Sexy Aunty Bathroom Nude
मेरा नाम नितेश है, मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 22 साल है, मेरी लम्बाई 5.8 है। मेरे लंड की लम्बाई 6.5 इंच व मोटाई 2.5 इंच है। मेरी मम्मी की एक दूर की बहन की शादी हमारे शहर में हुई है। जब भी वो घर आती तो उनको देखता ही रह जाता। Sexy Aunty Bathroom Nude
उनका नाम संध्या है, उनकी उम्र 26 साल है, उनका फिगर 34-30-36 का है। उनका दूध सा गोरा रंग और उनकी उठी चुचियाँ और गांड तो ऐसी गोल कि लगता कि अभी पकड़ के चोद दो। एक बार हमारे किसी रिश्तेदार की शादी में मौसी और मेरे परिवार को गुजरात जाना था।
मैं शादी में नहीं जा रहा था। मौसी का लड़का जो दूसरी क्लास में है, उसके स्कूल की वजह से मौसी और मौसा जी में से कोई एक ही जा सकता था। तो मौसा जी ने जाना ठीक समझा। मुझे खाना बनाना नहीं आता तो मम्मी ने मौसा जी को बोला कि संध्या को हमारे घर में छोड़ दें।
शाम को मौसा जी मौसी को हमारे घर पर छोड़ कर मम्मी पापा के साथ छह दिन के लिय गुजरात चले गये। मैं बैठे-बैठे सोच रहा था कि मौसी की चूत का मज़ा कैसे लिया जाये। मैं मेडिकल स्टोर गया वहां से सेक्स वाली 2 गोली ले आया। तब तक मौसी ने खाना भी बना लिया था। हम सबने खाना खाया। मैं टीवी देख रहा था।
फिर मौसी आयी, उन्होंने कहा कि वो नहाने जा रही हैं। मैं सोच रहा था कि मौसी को गोली कैसे खिलाऊँ। मौसी नहा कर बाहर आ गई, मौसी ने एक मैक्सी पहन रखी थी। मौसी भी वहीं बैठ कर टीवी देखने लगी। मैं बार-बार मौसी को ही देख रहा था। मौसी ने शायद ब्रा नहीं पहनी थी, उनके निप्पल साफ़ दिख रहे थे।
तभी मौसी बोली- नितेश, एक ग्लास पानी ला दे।
मैं किचन में गया और मौसी के पानी में गोली मिला दी।
मौसी ने पानी पिया और टीवी बंद कर दिया। फिर मौसी ने कहा- चलो सो जाते हैं।
तो मैंने कहा- आप सो जाओ, मैं आता हूँ।
तो बोली- नहीं अभी चलो, मुझे डर लगता है।
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फिर हम दूसरे कमरे में आ गये मैंने लाइट बंद कर दी और मौसी के बगल में लेट गया। बीस मिनट बाद मुझे कुछ हलचल महसूस हुई। मैंने हल्की सी आँख खोल के देखा तो मौसी एक हाथ से अपनी चूत सहला रही थी। मौसी बहुत देर से अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने मौसी की तरफ अपना चेहरा किया और धीरे से उनकी एक चूची को दबाना शुरू किया। मौसी भी आँख बंद कर के मज़ा ले रही थी। मुझे भी काम बनता नजर आ रहा था तो मैंने भी अपना दूसरा हमला किया।
मैंने अपने होंठ मौसी के होंठ पर रख दिए और मौसी के होंठों का रस पीने लगा। थोड़ी देर बाद मौसी भी साथ देने लगी। मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत पर रखा, उनकी चूत बहुत गीली हो गई थी। फिर मैंने उनकी मेक्सी उतार दी, अब मौसी केवल पेंटी में थी क्योंकि वो रात को ब्रा नहीं पहनती।
मैं उठा और मैंने लाइट ओन कर दी। मौसी ने अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया और लाइट बंद करने को कहने लगी। सफ़ेद रोशनी में उनका शरीर संगमरमर की तरह चमक रहा था। मैं लाइट चालू छोड़ कर वापस उनके पास चला गया।
मैंने मौसी की एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को हाथों से मसलने लगा। मौसी पुनः गर्म होने लगी थी। मौसी ने भी अब शर्म छोड़ के मेरा साथ देना शुरू कर दिया था। अब मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनकी नाभि को अपनी जीभ से सहला रहा था।
फिर मैंने उनकी जान्घों पे चूमना और हलके-हलके दाँतों से काटना शूरू किया। अब मौसी उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें निकाल रही थी। अचानक मौसी का शरीर अकड़ने लगा और वो एक तेज़ आवाज़ के साथ झड़ने लगी, उनका रस उनकी चड्डी से बाहर आकर चादर को गीला करने लगा था।
मैंने उनकी चड्डी को दाँतों से पकड़ के उतार दिया, मौसी की चूत बालों से ढकी हुई थी। अब मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनकी चूत के पास मुँह ले जा कर जीभ से उसे चाटने लगा। मैंने उनकी चूत को चाट-चाट कर साफ़ कर दी थी। मौसी अब फिर से गर्म हो गयी थी, वो अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी थी।
अब मौसी ने पहली बार कुछ बोला- नितेश बेटा, मुझे चोद कर अपना बना ले।
मैंने मौसी से कहा- मेरे कपड़े तो उतारो!
उन्होंने आगे बढ़ कर मेरा लोवर और चड्ढी उतारी मेरे लंड को हैरानी से देखने लगी।
मैंने पूछा- मौसी जी, क्या हुआ?
तो वो बोली- तुम्हारे मौसा जी से तुम्हारा बड़ा है।
मैंने लंड आगे करते हुए उनको चूसने को बोला तो उन्होंने मना कर दिया, उन्होंने कहा- मुझे पसंद नहीं।
मैंने भी जोर नहीं दिया।
अब मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और लंड को उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा। मौसी बार-बार अपनी कमर उचका रही थी।
फिर उन्होंने कहा- कितना तड़पाते हो।
मैंने लंड को उनकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का से धक्का दिया तो मेरे लंड का आगे का हिस्सा अंदर चला गया। उनके चेहरे पर दर्द साफ़ दिख रहा था। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने एक झटका मारा तो मेरा आधा लंड मौसी की चूत के अंदर था, उनकी तो साँस ही अटक गयी थी।
फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और जोर से एक शॉट मारा इस बार मेरा पूरा लंड मौसी की चूत में फिट हो गया, उनके मुँह से ‘आईई… माँ… मार डाला रे… उम्म्म… बाहर निकाल इसको… वरना मैं मर जाऊँगी!’ के दर्द भरे स्वर निकलने लगे।
मेरी मौसी दर्द से बिलबिला उठी थी, वो मुझसे खुद अलग करना चाहती थी लेकिन मैंने अपनी मौसी के नंगे बदन को मजबूती से पकड़ रखा था। मैं वैसे ही रुका रहा, जब वो शांत हुई तो उन्होंने आँखों से धक्का लगाने का इशारा किया तो मैंने धक्के लगाना शुरू किया।
यह सब मैं बहुत आराम से कर रहा था क्योंकि अब मैं उनको बिना दर्द संतुष्ट करना चाहता था। जब भी मैं धक्का लगता तो मेरा लंड उनकी बच्चेदानी से टकरा जाता जिससे वो थोड़ा ऊपर उचक जाती। मुझे इस में मज़ा आने लगा था।
मौसी अब ‘हाययय… सीईईई… उफ्फ्फ… अम्म्म…’ जैसी सिसकारी लेने लगी थी, मैं धीमे-धीमे अपने धक्को की गति को बढ़ता जा रहा था जिससे मौसी की सिसकारी अब चीखों में बदल गई थी। बेड भी हमारी ताल से ताल मिला कर आवाज़ कर रहा था।
अब मौसी ने आह्ह्ह… अहह… शह्ह… के तेज़ शोर के साथ झड़ना शुरू कर दिया, इस बार उनका बहुत सारा रस निकला लेकिन मेरा अभी बाकी था तो मैं मौसी को घोड़ी बना कर पीछे से चोदने लगा, मैं उनके दोनों आम को हाथों से दबाने लगा।
जब मुझे लगा कि अब मैं ज्यादा देर रुक नहीं पाऊँगा तो मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। जैसे ही मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तो मैं अपना लंड बाहर निकाला और अपना माल अपनी मौसी की गांड के ऊपर छोड़ दिया। मैं मौसी के बगल में लेट गया, उनको अपनी बाँहों में भर लिया और ऐसे हम बिना कपड़ों के सो गये।
सुबह मौसी ने मुझे उठाया, मैंने पूछा- रिशु(मौसी का बेटा) कहाँ है?
तो मौसी ने कहा- वो तो स्कूल चला गया।
जैसे ही मौसी जाने के लिय मुड़ी मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और अपने पास खींचा।
वो मेरे पास आ गयी, मैंने उनके होंठों पर किस किया और उनका एक हाथ अपने लंड पर रख कर पूछा- कैसी लगी इसकी सेवा?
मौसी ने शर्म से सर नीचे कर लिया और धीरे से बोली- बहुत अच्छी!
इससे पहले मैं कुछ बोल पाता, मौसी ने खुद को मुझसे आज़ाद किया और कमरे से बाहर भाग गयी। मैं उठा और नंगा ही हल्का होने चला गया, वापस आया और ब्रेश किया। फिर देखा कि मौसी किचन में कुछ काम कर रही थी। मैं उनके पीछे चिपक के खड़ा हो गया, मेरा लंड मौसी की गांड में चुभ रहा था, मैं उनकी गर्दन पर उनको चूमने लगा।
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर गैस बंद कर दी। मौसी कुछ समझ नहीं पाई कि मैं क्या करने वाला हूँ।
मैंने मौसी को अपनी गोद में उठा लिया और उनको लेकर बाथरुम में आ गया। मैंने उनकी मेक्सी उतार कर पुनः उनको नंगी कर दिया और शावर चालू कर दिया, मौसी की पीठ को चूमने व दाँतों से हल्के-हल्के कटने लगा। फिर मैंने मौसी को सीधा किया, उनके एक मम्मे को मुँह में भर लिया और चूसने लगा और दूसरे को हाथों से मसलने लगा।
कभी उनके मम्मे चूसता तो कभी उनके निप्पल को दो उंगलियों से दबा देता। मौसी बस ‘आह… या… उफ़…’ की आवाज ही कर रही थी। अब मैं नीचे आया और उनकी चूत चाटने लगा, वो मेरा सर अपनी चूत में दबा रही थी। जब मैं उनके चूत के दाने को दांतों से खींच लेता तो वो और मस्त हो जाती।
अब वो कभी भी अपने चरम बिंदु पर पहुँच सकती थी, इसलिये मैंने जोर से चाटना शुरु किया। थोड़ी देर में मौसी अपनी चूत मेरे मुँह पर रख कर झड़ने लगी। फिर हमने एक दूसरे को साफ़ किया। कमरे में आकर मौसी अपने आप को शीशे में देख रही थी, उनके बदन पे मेरे प्यार करने की वजह से जगह जगह लाल निशान पड़ गये थे।
मैंने मौसी से कहा- मौसी जी, आप नीचे के बाल क्यों नहीं बनाती?
मौसी- घर के काम से फुर्सत ही नहीं मिलती।
मैं- अगर आप कहो तो मैं बना दूँ?
मौसी- हाँ ठीक है।
मैं अपनी शेविंग किट उठा लाया और मौसी को फर्श पर लिटा दिया और बोला- आप दोनों हाथ ऊपर कर लो।
मौसी- वो क्यों?
मैं- अरे आपकी बगलों के बाल भी बड़े हैं।
उन्होंने दोनों हाथ ऊपर किये मैंने उनके दोनों बगलों के बाल बना कर बिल्कुल चिकना कर दिया। फिर मैं नीचे आया और मौसी की चूत पर शेविंग फोम लगा कर रेजर से उनकी झांट के बाल हटाने लगा। अब पहली बार उनकी गुलाबी चूत के दर्शन हुए, मैंने कपड़े से उनकी चूत साफ़ की।
मैंने मौसी से कहा- पहली बार आपकी चूत दिखी है, वरना अभी तक तो अँधेरे में तीर चला रहा था।
इस बात पर हम दोनों हँस दिए। मैंने चूत को कपड़े से साफ़ किया और उस पर एक चुम्मा किया। फिर मैं धीरे धीरे उसे चाटने लगा, मौसी भी मेरे बालों में हाथ घुमाने लगी।
फिर मौसी ने जो कहा वो सुन कर मुझे हैरानी हुई। उन्होंने मुझसे कहा- मैं तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैंने उनसे इशारे में पूछा- ऐसा क्यों?
तो वो बोली- तुम इतना कुछ कर रहे हो मेरे लिये, मैं भी तुमको खुश करना चाहती हूँ।
फिर हम 69 की अवस्था में आ गये, मैं उनकी चूत चाट रहा था, वो मेरे लंड को चूस रही थी। पहले वो ठीक से नहीं चूस पा रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद वो अच्छे से चूसने लगी थी, कभी वो मेरे लंड के सुपारे को मुँह में भर लेती तो कभी पूरा लंड अपने गले में अंदर तक उतार लेती। इस चुसाई से मेरा लंड गीला हो गया था।
मैंने उनके मुँह से लंड निकला और उनकी चूत में डाल दिया, उनकी चूचियां तन कर ऊपर उठ गयी थी। मैं चूत में लंड डाल कर रुक गया, उनकी एक चूची को मुँह में भर लिया और उनके निप्पल को चूसने लगा। उनके उठे हुए निप्पल को जब भी जीभ से छू लेता तो वो जोश से और कड़क हो जाते।
मैंने उनकी चूची को छोड़ कर उनका निचला वाला रसीला, नर्म और लाल होंठ मुँह में दबा लिया और चूसने लगा। मौसी भी मेरा साथ पूरे समर्पण के साथ दे रही थी, उनके हाथ लगातार मेरे सीने पर घूम रहे थे, मैं उत्तेजना की वजह से उनको जोर जोर से चूम रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अचानक से उनके मुँह से आईई की आवाज निकली, मेरे मुँह में कुछ खून ऐसा स्वाद आने लगा था। मैंने उनके होंठ को देखा तो वहां मेरे जोर से चूमने की वजह से दांतों से कट गया था और उसमें से खून रिसने लगा था।
मैंने मौसी से सॉरी कहा तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- कोई बात नहीं!
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और वापस से मेरे होंठ को चूसने लगी। वो अब शायद कुछ ज्यादा चुदासी हो गयी थी और बार बार नीचे से कमर उठा रही थी, शायद वो चूत चुदवाने के आतुर हो गई थी। मेरे भी शरीर के रोम रोम में जोश कई गुना बढ़ गया था।
मैंने उनके हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और अपनी कमर को मद्धम गति से उनकी चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर में मौसी चुदासी होकर ‘चोदो मुझे… फ़क मी हार्ड… डोंट स्टॉप… और जोर से चोदो मुझे… आअह्ह्ह… स्स्स्स..ह्म्म्म…’ कहने लगी।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और उनको पूरा दम लगा चोदने लगा। फिर वो ‘मैं आने वाली हूँ… रुकना मत!’ बोलते हुए झड़ने लगी। लेकिन मेरा अभी बाकी था तो मैं लगा रहा। मेरे हर धक्के के जवाब में वो अपने चूतड़ उठा कर मेरा स्वागत कर रही थी।
कुछ धक्कों के बाद मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने रफ़्तार बढ़ा दी, मैंने अपना लंड बाहर निकला और चूत के ऊपर अपना सारा माल निकाल दिया और उसे हाथों से उनकी चूत पर अच्छे से मल दिया। मैं जमीन पर लेट कर सो गया।
कुछ समय बाद मौसी ने आवाज दी- नाश्ता बन गया है।
मैं उठा कपड़े पहने हमने नाश्ता किया। दोपहर को रिशु स्कूल से आ गया और सबने खाना खाया। फिर शाम को मैं दोस्त के साथ घूमने निकल गया। वापस आया तब तक रात का खाना बन चुका था, मौसी ने मुझे और रिशु को खाना दिया। खाना खाकर मैं अपने कमरे में लैपटॉप पर काम करने लगा।
मौसी पहले रिशु को स्कूल का काम कराने लगी, फिर नहाने चली गयी। तब तक रिशु सो गया था। वो मेरे कमरे में आई, उस वक़्त उन्होंने एक नाईटी पहन रखी थी, उसमें वो बहुत सेक्सी दिख रही थी, चिकनी टाँगें, चमकता चेहरा उनके नाईटी में से मम्मे साफ़ दिख रहे थे। यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। शायद उन्हें भी पता चल गया था। वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मुझे दूध का ग्लास दिया।
मैंने कहा- मुझे दूध नहीं पीना, मुझे अच्छा नहीं लगता।
मौसी- इससे तुमको ताकत मिलेगी।
मैं- एक शर्त पर!
मौसी- कैसी शर्त?
मैं- बताता हूँ पहले दूध पी लूं!
मैंने दूध पिया, फिर धीरे अपना एक हाथ मौसी की गांड पर रखा और कहा- मौसी, मुझे ये चाहिए।
मौसी- नहीं! तुमने मेरी चूत चोदने में ही जान निकाल ली थी। और मैंने सुना है कि इसमें दर्द भी बहुत होता है।
मैं- अरे पहली बार जब आपकी सील तोड़ी गयी थी तब भी दर्द हुआ था ना! ये भी वैसा ही है।
बहुत देर मनाने के बाद वो मानी- मेरी एक शर्त है। ज्यादा दर्द होने पर मैं मना कर दूंगी।
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने मौसी को वहीं बेड पर लिटा लिया और उनको चूमने लगा, फिर मैंने उनका नाईटी उतार दी, अब मौसी केवल काली ब्रा और पैंटी में थी जो उनके गोरे शरीर पर बहुत चमक रही थी। मैंने उनको उल्टा किया और उनकी ब्रा को अलग कर दिया, मैं मौसी की नंगी पीठ को चूमने लगा।
फिर थोड़ा नीचे सरक कर उनकी पैंटी उतार दी और उनके मोटे-मोटे चूतड़ चाटने लगा। उनके चूतड़ लाल हो गये थे। मैंने उनके दोनों चूतड़ को हाथों से अलग किया और उनके गांड के छेद को उंगली से सहलाने लगा। मैंने धीरे एक उंगली अंदर डाली। सच में उनकी गांड बहुत टाइट थी, शुरू में तो मेरी उंगली बहुत मुश्किल से आगे-पीछे हो रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद उंगली जगह बना ली थी।
फिर मैं अपनी दो उँगलियों में तेल लगा अंदर डालने लगा तो मौसी तो दर्द से बिलबिला उठी। पर मैंने भी मैदान नहीं छोड़ा, मैं लगा रहा। मौसी दर्द से कराह रही थी। अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था, मैंने लंड पर अच्छे से तेल लगाया और मौसी की गांड के छेद को भी तेल से चिकना कर दिया।
मौसी की कमर के नीचे मैंने एक तकिया लगा दिया जिससे उनकी गांड ऊपर उठ गयी। मैंने लंड का सुपारा अन्दर डाला तो मौसी की चीख निकल गयी। हल्का सा धक्का देने पर मेरा थोड़ा लंड और अंदर चला गया। मौसी ने गांड को टाइट कर लिया था। मैंने उनके दोनों गांड पर चांटें मारे तो उन्होंने अपनी गांड को कुछ ढीला किया।
मैंने एक और धक्के के साथ अपना आधा लंड उनके छेद में उतार दिया। मौसी ने दर्द के मारे रोना शुरू कर दिया, वो बार-बार लंड निकालने को कहने लगी। मैंने लंड बाहर निकला, लंड में फिर से तेल लगाया और अचानक से एक झटके में पूरा लंड पेल दिया।
अब तो मौसी बुक्का मार कर रोने लगी, वो मुझसे अलग होना चाहती थी। मैंने उनकी कमर को कस के पकड़ रखा था। थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरु किया। मौसी अभी भी रो रही थी। फिर लंड ने जगह बना ली और आराम से आगे पीछे होने लगा, मौसी ने आवाज करना भी कम कर दिया था।
मैं मौसी गांड में लंड अंदर बाहर करने लगा, अब लंड पहले की तुलना में थोड़ा आराम से अंदर जा रहा था। मैं अपना लंड बाहर निकाल लेता और एक झटके में ह्म्म्म की आवाज के साथ अंदर कर देता। मेरे हर झटके पर मौसी के मुँह से आह्ह्ह….का स्वर स्वतः निकल जाता।
मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनके लटकते हुए मम्मों को अपनी मुट्ठी में भीच कर उन्हें मसलने लगा। कभी हल्के से दबाता तो कभी कभी उनके चूचुक को दो उँगलियों से पकड़ के ऐंठ देता तो उनके शरीर में दर्द से कम्पन दौड़ जाती।
बहुत देर से उनकी गांड मारने की वजह से मैं झड़ने के करीब पहुँच गया था, मैंने उनकी कमर को एक बार फिर अपने हाथों से कस के जकड़ लिया और तेज़ी से धक्के लगाने लगा। इस वजह से मौसी ने एक बार फिर रोना शुरू कर दिया था लेकिन मैं उनके दर्द की परवाह किये बगैर किसी बेरहम इंसान की तरह से अपनी मौसी की गांड मारने में लगा हुआ था।
फिर कुछ जोर के शॉट्स मारने के बाद मैं एक आह… की आवाज के साथ मेरा वीर्य उनके छेद को भरने लगा। इस लम्बी चुदाई के बाद मैं थक गया था, मैं उनके बगल में लेट गया। जब मैंने उनका चेहरा अपनी तरफ किया तो आंसू की वजह से उनका चेहरा गीला हो गया था।
मैंने उनके होंठों पर चुम्बन किया और उनको अपने सीने से लगा कर सो गया। सुबह मैं उठा, सीधे उनके पास गया। वो किचन में काम कर रही थी, उनकी गर्दन पर किस कर के उनको सॉरी बोला। उन्होंने कुछ नहीं बोला बस अपने काम में लगी रही, मुझे लगा वो मुझसे नाराज हैं तो मैं बाहर निकलने लगा।
मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- क्या हुआ नितेश? कहाँ जा रहे हो?
मैं- मुझे लगा कि आप गुस्सा हो क्योंकि रात को बहुत दर्द हुआ आपको।
मौसी- पहले तो लगा कि दर्द से जान निकल जाएगी, फिर बाद में मज़ा आने लगा।
मैं- चलो न चल कर नहाते हैं।
मौसी- नहीं बेटू, अभी नहीं बहुत काम बाकी है!
मैं- चलो न मौसी ! मुझे दूसरा रास्ता भी पता है आपको मनाने का!
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मौसी कुछ नहीं बोली, अपना काम करती रही। मैं नीचे बैठ कर उनकी टांग पर किस करने लगा और उनकी मांसल जांघों को सहलाने लगा। फिर मैंने अपना मुंह उनकी नाईटी अंदर डाल दिया और धीरे धीरे चूमते हुए उनकी जांघों तक पहुँच गया। फिर मैं मौसी की जांघों को चूमने और चाटने लगा।
उनकी मादक आवाज से पूरा किचन गूंज रहा था। मैं पैंटी के ऊपर से ही चूत चाटने लगा। उनकी चूत पनिया कर गीली होने लगी थी। मैंने अपने दोनों हाथ नाईटी के अंदर डाल कर उनकी पैंटी नीचे सरका दी, फिर उनकी चूत को अपनी जीभ से सहलाने लगा।
कभी उनकी चूत चाटता तो कभी हाथों से उनकी गांड को मसल देता। बीच बीच में मैं चूत के दाने को जीभ से छेड़ देता तो मौसी चहक उठती। मौसी भी अब मस्त होकर मज़ा ले रही थी, वो अपने हाथ से मेरे सिर को चूत में दबा लगी थी, उनकी सांसें अब तेज़ हो चली थी।
उन्होंने दीवार पर बनी अलमारी को हाथ से पकड़ लिया और अपनी टांगों को खोल दिया। मौसी अब आह… य… हम्म… उफ़ जैसी अवाज कर रही थी। मैंने दोनों हाथ पीछे करके उनकी गांड को जकड़ लिया और उनकी चूत चाटता रहा। थोड़ी देर में मौसी ने झड़ना शुरू कर दिया, उनकी चूत से रस की नदी सी बहने लगी थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं उनकी चूत चाटता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे कोई बाँध टूट गया उनकी चूत से बहुत सारा रस निकल रहा था जिसे मैं लगातार सुप सुड़प कर के चाट रहा था। मौसी वहीं दीवार से लग कर अपनी साँसों को नियंत्रित करने लगी। मैंने अपना मुँह उनके नाईटी से बाहर निकाला। मेरे चेहरे पर उनके रस की कुछ बूँद अभी भी लगी हुई थी जिसे देख कर वो हंस कर बोली- मैंने तुम्हारा मुँह गंदा कर दिया।
मैंने कहा- चलो, चल कर साफ़ कर दो।
मैंने उनकी नाईटी को उतार कर मौसी को नंगी कर दिया और उनका हाथ पकड़ कर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा। चलते समय मौसी अपनी टांगों को थोड़ा फैला कर चल रही थी। शायद रात को गांड चुदाई की वजह से उनको चलने में परेशानी हो रही होगी।
बाथरूम में मैंने पानी से उनका शरीर गीला कर दिया और उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा। फिर मैंने शावर चला कर उनके शरीर को साफ़ किया। उनके एक मम्मे को मुँह में भर कर चूसने लगा जिससे वो लाल हो गया था। फिर मौसी ने मेरे हाथ से साबुन लिया और मेरे बदन पर लगाने लगी।
नीचे पहुँच कर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और मजा लेकर चूसने लगी। कभी वो मेरे लंड को चूसती तो कभी अपने हाथ से मुट्ठ मरने लगती। बीच-बीच में मेरे टट्टे को मुँह में ले कर चूसने लगती। किसी औरत के द्वारा लंड चूसे जाने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। आज वो किसी माहिर खिलाड़ी की तरह चूस रही थी।
मेरा लंड रस से भर गया था। मैंने लड़खड़ाते हुए शब्दों में कहा- बस करो मौसी, नहीं तो मैं आपके मुँह में झड़ जाऊंगा।
लेकिन वो नहीं रूकी, जोर-जोर से चूसती रहीं तो मैं उनके सिर को पकड़ कर उनके मुँह को चोदने लगा।
एक ‘आह…’ की आवाज के साथ मैं मौसी के मुँह को अपने वीर्य से भरने लगा जिसे मौसी ने कुछ देर मुँह में रखा फिर पूरा गटक गयी। उनके मुँह की गर्मी से मेरा लंड मुरझाने लगा, मेरा लंड मुँह से निकाल उसे चाट कर साफ़ कर दिया।
और उन्होंने उठ कर अपने शरीर को पानी से साफ़ किया फिर बाहर निकल आयीं। मैं वही अपने गर्म शरीर को पानी से ठंडा करने लगा। मैं बाहर निकला तो देखा मौसी कमरे में बेड पर आँखें बंद कर नंगी लेटी हुई थी। मैं भी उनके बगल में बैठ कर उनके होंठों को चूम लिया।
उन्होंने आँखें खोली और बोली- आ गये! चलो कपड़े पहन लो, मैं खाना बनाने जा रही हूँ।
फिर मौसी ने अपने कपड़े पहने और किचन में चली गई। मैंने भी कपड़े पहन लिये और किचन में गया। वहां मौसी खाना बना रही थी। मैं उनके बगल में खड़ा हो गया।
मौसी ने मेरी तरफ देखा और हंस कर बोली- एक बात पूछूँ बेटू?
मैं- हां पूछो!
मौसी- क्या तुमने मेरे से पहले भी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
मैं- नहीं, आपके साथ पहली बार है मेरा।
मौसी- तो तुमको इतना सारा कुछ कैसे पता है इस बारे में?
मैं- कुछ मैंने सेक्स की कहानियाँ पढ़ कर, कुछ पोर्न देख कर और कुछ दोस्तों के किस्से सुन कर।
मौसी- अच्छा! बहुत होशियार लगता है तू।
मैं- मौसा जी अच्छे से आपकी चूत की सेवा नहीं करते क्या?
मौसी- तेरे मौसा तो अनाड़ी हैं उनके लिये सेक्स का मतलब है कि चूत में लंड डालो कुछ धक्के लगाओ, अपना काम खत्म करके सो जाओ, चाहे औरत संतुष्ट हुई हो या नहीं।
मैं- लगता है उनको सेक्स में रुचि कम है?
मौसी- हां, वो महीने में एक या दो बार ही करते हैं।
मैं- तभी आपकी चूत बहुत टाइट थी।
मौसी- नितेश, तू मुझे मौसी न कहा कर मेरा नाम लिया कर या मैं जैसे तुझे बेटू कहती हूँ। वैसे प्यार से कुछ बोला कर!
मैं- अच्छा आपको जान बुलाऊँ?
मौसी- हां, ये अच्छा है।
मैंने मौसी कान में धीरे से ‘आई लव यू जान’ बोला और उनके गाल पर किस कर लिया।
वो बोली- अब तुम शुरु मत हो जाना, मुझे बहुत काम है. और रिशु भी आता होगा। तुम जाओ टीवी देखो।
मैं टीवी देखने लगा, थोड़ी देर में रिशु आ गया। फिर मौसी ने हमारे लिये खाना लगा दिया, खाना खाकर हम सब सो गये। शाम को मैं और रिशु घूमने गये। जब हम लौटे तो मौसी खाने की तैयारी कर रही थी। मैं टीवी देख रहा था. थोड़ी देर बाद रोज की तरह खाना बन गया था। मैंने खाना खाया और अपने रूम में जाकर पढ़ाई करने लगा, तब तक रिशु और मौसी ने भी खाना खा लिया।
मौसी रिशु को सुला कर मेरे पास आयी। वो नहा कर आई थी, आज उन्होंने हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी, उनके हाथ में दूध का ग्लास था। मैंने अपनी किताब बंद कर के कोने रख दी। उन्होंने ग्लास मुझे दिया, मैंने दूध पी कर ग्लास कोने रख कर उनका हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा।
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मौसी मेरे पास आयी, मैंने उनसे कहा- जान कितना टाइम लगा दिया आज?
मौसी- अरे आज रिशु देर से सोया।
वो मेरे पास बेड पर बैठ गयी, मैं आगे बढ़ कर उनके चिकने और सपाट पेट को सहलाने लगा, फिर उनके पेट को चूमने लगा। मैंने तब उनको बेड पर लेटा दिया, उनके पेट को चूमने और चाटने लगा। मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी और उसे कुरेदने लगा।
मौसी को गुदगुदी हो रही थी, वो लगातार हंसे जा रही थी। मैं उठा और ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूची को मसलने लगा। मैं अब उनकी मम्मे को अपने मुँह में भरना चाहता था। मैंने उनका ब्लाउज पकड़ा और अधिक उत्तेजना के कारण उसे फाड़ डाला।
मैं ब्रा के ऊपर से उनके दूध कलश को मिंजने लगा। ब्रा हटाने के बाद मैं उनके एक मम्मे मुँह में भर कर किसी शिशु की तरह खींच-खींच के पीने लगा, दूसरी चूची को हाथ से मसलने लगा। मौसी मेरे बालो को हाथ से सहला रही थी।
कभी कभी मैं उनके हल्के भूरे रंग के निप्पल को कस के दो उंगलियों से ऐंठ देता। उनकी सिसकारी अब चीख में बदल गयी थी, उन्होंने मुझसे कहा- बेटू, कैसे कर रहे हो? आज मुझे दर्द हो रहा है, प्यार से करो! मैंने कुछ नहीं कहा बस काम में लगा रहा।
मैंने उनके होंठ पर किस किया और नीचे की तरफ बढ़ गया। मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया। मौसी अब केवल एक नीले रंग की छोटे फूल वाली चड्डी में रह गयी थी। मैंने उनकी चड्डी को जोर से खींचा जिससे वो फट गयी और उनकी टांगों को खोल कर उनकी चूत को मुँह में भर लिया। और चूसने लगा, कभी उनकी चूत को चाटता तो कभी चूत के दाने को दांत से काट लेता तो वो दर्द से मचल जाती।
मैं बेड से उठा और अपने सारे कपड़े उतार कर मौसी के मुँह के पास खड़ा हो गया। उन्होंने आगे बढ़ कर मेरा लंड मुँह में भर लिया जैसे उन्हें पता हो कि मुझे क्या चाहिए। लंड चूसने की वजह से गीला हो गया था। मैंने अपना गीला लंड उनके मुँह से बाहर निकाला.
और उनकी टांगों के बीच में बैठ कर लंड को उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा। फिर एक तगड़े शॉट के साथ पूरा अंदर कर दिया। मेरा लंड उनकी चूत में फिट हो गया था। इस अचानक हमले से उनका मुँह खुल गया था। कुछ देर रुकने के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किए।
मौसी की चूत गीली हो गई थी और चोदते वक़्त पच-पच की आवाज आ रही थी। मौसी भी अब मस्त हो कर उम्म्ह… अहह… हय… याह… जैसी कामुक आवाज निकाल रही थी। मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी थी। मेरे टट्टे मौसी की गांड से टकरा कर ठप-ठप का शोर कर रहे थे।
मौसी अब यही बोल रही थी- मेरे राजा, क्या मस्त चुदाई करता है… तूने तो मुझे अपने लंड का गुलाम बना लिया है। ऐसे ही चोदते रहना मुझे… बड़ा सुकून मिलता है मेरी चूत को तुम्हारे लंड से चुदवा कर।
कुछ मिनट की जोरदार चुदाई करने के बाद वो झड़ने को हो गयी थी। फिर मौसी ने एक आह… की आवाज के झड़ना शुरु कर दिया। उनकी चूत से निकल रहे काम रस से मेरा लंड गीला हो गया था और मैं उनकी गीली चूत में दनादन तेजी से लंड अंदर बाहर करने में लगा रहा।
थोड़ी देर और मौसी की चुदाई करने के बाद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने लंड निकाल कर उनके मुँह में पेल दिया जिसे वो किसी लालीपॉप की तरह चूस रही थी। कुछ देर बाद मेरे लंड ने सारा गाढ़ा सफ़ेद रस उनके मुँह में भर दिया।
पहला राउंड खत्म करने के बाद मैंने उनसे पूछा- मज़ा आया जान?
उन्होंने कहा- सच में बहुत मज़ा आया।
मैंने कहा- अभी तो बहुत मज़ा आने वाला है।
कुछ देर हम वैसे ही पड़े रहे। फिर मैंने उनकी चूत में उंगली करना चालू कर दिया। मौसी फिर से गर्म होने लगी थी, उन्होंने 69 की अवस्था में आने को बोला तो मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया और उनकी चूत पर अपनी जीभ से हमला करना शुरू कर दिया, उनकी चूत की फाँकों की अपने होंठों में भर कर खींचने लगा।
मैंने लंड उनके मुँह से बाहर निकाला और उनको पेट के बल लिटा दिया और उनके दोनों चूतड़ों को चूमने लगा। दोनों चूतड़ को हाथ से फैला कर उनके गांड के गुलाबी छेद पर अपना थूक लगा दिया फिर गांड के गुलाबी छेद को उंगली से सहलाने लगा।
मैंने मौसी को घोड़ी बनने को बोला तो वो झट से घोड़ी बन गई जिससे उनकी गांड बाहर की तरफ निकल आयी थी। फिर मैंने अपना लंड उनके छेद में डाल दिया और हल्के हल्के धक्के से मौसी की गांड मारने लगा। मेरे हर धक्के के साथ मेरा लंड उनकी गांड के छेद की सैर कर रहा था। मैं अपने लंड से उनकी गांड को चौड़ी कर रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे मेरे लंड पर तनाव महसूस होने लगा था।
मैंने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। कुछ15-20 जोरदार धक्के मारने के बाद मैंने अपना रस उनकी गांड में छोड़ दिया और उनके बगल में लेट कर आराम करने लगा। मुझे पता ही नहीं चला कब मैं सो गया। आधी रात को मेरे लंड में हलचल होने की वजह से मेरी नींद टूट गयी थी। मैंने आँख खोल कर देखा तो मौसी मेरा लंड मुँह में भर कर उसे चूस रही थी।
उन्होंने मेरी तरफ देखा और बोली- मैं रात को मूतने के लिये उठी और जब वापस आई तो तुम्हारे लंड को देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी थी। लेकिन तुम गहरी नींद में सो रहे थे इसलिये तुमको उठाने का मन नहीं हुआ तो तुम्हारे लंड से खेलने लगी.
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मौसी सारा कुछ एक साँस में बोल गयी।
मैंने उनके होंठ पर किस किया और पूछा- अब क्या चाहती हो आप?
बड़े ही प्यार से वो बोली- क्या तुम एक बार फिर से चुदाई कर के चूत को शांत कर सकते हो?
मैंने हाँ में सर हिलाया और उनको कुतिया बनने को बोला.
मौसी तुरंत बेड पर कुतिया की तरह झुक गयी, मैंने पीछे से लंड उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चूत को चोदने लगा। जब भी मैं झटके लगता तो उनकी चूचियाँ हवा में झूल जाती। मैं हाथ आगे बढ़ा कर उनकी रुई की तरह नर्म नर्म चूची को मसलने लगा।
मौसी की चूत अब गीली होकर झड़ने वाली थी इसलिये मैंने उनको पीठ के लिटा दिया और उनकी चुदाई करने लगा। कुछ धक्के लगाने के बाद उनकी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया था। अब मुझे भी लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। कुछ तेज धक्के मारने के बाद मैंने लंड चूत से निकाला और उनकी नाभि को अपने वीर्य से भरने लगा।
अब हम दोनों बहुत थक चुके थे, मैं अपने और मौसी के कामरस से गीली चादर पर लेट गया। मौसी ने भी अपने स्तन मेरी पीठ से सटा दिये और हम ऐसे ही सो गये। रात की चुदाई के बाद अगली सुबह मेरी आँख देर से खुली।
आँख खुलते ही मुझको बहुत तेज़ से पेशाब लगा हुआ था। मैं भाग कर बाथरुम गया पेशाब करते वक़्त मुझे मेरे लंड पर हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था। बाथरुम से बाहर निकल कर मौसी को देखा आज वो किचन में नहीं थी बल्कि आज वो दूसरे कमरे में सो रही थी।
मैंने उनको जगाया और पूछा- क्या हुआ? अभी तक सो रही हो मौसी?
मौसी- रात की चुदाई के बाद मेरी चूत में जलन हो रही है और सूज भी गई है।
मै- अच्छा मैं कुछ करता हूँ! क्या रिशु स्कूल चला गया?
मौसी- हाँ!
मैं किचन में गया एक बर्तन में पानी गुनगुना किया। उनके पास आ कर उनके पेटीकोट को उनकी टांगों से सरका कर उतार दिया। उन्होंने अंदर पैंटी नहीं पहनी हुई थी। सच में उनकी चूत सूज कर पाव रोटी हो गई थी। मैंने एक साफ़ रुमाल को पानी में गीला किया, फिर अच्छे से निचोड़ कर उनकी चूत पर रख दिया।
दर्द के कारण मौसी ने अपनी मुट्ठी को बंद कर लिया था। मैं धीरे धीरे चूत की सिंकाई करने लगा, मौसी को अब आराम मिल रहा था। मैंने मौसी की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली और उनके गांड के छेद की भी सिंकाई करने लगा। थोड़ी देर बाद जब उनके चेहरे की तरफ देखा तो वो फिर से सो गई थी। मैंने उनको एक चादर उढ़ा दी। फिर मैं नहाने चला गया। नहा कर निकलने के बाद मैंने कपड़े पहने और मौसी को उठाया।
मौसी ने मेरी तरफ देख कर पूछा- बेटू तुम नहा लिए?
मैं- हां, मैं नहा लिया, आप भी साफ़ हो जाओ तब तक आपके लिये पेनकिलर ले आता हूँ।
मौसी नहाने चली गयी मैं स्टोर से दवा ले आया था और टीवी देखने लगा। थोड़ी देर में वो तैयार हो कर आयीं। आज उन्होंने लाल रंग का सूट सलवार पहन रखा था, उसमें वो बहुत कामुक लग रही थी।
मैंने उनसे पूछा- अब कैसा लग रहा है?
उन्होंने कहा- अब दर्द में आराम है।
मैंने एक ग्लास में पानी निकाल कर पेनकिलर उनकी तरफ बढ़ा दी और खाने को बोला। मौसी ने दवा खा ली और घर के काम करने में लगी। मेरा टीवी देखने में मन नहीं कर रहा था तो मैं उठा मौसी के पास गया वो किचन में खाना बना रही थी।
मैंने उनके गर्दन से बालों को हटाया और उनकी गर्दन को चूम लिया। मौसी मेरी ओर मुड़ी मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल दिये। इससे पहले वो कुछ कहती, मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों से अपने होंठ लगा कर उन्हें चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं अपने दोनों हाथों से उनकी गांड को दबा रहा था। मैंने उनको कमर से पकड़ कर उठाया और किचन के स्लेब पर बैठा कर उनकी टांगों के बीच में आकर उनको जोर जोर से किस कर रहा था और उनकी चूचियों को हाथों से हल्के हल्के दबा रहा था।
मैं मौसी के होंठ को छोड़ कर उनकी गर्दन के नीचे चूमने लगा था। फिर मैं अपना एक हाथ मौसी की सलवार में अंदर डाल कर उनकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाने लगा था। उनकी चूत गीली होने लगी थी। अब हम दोनों एक बार फिर से तन के मिलन को तैयार थे!
लेकिन तभी दरवाजे की घंटी बजी… साला उस दिन पता चला कि खड़े लंड पर धोखा क्या होता है। हम अलग हुए… मौसी ने दरवाजा खोला, रिशु स्कूल से वापस आ गया था। मैं रिशु के साथ खेलने लगा। थोड़ी देर में खाना बन गया, सबने खाना खाया।
मैं रिशु का स्कूल का काम करवाने लगा और मौसी किचन के काम में व्यस्त हो गई। दोपहर को मौसी और रिशु सो गये लेकिन मैं जाग रहा था और सोच रहा था कि आज कुछ नया किया जाय मौसी के साथ… यही सोचते सोचते पता नहीं कब मुझे भी नींद आ गई।
शाम को मौसी ने मुझे जगाया। उन्होंने मुझसे घर के लिये कुछ सामान लाने के लिए बोला। मैं बाजार गया। वहाँ मुझे मौसी के लिये कुछ लेने का ख्याल आया। मैंने उनके लिये काले रंग की एक जालीदार ब्रा और पैंटी ली। थोड़ी देर बाद घर वापस आ गया।
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घर आकर मैंने उनको सामान दे दिया लेकिन उनके लिय खरीदी हुआ गिफ्ट उनको नहीं दिया। थोड़ी देर बाद हम सब खाना खा लिया और मौसी रिशु को सुलाने लगी। मैं अपने कमरे में आ गया। रिशु के सो जाने के बाद मौसी मेरे कमरे में आयीं। मैं आँख बंद के लेटा हुआ था।
उन्होंने आगे झुक कर मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगी। मैं उनको अपने बराबर बेड में लिटा कर उनका साथ देने लगा, कभी उनके होंठ चूमता तो कभी उनकी जीभ को अपने मुँह से चूसने लगता। हम दोनों की लार एक दूसरे के मुँह में मिश्री की तरह घुलने लगी थी।
अब हम दोनों को एक दूसरे को चूमते और सहलाते हुए 5-6 मिनट से ज्यादा हो गया था। अब उनको साँस लेने में तकलीफ होने लगी थी, वो सांस लेने के लिय संघर्ष कर रही थी। फिर उन्होंने मुझे हल्का सा धक्का दे कर अपने होंठों को आजाद किया और मेरी बगल में लेट गई. उनकी सांस सच में इतनी तेज़ चल रही थी जैसे मीलों दूर से दौड़ कर आयी हों।
उन्होंने मुझसे कहा- आज तो तुम मेरी जान ही ले लेते।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनके चेहरे को देख कर मुस्करा दिया। फिर मैं उनका कुर्ता पकड़ कर ऊपर करने लगा। उन्होंने आगे झुक कर कुर्ता उतारने में मेरी मदद की और बेड पर चित लेट गयी। उनके मम्मों को हाथ में लेकर दबाने लगा मैं।
मैं आगे झुका और अपनी जीभ निकाल कर उनके चिकने और दूध से सफ़ेद क्लीवज को चाटने और चूमने लगा। मैं लगातार अपनी जीभ उनके स्तनों पर घुमाये जा रहा था। मौसी तो बस ‘शबाश… मेरे राजा… ऐसे ही अपनी जान को जन्नत की सैर कराते रहो।’ उत्तेजना में मौसी पता नहीं क्या क्या बोले जा रही थी।
एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी चूत को सलवार के ऊपर से सहलाने लगा। थोड़ा नीचे सरक उनकी नाभि को चाट कर गीला करने लगा। मौसी ने खुद ही अपनी सलवार के नाड़े की गांठ को खोलकर उसे सरका के उनकी टांगों से अलग कर दिया। उनकी दुधिया सफ़ेद टांगों को लालची नजर से मन भर देखने लगा।
फिर उनकी टांगों को चूमते हुए ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मैं मौसी की जांघों को पकड़ कर चूमने लगा। वो बार बार मेरे सर के बालों को पकड़ कर अपनी चूत की तरफ खींच रही थी लेकिन मैं उनको और तड़पाना चाहता था इसलिये मैं उनकी जांघों को चूमता रहा।
थोड़ी देर बाद मौसी ने कामाग्नि से उत्तेजित होकर मुझसे कहा- नितेश, मेरी चूत को चाट कर इसे शांत करो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी!
मैंने अपने मुँह को उनकी चूत के पास किया, उनकी भूरी चड्डी कुछ जगह से गीली हो गई थी। उनकी कमर को हाथों से पकड़ कर अपने होंठ चड्डी के ऊपर रखकर उसे चाटने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने चड्डी को अपनी उंगलियों में फंसा कर उतार कर फेंक दिया।
अपनी एक उंगली को चूत के अंदर डाल कर मस्ती से अंदर बाहर करने लगा। फिर मैंने चूत के ऊपरी भाग पर एक पप्पी की और जीभ से उनकी चूत के साथ खेलने लगा। मौसी की चूत की खुशबू मेरे नाक घुस रही थी जिसकी वजह से मुझे किसी नशे जैसा अनुभव होने लगा था।
कभी मैं चूत में अंदर तक जीभ घुसा देता तो कभी फाँकों को मुँह में भर कर खींचने लग जाता। मौसी मेरे बालो में अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी और आह्ह्ह… शश… हाययय… उम्म्म जैसी आवाजें निकाल रही थी। मैं हाथ ऊपर ले जा कर उनकी चूचियों को पकड़ कर उन्हें दबाने लगा। अब मुझे उनकी चूत में तनाव महसूस होने लगा था, वो अपनी गांड उचका कर मेरे मुँह में अपनी चूत देने लगी थी।
मौसी बोली- ऐसे ही चाटते रहो बेटू… मैं आने वाली हूँ।
उन्होंने मेरे सिर को अपनी जाँघों में दबा लिया और आअह्ह्ह…. मैं आ गयी मेरे राजा….. कहते हुए झड़ना चालू कर दिया। उनके रस का स्वाद इस बार कुछ नमकीन और कुछ पेशाब जैसी गंध वाला मिश्रण था। मैंने उनका थोड़ा सा रस अपने मुँह में भर लिया और उनकी बहती हुई चूत को छोड़ कर उनके होंठ तरफ चल दिया।
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। शायद मौसी को मेरी शरारत का पूर्वाभास हो गया था इसलिये उन्होंने अपनी आँखें और होंठ दोनों बलपूर्वक बंद कर रखे थे। मैंने अपने होंठों से उनके होंठ को अच्छे से दबा रखे थे। अब उन्हें साँस लेने परेशानी होने लगी थी। वो साँस लेने के लिय मचलने लगी।
जैसे ही उन्होंने अपना मुँह सांस लेने के लिय खोला, मैंने उनके मुँह में उन्ही के कामरस को अन्दर उड़ेल दिया और फिर से उनके होंठ को अपने होंठ में बंद कर लिया। मौसी को न चाहते हुए भी वो करना पड़ा जो मैं चाह रहा था। उन्होंने अपनी चूत के कामरस को गले के नीचे उतार लिया। मैंने उनका ऊपर वाला होंठ चूमा और पैरो के पास सिर रख कर लेट गया। मैं उनके पैर के पास सर करके लेट गया।
मौसी मुझसे बात करने लगी- बेटू, तुम सच में बहुत गंदे हो!
मै- क्यों क्या हुआ मौसी जान?
मौसी- मेरा ही चूत का रस मुझे ही चटा कर पूछते हो कि क्या हुआ।
मैं- अरे जान, यह भी एक तरह का सेक्स का हिस्सा ही है।
मौसी उठी और मेरी कमर के पास आयीं, उन्होंने मेरी चड्डी को सरका के घुटनों तक कर दिया। मेरा लंड आसमान की ओर तना हुआ खड़ा था, मौसी ने हाथों से लंड की चमड़ी नीचे की, लंड के मूत्रछेद पर उत्तेजना की एक चमकदार बूँद रखी हुई थी जिसे मौसी ने अपनी जीभ नुकीली कर के चाट लिया।
लंड सुपारा भी फूल कर बड़ा हो गया था। मौसी अपनी जीभ से मेरे लंड को ऊपर नीचे चाटती तो कभी सुपारे पर अपनी जीभ घुमा देती। वो अब लंड चूसने में एक माहिर खिलाड़ी हो गयी थी, मौसी एक हाथ से मेरे टट्टे को सहलाने लगी।
मैं अब ज्यादा देर रुकने वाला नहीं था तो मैंने उनका सर कस के पकड़ लिया और अपनी कमर को नीचे से उचका कर मौसी का मुख-चोदन करने लगा, फिर कुछ देर बाद उनके मुख में झड़ने लगा। मौसी मेरे वीर्य को गटक गई। कुछ देर में लंड भी मुरझाने लगा। थोड़ी देर बाद मौसी मेरे लंड से फिर खेलने लगी।
मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?
तो उन्होंने अपनी एक उंगली चूत पर रखी और बोली- अभी इसका काम बाकी है।
मौसी कभी मेरे लंड को चूसती तो कभी मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करने लगती। कुछ देर में लंड भी खड़ा होने लगा था। पूरी तरह से लंड खड़ा होने के बाद मैंने मौसी को अपने ऊपर आने को बोला! मौसी मेरे ऊपर आ गयी।
मैंने लंड उनकी चूत के मुहाने पर रखा और उनको धीरे-धीरे बैठने को बोला। यह हम दोनों के लिय बिल्कुल नया अनुभव था। मौसी धीमे से लंड पर दबाव बनाते हुए बैठने लगी। इस बार मुझे भी कुछ दर्द महसूस हुआ। वो जब नीचे सरकती तो मेरा थोड़ा सा लंड उनकी चूत में चला जाता। इस तरह कुछ देर में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
मैंने मौसी को लंड पर ऊपर नीचे होने का इशारा किया तो वो धीरे धीरे मेरे लंड पर उछलने लगी। मैं उनके दोनों चूतड़ों पर हाथ रख कर नीचे से धक्के लगाने लगा। जब मौसी थक जाती तो अपनी कमर को मेरे लंड पर रख कर गोल-गोल घुमाने लगती।
कभी कभी मैं उनके चूतड़ पर जोर से हाथ मार देता जिससे वो और तेजी से उछलने लगती। उनके झूलते हुए आमों को कभी मैं मुख में भर कर चूस लेता तो उनका मज़ा दोहरा हो जाता। मैं उनकी कमर को अपने हाथों में लॉक कर के नीचे से उनकी चूत में लंड अंदर बाहर करने में लगा था।
मौसी की रफ़्तार अब कुछ कम हो गई थी इसलिये मैंने मौसी मैंने उनको अपने ऊपर से उतार कर बेड पर लिटा दिया और उनकी टांगों के बीच में आ गया। मैं अपना लंड उनकी चूत की लकीर में रगड़ने लगा तो उन्होंने हाथ आगे बढ़ा कर लंड चूत के अंदर डाल लिया।
मैंने उनकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर उनकी जोरदार चुदाई करने लगा। मौसी अब ‘आह्ह… ह्ह्ह… हम्म… उफ्फ्फ… और जोर से चोदो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चूत की चटनी बना दे!’ कहने लगी। उनकी चूत भी अब पनियाने लगी थी।
मौसी ने कहा- ऐसे ही चोदते रहो, मैं आने वाली हूँ।
कुछ 10-15 धक्के के बाद वो ‘मैं आई… मैं आई…’ कहते हुए एक आह्ह की आवाज के साथ झड़ने लगी। उनकी चूत से निकलते हुए पानी की गर्मी को मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था। उनकी चूत मेरे लंड को अपने अंदर खींचने लगी। चूत से रस निकल कर मेरे लंड को गीला कर रहा था।
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जिससे चुदाई करते वक़्त कमरे में पच…पच… का मधुर शोर हो रहा था। उनका माल उनकी चूत के कोने से बह कर उनकी जांघ को गीला करने लगा। अब वो झड़ कर शांत हो गयी थी लेकिन मैं चूत में तेजी से लंड पेलता रहा। गीले होने की वजह से लंड चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। कुछ मिनट बाद मेरे लंड की नसें फूलने लगी, टट्टे भी भरी होने लगे। अब मैं कभी भी अपने अंत-बिंदु पर पहुँच सकता था। कुछ धक्के मारने के बाद मैंने लंड को चूत से निकाला और उनके मुख में दिया।
मेरा लंड उनकी चूत रस सना पड़ा था जिसे मौसी बड़े मज़े से मुख में लेकर चूसने लगी। मेरा लंड उनके मुख में रह रह कर तुनके मार रहा था। कुछ देर बाद मेरे लंड ने उनके मुख को गाढ़े, गर्म और चिपचिपे वीर्य से भर दिया। वो मेरे वीर्य को मजे से पी गई और लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी। थोड़ी देर में लंड भी सिकुड़ कर छोटा हो गया था। मैंने लंड उनके मुंह से निकाला और उनके बदन से चिपक कर लेट गया। कुछ देर बाद हम सो गये।