा तो उसने इस बार खुद ही अपनी साड़ी उतार दी। साड़ी उतारने के बाद प्रीति खुद ही बेड पर सैंडल पहने हुए पेट के बल लेट गयी। मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया। उसके बाद मैंने जैसे ही अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर रखा तो उसने अपना मुँह दबा लिया। उसके बाद मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो ज्यादा जोर से नहीं चीखी।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी गाण्ड में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया तो वो आहें भरने लगी। थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसने जोर की आह भरी और मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में दो इंच तक घुस गया।
मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो वो जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मेरा लण्ड बहुत मोटा था ही। अब तक उसकी गाण्ड में तीन इंच ही घुस पाया था। मैं रुक गया लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी। मुझे गुस्सा आ गया तो मैंने जोर का एक धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में चार इंच तक घुस गया।
वो और ज्यादा जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “दीदी, बचाओ मुझे। मैं मर जाऊँगी…”
उसके चिल्लाने की आवाज़ सुन्कर रूही भाभी ने बाहर से पूछा- “अब क्या हुआ?”
वो रोते हुए कहने लगी- “दीदी, मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी…”
रूही भाभी ने कहा- “अच्छा तुम दोनों बाहर आ जाओ…”
मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकाला और हट गया। मेरे लण्ड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गये। प्रीति ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया।
बाहर आने के बाद रूही भाभी प्रीति को समझाने लगी- “देखो प्रीति अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा। हर औरत को पहली-पहली बार दर्द होता है और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है…”
प्रीति रो रो कर कहने लगी- “दीदी, मैंने अपने आपको संभालने की बहुत कोशिश की। लेकिन मैं दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पायी, इसलिये मेरे मुँह से चीख निकल गयी। इनका औज़ार भी तो बहुत बड़ा है…”
रूही भाभी ने कहा- “औज़ार तो सबका बड़ा होता है। लेकिन एक बार जब अंदर घुस जाता है फिर कभी भी बड़ा नहीं लगाता। उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आयेगा…”
प्रीति बोली- “दीदी, मेरी बात पर विश्वास करो, इनका औज़ार बहुत बड़ा है। मैंने बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है लेकिन इनके जैसा औज़ार मैंने आज तक कभी नहीं देखा। तुम चाहो तो खुद ही देख लो, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास हो जायेगा…”
रूही भाभी के हाथ में शराब का भरा ग्लास था। उन्होंने एक घूँट पीते हुए मुझसे कहा- “जय, दिखा तो सही अपना औज़ार। जरा मैं भी तो देखूँ कि ये बार-बार क्यों तेरे औज़ार को बहुत बड़ा कह रही है…”
मैंने कहा- “भाभी, मुझे शरम आती है…”
रूही भाभी ने कहा- “मैं तो तेरी भाभी हूँ, मुझसे कैसी शरम… अपना औज़ार बाहर निकालकर दिखा मुझे। “
मैंने शरमाते हुए अपनी पैंट खोल दी। मेरा लण्ड पहले से ही खड़ा था। मेरा नौ इंच लंबा और खूब मोटा लण्ड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। उसपर खून भी लगा हुआ था।
रूही भाभी ने जैसे ही मेरा लण्ड देखा तो उन्होंने अपना हाथ मुँह पर रख लिया और बोली- “बाप रे… तेरा औज़ार सचमुच बहुत ही बड़ा है। मैंने भी ऐसा औज़ार तो कभी देखा ही नहीं था। अब मेरी समझ में आया की प्रीति क्यों इतना चिल्लाती है…”
मैंने देखा की रूही भाभी की आँखें जो पहले से नशे में लाल थीं, अब मेरे लण्ड को देखकर चमक उठी थीं। उन्हें भी जोश आने लगा था क्योंकी मेरा लण्ड देखने के बाद उन्होंने गटागट अपना ग्लास खाली किया और अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था।
मैंने कहा- “भाभी, तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। मैं अपना औज़ार छोटा तो नहीं कर सकता…”
रूही भाभी ने प्रीति से कहा- “इसका औज़ार तो सच में बहुत बड़ा है। तुम्हें दर्द को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा नहीं तो बड़ी बदनामी होगी…” रूही भाभी ने प्रीति को बहुत समझाया तो वो मान गयी।
रूही भाभी ने प्रीति से कहा- “अब तुम अपने कमरे में जाओ। मैं इसे समझा बुझाकर तुम्हारे पास भेज देती हूँ…”
प्रीति कमरे में चली गयी। रात के दो बज रहे थे। रूही भाभी ने फिर अपने ग्लास में शराब ले ली और दो घूँट पीकर मुश्कुराते हुए मुझसे कहने लगी- “देवर जी, तुम्हारा औज़ार तो वाकयी बहुत ही बड़ा है और शनदार भी। मैंने आज तक अपनी ज़िंदगी में ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। मेरा मन इसे हाथ में पकड़कर देखने को कह रहा है, देख लूँ?” उनकी आवाज़ नशे में काँप रही थी।
मैंने कहा- “भाभी, आप क्या कह रही हो? आज आपने बहुत ज्यादा पी ली है और आप नशे में हो…”
वो बोली- “तुम्हारे भैया को गुजरे हुए एक साल हो गया। आखिर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी। मेरा मन भी कभी-कभी इधर-उधर होने लगाता है। तुम तो मेरे देवर हो। हर औरत अच्छे औज़ार को पसंद करती है। मुझे भी तुम्हारा औज़ार बहुत ही अच्छा लग रहा है। अगर मैं तुमसे लग जाती हूँ तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जायेगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा…” इतना कहकर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मैं भी आखिर मर्द ही था। मुझे रूही भाभी का लण्ड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा इसलिये मैं कुछ नहीं बोला।
थोड़ी देर तक मेरा लण्ड सहलाने के बाद वो बोली- “तुमने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ की तुम भी एकदम भूखे होगे। मेरी इच्छा पूरी करोगे?”
मैंने कहा- “अगर तुम कहती हो भला मैं कैसे इनकार कर सकता हूँ। आखिर मैं भी तो मर्द हूँ और तुम्हारे सिवा मेरा इस दुनिया में और कौन है…”
वो बोली- “फिर तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ…” इतना कहकर रूही भाभी प्रीति के पास चली गयी।
मैंने देखा की वो काफी नशे में थीं और उनके कदम लड़खड़ा रहे थे। ऊँची एंड़ी के सैंडलों में उन्हें डगमगाते देखकर मेरे लण्ड में एक लहर सी दौड़ गयी। उन्होंने प्रीति से कहा- “अब तुम सो जाओ। रात बहुत हो चुकी है। मैं जय को सब कुछ समझा दूँगी। उसके बाद मैं उसे सुबह तुम्हारे पास भेज दूँगी। मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देती हूँ…”
प्रीति बोली- “ठीक है, दीदी…”
रूही भाभी प्रीति के कमरे से बाहर आ गयी और उन्होंने प्रीति के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर लिया। उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गयी। मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था। लूँगी तो मैंने पहले ही उतार दी थी। कमरे में पहुँचते ही रूही भाभी ने कहा- “देवर जी, तुमने अपना औज़ार इतने दिनों तक कहाँ छिपा रखा था। बड़ा ही प्यारा औज़ार है तुम्हारा…”
मैंने कहा- “मैंने कहाँ छिपाया था, यहीं तो था तुम्हारे पास…”
वो स्टूल से शराब की बोतल उठा उसपे सीधे मुँह लगाकर पीते हुए बोली- “मेरे पास आओ…”
मैं उनके नज़दीक चला गया और बोला “भाभी… आपको मैंने इतनी ज्यादा शराब पीते हुए पहले नहीं देखा। मुझे भी एक पैग दो ना…”
उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए बोली- “देवर जी। आज तो बहुत ही खास दिन है। मैं बस मदहोश हो जाना चाहती हूँ पर तुझे नहीं दूँगी। मुझे पता है तू पहले से पीकर आया था। और तू मर्द है। थोड़ी सी भी ज्यादा हो गयी तो तेरा ये बेहतरीन औज़ार ठंडा पड़ जायेगा…” फिर वो कहने लगी- “मैंने आज तक ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। हर औरत अच्छा औज़ार पसंद करती है। मुझे तो तुम्हारा औज़ार बहुत पसंद आ गया है। आज मैं तुमसे लग जाती हूँ। तुमसे चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा। लेकिन जैसे तुमने प्रीति के साथ किया था उस तरह मेरे साथ मत करना नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ होगी और मेरे मुँह से भी चीख निकल जायेगी। प्रीति पास के ही कमरे में है, इसका ख्याल रखना…”
मैंने कहा- “अच्छा…”
थोड़ी देर तक रूही भाभी मेरा लण्ड सहलाती रही और शराब पीती रही। उसके बाद उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये और एकदम नंगी हो गयी। रूही भाभी भी बहुत ही खूबसूरत थी। वो अपने सैंडल उतारने लगी तो मैंने उन्हें रोका।
वो मुश्कुराते हुए बोली- “तो तू भी अपने भैया की तरह औरतों के ऊँची एंड़ी के सैंडल देखकर उत्तेजित होता है?”
मैं थोड़ा सा शरमाया।
तो वो बोली- “शमार्ता क्यों है। ज्यादातर मर्दों को ऊँची एंड़ी के सैंडल पहनी औरतें उत्तेजक लगती हैं। इसीलिये तो मैं हरदम ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने रहती हूँ…” उसके बाद वो सैंडल पहने हुए ही बेड पर लेट गयी और बोली- “अब थोड़ा सा तेल अपने लण्ड पर लगा लो और आ जाओ…”
मैंने कहा- “क्या भाभी, आपने तो भैया से बहुत बार चुदवाया है, आप मुझसे तेल लगाने को कह रही हैं। बिना तेल के ज्यादा मज़ा आयेगा…”
वो बोली- “फिर देर किस बात की। आ जाओ…”
मैं रूही भाभी के पैरों के बीच आ गया।
रूही भाभी ने कहा- “आराम से घुसाना, जल्दी मत करना। जब मैं रोकूँगी तो रुक जाना…”
मैंने कहा- “ठीक है…”
वो बोली- “चलो अब धीरे-धीरे अंदर घुसाओ…”
मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा रूही भाभी की चूत के मुँह पर रख दिया और धीरे-धीरे अपना लण्ड रूही भाभी की चूत में घुसाने लगा। जैसे ही मेरे लण्ड का सुपाड़ा रूही भाभी की चूत में घुसा तो उनके मुँह से आह निकल गयी। उनकी चूत मुझे ज्यादा टाइट लग रही थी। मेरा लण्ड आसानी से घुस नहीं पा रहा था। मैं जोर लगाकर धीरे-धीरे अपना लण्ड रूही भाभी की चूत में घुसाने लगा। रूही भाभी आहें भरती रही। जब मेरा लण्ड पाँच इंच तक घुस गया तो दर्द के मारे उनका बुरा हाल होने लगा लेकिन उन्होंने मुझे रोका नहीं। उन्होंने अपने होंठों को जोर से जकड़ लिया था। मैं जोर लगाता रहा।
जब मेरा लण्ड रूही भाभी की चूत में छः इंच तक घुस गया तो वो बोली- “अब रुक जाओ…”
मैं रुक गया तो वो बोली- “बहुत दर्द हो रहा है। अब बर्दाश्त करना मुश्किल है। कितना बाकी है अभी?”
मैंने कहा- “तीन इंच…”
वो बोली- “अब और ज्यादा अंदर मत घुसाना। धीरे-धीरे चुदाई करना शुरू कर दो…”
मैंने धीरे-धीरे रूही भाभी की चुदाई शुरू कर दी। उनकी चूत ने मेरे लण्ड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। वो आहें भरती रही। मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था। आज मैं किसी औरत को पहली बार चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद रूही भाभी झड़ गयी। उन्होंने बहुत दिनों से चुदवाया नहीं था इसलिये उनकी चूत से ढेर सारा जूस निकला। उनकी चूत और मेरा लण्ड एकदम गीले हो गये तो उन्होंने कहा- “अब धीरे-धीरे बाकी का भी घुसा दो…”
Maine इस बार थोड़ा ज्यादा ही जोर लगा दिया तो वो अपने आपको रोक नहीं पायी। उनके मुँह से चीख निकल ही गयी लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया। मैंने इस बार एक धक्का लगा दिया तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और बोली- “अब कितना बाकी है?”
मैंने कहा- “एक इंच…”
वो बोली- “अब चोदो मुझे, बाकी का चुदाई करते समय घुसा देना…”
मैंने रूही भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। रूही भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वो शाँत होती गयी। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगाकर बाकी का लण्ड भी उनकी चूत में घुसा दिया।
मैंने रूही भाभी की चुदाई शुरू कर दी। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। रूही भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। जैसे-जैसे समय गुजरता गया वो शाँत होती गयी। अब उन्हें भी मज़ा आने लगा था। तभी मैंने एक धक्का लगाकर बाकी का लण्ड भी उनकी चूत में घुसा दिया।
वो चीख उठी और बोली- “पूरा घुस गया?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब जोर-जोर से चोदो। तुम तो गाँव में कुश्ती लड़ा करते थे न?”
मैंने कहा- “हाँ…”
वो बोली- “अब तुम मेरी चूत के साथ कुश्ती लड़ो। मेरी चूत को अपने लण्ड का दुश्मन समझ लो और मेरी चूत पर अपने लण्ड से खूब जोर-जोर से वार करो। फाड़ देना आज इसको…”
मैंने कहा- “अगर फाड़ दूँगा तो बाद में मज़ा कैसे आयेगा?”
वो बोली- “तुम इसका मतलब नहीं समझे। मैं सचमुच फाड़ने को थोड़े ही कह रही हूँ…”
मैंने बहुत ही जोर-जोर के धक्के लगाते हुए रूही भाभी को चोदना शुरू कर दिया। रूही भाभी तो बहुत ही सेक्सी निकलीं। वो हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। पूरा बेड जोर-जोर से हिल रहा था। कमरे में धपधप की आवाज़ हो रही थी।
उनकी चूत से से भी चप-चप की आवाज़ निकल रही थी। मैं भी पूरे जोश में था और वो भी। पाँच मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गयी लेकिन मैं रुका नहीं। मैं खूब जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उनकी चुदाई कर रहा था। वो पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और अपनी चूचियों को अपने हाथों से मसल रही थी। थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं झड़ गया। रूही भाभी भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला तो मेरे लण्ड पर खून भी लगा हुआ था।
रूही भाभी ने कहा- “देख लिया तुमने अपने लण्ड की करतूत। इसने मुझ जैसी चुदी चुदाई औरत की चूत से भी खून निकाल दिया…” उन्होंने मेरे लण्ड को कपड़े से साफ कर दिया।
उसके बाद मैं उनके बगल में लेट गया। वो मेरे होंठों को चूमने लगी और बोली- “देवर जी, आज तो तुमने मुझे ऐसा मज़ा दिया है की मैं क्या बताऊँ। ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं मिला…”
मैंने कहा- “भाभी। आप इतने नशे में हो। इसलिये इतनी तारीफ कर रही हो…”
भाभी बोलीं- “अरे मेरे बेवकूफ देवर जी, नशे में जरूर हूँ पर गलत नहीं कह रही। बल्कि नशे में तो मज़ा दोगुना हो गया…”
मैंने फिर कहा- “मैं प्रीति का क्या करूँ?”
वो बोली- “मैंने तुम्हारे भैया से इतने सालों तक चुदवाया था। फिर भी मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अंदर लेने में बहुत तकलीफ हुई। प्रीति अभी बहुत छोटी है। जरा सोचो की उसे कितनी तकलीफ होती होगी…”
मैंने कहा- “तब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। क्या मैं प्रीति को छोड़कर केवल तुमहारी चुदाई करूँ?”
वो बोली- “मैं ऐसा थोड़े ही कह रही हूँ। अबकी बार जब तुम प्रीति की चुदाई करना तो उसके ऊपर जरा सा भी रहम मत करना। वो चाहे कितनी भी चीखे या चिल्लाये। अपना पूरा का पूरा लण्ड अंदर घुसा देना। उसकी चीख मुझे सुनायी पड़ेगी। तुम इसकी परवाह मत करना…”
मैंने कहा- “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा…”
वो बोली- “थोड़ी देर आराम कर लो। उसके बाद प्रीति के पास जाओ। अबकी बार हार नहीं मानना। पूरा का पूरा घुसा देना भले ही वो कितना भी चीखे या चिल्लाये। हो सके तो उसे भी थोड़ी सी शराब पिला दो। उसे तकलीफ कुछ कम होगी और बाद में मज़ा भी ज्यादा आयेगा…”
मैंने कहा- “मैं ऐसा ही करूँगा…”
सुबह के पाँच बजने वाले थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं प्रीति के पास चला गया। प्रीति सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो उठ गयी। मैंने उससे कहा- “जाकर तेल की शीशी उठा लाओ और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा दो…”
वो बोली- “मुझे शरम आती है…”
मैंने कहा- “अगर तुम मेरे लण्ड पर तेल नहीं लगाओगी तो मैं ऐसे ही अपना लण्ड तुम्हारे छेद में घुसा दूँगा…”
वो बोली- “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ…” इतना कहकर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकालकर मेरे लण्ड पर लगा दिया।
उसके तेल लगाने से मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डालकर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बनाकर एक ही साँस में पूरा गटक गयी।
वो बोली- “ना बाबा ना, ऐसा मत करना। जब तेल लगाने के बाद भी इतना दर्द होता है तो बिना तेल लगाये जब तुम अपना औज़ार अंदर घुसाओगे तो मैं तो मर ही जाऊँगी। मैं तुम्हारे औज़ार पर तेल लगा देती हूँ…” इतना कहकर वो उठी। उसने तेल की शीशी से तेल निकालकर मेरे लण्ड पर लगा दिया। उसके तेल लगाने से मेरा लण्ड एकदम टाइट हो गया। उसके बाद मैंने एक ग्लास में थोड़ी सी शराब डालकर उसके होंठों से ग्लास लगा दिया। उसने थोड़ी आनाकनी की पर फिर मेरे समझाने पर वो बुरा सा मुँह बनाकर एक ही साँस में पूरा गटक गयी।
“ऊँ… मेरा सिर घूम रहा है…” वो बोली और वो मेरे कुछ कहे बिना ही पेट के बल लेट गयी और बोली- “धीरे-धीरे घुसाना…”
मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और फिर उसकी कमर के नीचे से हाथ डालकर उसकी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसके मुँह से आह निकल गयी। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो उसके मुँह हल्की सी चीख निकल गयी। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में तीन इंच तक घुस चुका था। मैंने थोड़ा सा जोर और लगाया तो वो फिर से चिल्लाने लगी और मेरा लण्ड चार इंच तक घुस गया। मैंने उसकी चीख पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया।
मैंने जोर का धक्का मारा तो वो तड़पने लगी और जोर-जोर से चीखने लगी- “दीदी, बचा लो मुझे, मर जाऊँगी मैं…”
अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड पाँच इंच तक घुस गया। मैंने फिर से बहुत ही जोर का एक धक्का और मारा तो वो अपने हाथों को जोर-जोर से बेड पर पटकने लगी। उसने अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये और बहुत ही जोर-जोर से चिल्लाने लगी। अब तक मेरा लण्ड प्रीति की गाण्ड में छः इंच तक घुस चुका था।
मैंने पूरी ताकत के साथ फिर से जोर का धक्का मारा तो वो बहुत जोर-जोर से रोने लगी। लग रहा था कि जैसे वो मर जायेगी। मैं रुक गया और फिर अगले धक्के के साथ मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच घुस चुका था। मैंने अपना लण्ड एक झटके से बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड बाहर आ गया।
मैंने देखा की उसकी गाण्ड का मुँह खुला हुआ था और ढेर सारा खून मेरे लण्ड पर और उसकी गाण्ड पर लगा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठायी और उसकी गाण्ड के छेद में ढेर सारा तेल डाल दिया। उसके बाद मैंने फिर से अपना लण्ड धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में घुसा दिया। जब मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में सात इंच तक घुस गया तो मैंने पूरी ताकत के साथ दो बहुत ही जोरदार धक्के लगा दिये।
वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी- “दीदी, तुमने मुझे कहाँ फँसा दिया। मैं मरी जा रही हूँ और तुम सुन ही नहीं रही हो, बचा लो मुझे, नहीं तो ये मुझे मर डालेंगे…”
मैंने कहा- “अब चुप हो जाओ। मेरा पूरा लण्ड अब घुस चुका है…”
वो कुछ नहीं बोली, केवल सिसक-सिसक कर रोती रही। मैं अपना लण्ड उसकी गाण्ड में ही डाले हुए थोड़ी देर तक रुका रहा। धीरे-धीरे वो कुछ हद तक शाँत हो गयी।
तभी कमरे के बाहर से ही रूही भाभी ने पूछा- “काम हो गया?”
——–क्रमशः———
मैं फिर से अपनी बीवी की गांड के पीछे पड़ा था। आगे की कहानी bhabhi ki chudai के अगले पार्ट में..
और भी तगड़ी sex kahaniya पढने के लिए आते रहिये पर.
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