नमस्कार मित्रों, आज की इस सेक्स कहानी में आप सबका स्वागत है. सेवक राम मनवानी हमारे मुहल्ले में रहते हैं. उनके परिवार में उनका पच्चीस साल का बेटा दीपक और बीस साल की लड़की ज्योति है. सेवक राम की कपड़े की दुकान है, बाप बेटा दोनों दुकान पर बैठते हैं और ज्योति बीकॉम की छात्रा है.
सेवक राम बहुत मतलबी टाइप का आदमी है इसलिये मुहल्ले में किसी से भी उसका अच्छा सम्बंध नहीं है.
मेरी छवि दबंग और मददगार व्यक्ति की है और सेवक राम एक बार मेरी मदद से एक बड़ी समस्या से बच चुका है. यद्यपि सेवक राम मुझसे साल भर बड़ा ही है फिर भी पहले नमस्कार करता है.
एक दिन सेवक राम मेरे पास आया और बताया- राकेश सिंह नाम का एक लड़का है जो सी ब्लाक में रहता है, उसका मोबाइल नम्बर यह है. यह लड़का मेरी बेटी ज्योति को बहुत परेशान कर रहा है, इसीलिये ज्योति कॉलेज नहीं जा पा रही है.
मेरे पूछने पर सेवक राम ने बताया- नादान लड़की है बिना सोचे समझे इससे दोस्ती कर ली, अब वो परेशान कर रहा है. आप की तमाम पुलिस वालों से दोस्ती है, किसी से कहकर इसको टाइट करा दीजिये.
मैंने कहा- मनवानी साहब, ऐसा करना कई बार उल्टा भी पड़ जाता है, मुझे एक बार ज्योति से बात करने दीजिये, मामले की गहराई समझूँ फिर कोई समाधान निकलेगा. मेरा वादा है कि अगर ज्योति उसके साथ दोस्ती जारी नहीं रखना चाहेगी तो वो ज्योति को परेशान नहीं कर पायेगा, अगर करेगा तो जेल में सड़ेगा.
सेवक राम ने पूछा- मैं अभी ज्योति को बुलाऊँ?
तो मैंने कहा- आपके सामने वो खुलकर बात नहीं कर पायेगी. आप कल सुबह उसको भेजियेगा.
अगले दिन सुबह करीब 11 बजे ज्योति आई तो मैंने उससे पूछताछ की तो कहानी यह सामने आई:
पिछले साल ज्योति अपना मोबाइल रिचार्ज कराने गई थी, वहीं उसकी मुलाकात राकेश से हुई थी और धीरे धीरे प्यार हो गया. दोनों कई बार सिनेमा देखने व रेस्टोरेंट्स में खाना खाने जा चुके थे. राकेश के पिता किसी सरकारी विभाग में अधिकरी हैं, उसके घर में तीन कारें हैं और कारें बदल बदल कर ज्योति को घुमाता था और लॉंग ड्राइव पर भी ले जाता था.
धीरे धीरे ज्योति को पता चला कि राकेश मात्र आठवीं पास है और कोई काम नहीं करता है तो ज्योति ने उससे दूरी बनाना शुरू कर दिया जो राकेश को बर्दाश्त नहीं है और तमाम तरीके की धमकियां देता है.
मैंने ज्योति से उनके सम्बंधों की गहराई में जानना चाहा तो ज्योति ने बताया कि सिनेमा देखने के दौरान वो मेरी चूचियां मसलता था और मेरी बुर पर हाथ फेरता था. लॉंग ड्राइव पर जाते थे तो कहीं सन्नाटे में गाड़ी खड़ी करके दो तीन बार उसने मेरी चूचियां चूसी थीं और एक बार अपना लण्ड मुझसे चुसवाया था.
ज्योति से पूछताछ करते करते मेरा लण्ड खड़ा हो गया था और मैं उसको चोदने के बारे में सोचने लगा.
मैंने ज्योति से पूछा- इतना ही हुआ या इससे अधिक कुछ हुआ है, मुझे सच सच बताओ? तभी मैं राकेश का सही इलाज कर पाऊंगा. ऐसा न हो कि पुलिस उसको टाइट करे और वो तुम्हारी अश्लील तस्वीरें दिखाकर तुमको गलत साबित कर दे.
“नहीं अंकल, ऐसी कोई तस्वीर उसके पास नहीं है. उसके पास मेरी सैकड़ों फोटो हैं जो उसने खींची हैं, दो चार सेल्फी भी हैं जिनमें वो मेरे साथ है लेकिन अश्लीलता जैसी कोई बात नहीं है.”
“वैसे तो मुझे तुम्हारी बात पर भरोसा है लेकिन फिर भी मैं तसल्ली करना चाहता हूँ, तुम यहाँ आओ. ज्योति मेरे पास आकर खड़ी हुई तो मैंने उसकी स्कर्ट ऊपर उठाकर उससे कहा- पैन्टी नीचे खिसकाओ.”
वो थोड़ा झिझकी लेकिन मेरे दोबारा कहने पर उसने अपनी पैन्टी करीब चार इंच नीचे खिसका दी जिससे उसकी बुर के बाल दिखने लगे.
ज्योति की फ्राक ज्योति को पकड़ा कर मैंने उसकी पैन्टी घुटनों तक खिसका दी और टांगें फैलाने को कहा तो वो विश्राम की स्थिति में खड़ी हो गई. अपने दायें हाथ का अंगूठा मैंने अपने मुंह में डाला और थूक से गीला करके उसकी बुर में डाला तो आसानी से चला गया.
मैंने ज्योति से कहा- बेटा तुम मानो या न मानो राकेश ने तुम्हें चोदा तो है.
“नहीं अंकल, मैं सच कह रही हूँ, उसने कुछ नहीं किया. एक बार करने वाला था लेकिन उसकी बुआ के आ जाने से नहीं कर पाया था.”
अपना अंगूठा ज्योति की बुर में बनाये रखते हुए मैंने कहा- कब और कैसे हुआ, पूरी बात सच सच बताओ?
वो बताने लगी:
एक दिन राकेश के मम्मी पापा और भाई लखनऊ गये हुए थे, वो घर पर अकेला था. यह बात मुझे नहीं पता थी. हमेशा की तरह उसने मुझे फोन करके बुलाया तो अपने मीटिंग प्वाइंट पर पहुंच गई. वो पहले से ही मेरा इन्तजार कर रहा था.
मैं कार में बैठ गई और उसने कार अपने घर की तरफ मोड़ दी तथा बोला कि मेरी मम्मी तुमसे मिलना चाहती हैं, तुम्हें अपने घर ले चलता हूँ.
घर पहुंचकर उसने ताला खोला तो मैंने कहा कि आंटी तो घर पर हैं नहीं?
“अभी आती होंगी.” कहकर उसने मुझे बांहों में भर लिया और मेरे होंठ चूसने लगा. धीरे धीरे उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे सोफे पर लिटा दिया. इसके बाद राकेश ने अपनी पैन्ट व अण्डरवियर उतार दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया.
जैसे ही उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा किसी ने डोरबेल बजा दी, राकेश ने पूछा- कौन?
तो पता लगा राकेश की बुआ हैं. राकेश ने फटाफट कपड़े और मुझे घर के बैकडोर के पास छोड़कर बोला, कपड़े पहनकर यहां से भाग जाना, शाम को मिलूंगा.
बस इस घटना के बाद से मुझे राकेश पर शक होने लगा कि यह आदमी ठीक नहीं है. धीरे धीरे मैंने उसके बारे में जानकारी जुटाई और उससे दूर हो गई.
मैं बोला- चलो मान लिया, उसने तुम्हारे साथ कुछ नहीं किया लेकिन तुम्हारी बुर बताती है कि इसकी चुदाई हुई है.
“नहीं अंकल, होता यह था कि मैं जब भी राकेश से मिलकर आती थी, बेकाबू हो जाती थी और घर आकर ऊंगली से अपनी बुर को शांत करती थी. एक दिन मेरी नजर फेवीकोल की खाली शीशी पर पड़ी, उसका साइज बिल्कुल राकेश के लण्ड के बराबर था, मैंने उस दिन से फेवीकोल की शीशी का इस्तेमाल शुरू कर दिया. सर्दियों में मैं फेवीकोल की शीशी लेकर रजाई में घुस जाती हूँ और रात भर मजा लेती हूँ.”
ज्योति की चूत से अंगूठा निकाल कर मैंने उसकी पैन्टी ऊपर खिसका दी और कहा- कल से राकेश तुमको न तो फोन करेगा, न रास्ते में दिखेगा. हो गया तुम्हारी समस्या का समाधान?
“थैंक्यू अंकल, थैंक्यू.”
मैंने ज्योति से कहा- अब तुम घर जाओगी और फेवीकोल की शीशी लेकर बाथरूम में घुस जाओगी लेकिन मेरा क्या होगा?
इतना कहकर मैंने ज्योति का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया.
“अं…क…ल!” कहते हुए ज्योति ने मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में दबोच लिया.
मैंने ज्योति को गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले आया, पलक झपकते ही उसको नंगी कर दिया.
नौजवान नंगी लड़की ज्योति को बेड पर लिटा दिया, वो पेट के बल लेटी थी, उसके नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को उकसा रहे थे.
बेड के पास खड़े होकर मैंने ज्योति की दोनों टांगें पकड़कर अपने कंधों पर रख दीं और उसकी बुर पर अपना मुंह रख दिया. ज्योति शीर्षासन की मुद्रा में थी, उसका सिर बेड पर था और पैर आसमान की ओर.
बुर चटवाने से वो पागल होती जा रही थी, उसने मेरा लोअर नीचे खिसका दिया और उछलकर मेरा लण्ड अपने मुंह में ले लिया और अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया.
लोहा पूरी तरह से तप रहा था, मैंने ज्योति को बेड पर लिटा कर अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर पर रगड़ना शुरू किया तो वो चूतड़ उचका उचकाकर लण्ड को बुर में लेने की कोशिश करने लगी.
मैंने अपने लण्ड पर थूक लगाई और ज्योति की चूत फैला कर लण्ड पेल दिया. एक ही झटके में पहले सुपारा और फिर पूरा लण्ड ज्योति की चूत में चला गया.
मैंने लण्ड को चलाना शुरू किया तो देखा मेरा लण्ड खून से सना हुआ था लेकिन ताज्जुब था कि ज्योति न चीखी न चिल्लाई.
मैंने चुदाई शुरू कर दी, पहले धीरे धीरे फिर तेज तेज धक्के और बीच बीच में रुककर उसकी चूचियां चूस रहा था, उसकी चूचियां चूसने के दौरान उसके निप्पल्स दांत से काटता तो चिहुँक उठती.
ज्योति को चोदते चोदते मैं पसीने से तरबतर हो गया था. ज्योति भी हाँफने लगी थी लेकिन पता नहीं क्यों आज डिस्चार्ज ही नहीं हो रहा था तो मैं रुक गया.
लण्ड को उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और ज्योति की चूचियां सहलाने लगा.
ज्योति बोली- अंकल आप क्या खाते हैं?
“क्यों?”
“ऐसे ही पूछा.”
“ऐसे ही मतलब?”
“कुछ नहीं अंकल, बात दरअसल यह है कि सण्डे को पापा की छुट्टी रहती है, मैं कई साल से देख रही हूँ कि हर शनिवार को पापा मम्मी की चुदाई करते हैं, मेरा और पापा का बेडरूम अगल बगल है, भइया ऊपर सोता है. पापा के बेडरूम में एक छेद है जो विण्डो एसी की साइड में है, वहां से पूरे बेडरूम का एक एक कोना दिखता है. कई साल से मैं शनिवार रात को वहां पहुंच जाती हूँ और बाइस्कोप की तरह पूरा नजारा देखती हूँ. पापा आते हैं, मम्मी की सलवार और पैन्टी उतारते हैं, अपना पैजामा उतारते हैं, हिला हिलाकर अपना लण्ड खड़ा करते हैं और उस पर निरोध चढ़ा देते हैं और मम्मी की चूत पर हाथ फेरने लगते हैं, कभी कभी ऊंगली भी करते हैं फिर टांगों के बीच आ जाते हैं और फिर से लण्ड पकडकर हिलाने लगते हैं और मम्मी की चूत में डाल देते हैं, मम्मी चुपचाप लेटी रहती हैं, पापा उचकने लगने लगते हैं. थोड़़ी ही देर में मम्मी पर लुढ़क जाते हैं फिर मम्मी उनको हटाकर बाथरूम चली जाती है, पापा निरोध उतारकर पेपर में लपेट देते हैं और पजामा पहनकर सो जाते हैं. फिर मम्मी भी आती हैं और सो जाती हैं, बस हो गया. और आप हैं कि मुझे छोड़ ही नहीं रहे.”
मैंने कहा- बेटी, ये तो अपना अपना शरीर है वैसे तुम देखना तुम्हारी मम्मी ने भी बाथरूम में फेवीकोल की शीशी टाइप कुछ रखा होगा।
इतनी बातचीत के बाद मैंने कहा- तुम्हारे पापा का जिक्र आ जाने से एक बात अच्छी हुई कि मुझे याद आ गया कि मैंने कॉण्डोम नहीं लगाया.
मैं उठा और कॉण्डोम का पैकेट उठा लाया और ज्योति से पूछा- तुम्हें कौन सा फल सबसे ज्यादा पसंद है?
तो बोली- आम.
मैंने मैंगो फ्लेवर का कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ाया और ‘यह लो आम का मजा’ कहते हुए अपना लण्ड ज्योति के मुंह में दे दिया.
लण्ड चूसते हुए बोली- अरे वाह यह तो गजब का जादू है.
मैंने कहा- चूसती रहो.
मैंने ज्योति का सिर पकड़ लिया और उसका मुंह चोदने लगा.
जब लण्ड अन्दर जाता तो घों घों करने लगती. मैंने उसके मुंह से लण्ड निकाल लिया और उसकी चूत में पेल दिया. ज्योति की दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं और बुलेट ट्रेन दौड़ा दी. मेरे लण्ड से फव्वारा छूट चुका था लेकिन बुलेट ट्रेन दौड़ती जा रही थी.
अन्ततः मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाला और उसके बगल में लेटकर उसकी चूचियों से खेलने लगा.
उसके बाद राकेश को समझा दिया गया और ज्योति का दूसरे चौथे दिन मेरे यहाँ आना जारी है. उस जवान लड़की की चूत को लैंड मिल जता है और मुझे एक गर्म चूत!
मजा ही मजा है.
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