Shreya ki Sperm therapy 3 hot sexy kahani
विशाल और प्रदीप भैया ने गजब की चुदाई करके मुझे खूब सारा स्पर्म पिलाया। उधर मम्मी ने फूफा जी से चुद के मेरे लिए स्पर्म निकाला, मैं वो भी गटक गयी। मेरी इस Shreya ki Sperm therapy 3 hot sexy kahani का लास्ट पार्ट-
मेरी चूत अभी भी पूरी तरह गीली थी। मैं अपनी दो उंगलियों को चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी। इधर फूफा जी कुछ ही पलों में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में घुसेड़ते हुए झड़ने लगे, मैं उनका वीर्य पीने लगी। जब उनका लंड झड़ना बन्द हुआ, तब मैंने उनका लंड मुँह से बाहर निकाला और भाग कर मैं अपने कमरे में आ गई।
यहाँ प्रदीप और विशाल अपना अपना लंड खड़ा किए हुए सहला रहे थे। office sex in hindi मुझे देखते ही विशाल बोला- इतनी देर से तुम कहां थी?
कुछ नहीं… दरअसल फ़ूफा जी मम्मी को चोद रहे थे तो मम्मी ने मुझे उनका वीर्य पीने के लिए बुला लिया था, इसलिए थोड़ी देर लग गई।
विशाल बोले- ओह… यह बात थी। खैर उसी तरह से तुम मेरी टांगों के बीच डॉगी स्टाइल में आ जाओ। तुम्हारी चूत रंवा हो चुकी है और अब प्रदीप तुम्हें हचक कर चोदेगा।
मैंने वैसा ही किया जैसे विशाल ने कहा। प्रदीप अपना हलब्बी लंड हाथ से पकड़े मेरे चूतड़ों के पीछे पहुँच गया और उसने एक साथ अपनी तीन उंगलियों को मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैं एकदम से उचक गई। इसकी मुझे कतई आशा नही थी कि प्रदीप पहले उंगलियों से चोदेगा। वो अपनी तीनों उंगलियों से कुछ देर चोदता रहा। मैं विशाल का लंड चूसे जा रही थी।
फिर प्रदीप ने चार उंगलियों से चोदना शुरू किया। मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था लेकिन मजा भी आ रहा था। अब मेरी चूत पूरी की पूरी गीली हो चुकी थी मेरी चूत से पानी बिस्तर पर टपकना शुरू हो गया था, शायद प्रदीप के लंड के स्वागत के लिए तैयार थी। यह बात प्रदीप भी जान गया था, तभी उसने उंगलियों से चोदना बन्द कर अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और अपने खड़े लंड का सुपारा मेरी चूत के गुलाबी होठों पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा।
मेरे पूरे बदन के रोएँ खड़े हो गए इस एहसास से कि जब प्रदीप अपना हलब्बी लंड घुसेड़ेगा तो कैसा लगेगा। मैं यह सोच ही रही थी कि तभी लंड का सुपारा मेरी चूत में घुसा। मुझे लगा कि कोई बहुत मोटा लट्ठ मेरी चूत को फाड़ कर अन्दर घुस रहा हो।
मैं दर्द के मारे कराहने लगी, प्रदीप बोले- बस श्रेया जान ! office sex hindi थोड़ा सा दर्द सह लो, अभी तुमको आराम मिल जायेगा। मैं करती तो क्या करती? प्रदीप मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए थे और विशाल मेरा सिर को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़े हुए थे। मेरे मुँह से तो कराह की आवाज तक ठीक से नहीं निकल पा रही थी, मैं तो दोनों के बीच में फंसी थी। मेरी मजबूरी थी दर्द सहना।
लेकिन थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हो गया क्योंकि अब प्रदीप का सुपारा मेरी चूत में थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था और बीच बीच में प्रदीप अपने लंड को मेरी चूत की थोड़ी गहराई में झटके से पेल देता था, फिर जल्दी से पूरा लंड बाहर निकाल लेता था। वह मुझे बड़े आहिस्ता आहिस्ता चोद रहा था अब मुझे धीरे-धीरे मजा आने लगा था। साथ ही साथ मैं विशाल के लंड को भी चूस रही थी। मैंने विशाल के लंड से अपना मुँह हटाया और प्रदीप से बोली- प्रदीप ! मुझे दर्द नहीं हो रहा है अब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल सकते हो।
यह सुनते ही प्रदीप ने एक झटके में अपना पूरा 8 इन्ची लंड मेरी चूत में पेल दिया। एक पल के लिए मुझे हल्का सा दर्द महसूस हुआ। इसके बाद तो चुदाई का मजा आने लगा। प्रदीप लगातार पूरी गति से मुझे चोद रहा था और उसी गति से मैं अपनी गाण्ड आगे-पीछे कर के उसका साथ दे रही थी। दोनों लोग मुझको कस कर चोदते रहे, एक मुँह को, और दूसरा मेरी चूत को। इस बीच मैं कम से कम कम 7-8 बार झड़ चुकी थी।
करीब 30 मिनट के बाद विशाल ऐंठने लगा और वह मेरे मुँह के अन्दर ही झड़ गया। मैंने उसका वीर्य पी लिया। इधर प्रदीप ने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी। फिर एक झटके से अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर बोले- मैं झड़ने वाला हूँ ! मेरे लंड को अपने मुँह में ले लो।
मैं बिल्कुल उल्टा घूम कर अपनी चूत विशाल की तरफ कर के प्रदीप का लंड, जोकि चुदाई के बाद और भी ज्यादा मोटा हो गया था, अपने मुँह में लेने का प्रयास किया लेकिन सुपाड़ा चुदाई के बाद इतना बड़ा हो गया था कि मैं उसको अपने मुँह में नहीं ले सकी सिर्फ चाट चाट कर वीर्य पीना पड़ा।
उधर जैसे ही विशाल ने मेरी चूत को देखा तो चिल्लाया- अबे प्रदीप, तूने तो श्रेया की चूत को भोसड़ा बना दिया। देखो तो इसकी चूत बिलकुल कमल की तरह खिल गई है।
प्रदीप मुस्कराने लगे और बोले- यार मैं जिसकी एक बार ले लेता हूँ उसकी बुर जिन्दगी भर के लिए भोसड़ा बन जाती है। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है यार ! hot office sex मेरा लंड ही ऐसा है, मैं क्या करूं।
मैंने सोचा- देखें ! मेरी चूत प्रदीप की एक चुदाई से भोसड़ा कैसे बन गई।
मैं तुरन्त बेड से उतर कर ड्रेसिंग मिरर के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और अपनी दोनों टागें ऊपर उठा कर अपनी चूत को शीशे में देखते ही मेरे मुँह से निकला- ओह माई गॉड ! यह तो वाकई एक खूबसूरत भोसड़ा बन गई है।
अभी भी इसके दोनों लब दरवाजे की तरह दाएँ बाएँ खुले हुए थे और बीच में एक बड़ा सा दो इन्ची व्यास का छेद नजर आ रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियों को उसमें डाला। मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि मेरी भोसड़े में दो उंगलियां हैं !
मुझे बहुत खुशी हुई। इसके बाद मैं उठ कर बेड पर दोनों के साथ लेट गई। उस रात उन दोनों ने मेरी दो बार और चुदाई की। करीब तीन बजे हम सब थक कर वैसे ही नंगे सो गए।
सुबह मम्मी ने हम लोगों को करीब नौ बजे जगाया।
हम लोग हड़बड़ा कर उठे और अपने अपने कपड़े को खोजने लगे। हम लोगों की हालत देख कर मम्मी बड़ी प्रसन्ता से बोली- मैं तुम लोगों के लिए चाय नाश्ता बना रही हूँ, फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाना।
यह कहते हुए मम्मी रसोई की तरफ चली गई। हम सभी लोग थोड़ी ही देर में डाइनिंग टेबल पर आ गए। चाय नाश्ता मेज़ पर लगा था।
मम्मी रसोई से आते हुए मुस्कराते हुए बोली- लगता है तुम लोगों ने श्रेया को रात भर कस कर चोदा है। इस बात पर प्रदीप और विशाल बगैर कुछ बोले मुस्कराने लगे। नाश्ता करने के बाद प्रदीप और विशाल एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए।
पाँच दिनों तक विशाल और प्रदीप मुझे सुबह और रात में दो दो बार चोदते रहे। office sex hindi उसके बाद विशाल दिल्ली चला गया और प्रदीप अपने घर चला गया। लेकिन रोज शाम को आकर मुझे चोदता था और वीर्य पिलाता था। कभी कभी प्रदीप के दोस्त भी मुझे चोदते और वीर्य पिलाते थे।
एक दिन प्रदीप के साथ उसका दोस्त मोहन त्रिपाठी आया। मैं समझ गई कि आज यह भी मुझे चोदेगा और वीर्य पिलाएगा।
खैर प्रदीप ने मोहन त्रिपाठी का परिचय मेरी मम्मी से कराया ये मेरे बड़े भाई के और मेरे भी दोस्त हैं ये ज्योतिष और हस्त रेखा के विशेषज्ञ है ये जो भी बात बताते हैं वो बिल्कुल सही निकलती है।
यह सुन कर मेरी मम्मी तुरन्त मेरे बारे में पूछने लगीं- मेरी बेटी श्रेया का बदन एक जवान लड़की की तरह होगा या नहीं और इसकी शादी कब होगी?
इस पर मोहन त्रिपाठी ने मेरी कुन्डली मांगी। sex stories in office मम्मी ने मोहन त्रिपाठी को कुन्डली ला कर दे दी। उन्होंने बड़े ध्यान से कुन्डली को पाँच मिनट तक देखा फिर मुझसे बोले- अपना बायाँ हाथ दिखाओ।
मेरा हाथ उलट पलट कर देखते रहे, फिर मम्मी से बोले- आपकी बेटी का हार्मोनल सिस्टम बिगड़ा है अगर एक चीज आपकी बेटी के शरीर में होगी तो वो बिलकुल ठीक हो जायेगी।
वोह क्या… मम्मी बोलीं।
इस पर पंडित जी ने प्रदीप के कान में कुछ कहा। फिर प्रदीप ने मम्मी को इशारे से अन्दर आने को कहा। प्रदीप और मम्मी अन्दर चले गए। प्रदीप ने मम्मी से कहा कि पंडित जी श्रेया की बुर का निरीक्षण करना चाहते हैं।
मम्मी ने अनुमति दे दी। फिर प्रदीप ने आकर पंडित जी से कहा कि आप देख सकते हैं ! और मुझसे कहा कि सलवार उतार कर तुम अपनी बुर पंडित जी को दिखाओ। मैंने वैसा ही किया जैसे प्रदीप ने कहा। मुझे अब किसी के सामने कपड़े उतारने में कोई संकोच नही होता था।
पंडित जी ने मेरी चूत को बारीकी से देखा और मुस्कराकर मम्मी से बोले- आपकी लड़की बिल्कुल सही हो जायेगी क्योंकि इसकी योनि पर काला तिल है, आपकी लड़की इतनी सेक्सी है कि कोई साधारण लड़का इसको संतुष्ट नहीं कर पायेगा, वही लड़का इसको संतुष्ट कर सकता है, जिसके लिंग पर काला तिल होगा।
आप इसकी शादी उसी लड़के से करियेगा। और जहाँ तक इसकी शादी की बात है वह 28-29 वर्ष में हो जायेगी। आप की लड़की तो सुन्दरता का प्रयाय बनेगी। आप देखती जाइये। office me choda क्योंकि इसकी कुन्डली में पिछले तीन महीने से शुक्र की महादशा चल रही है आप बिलकुल निश्चिंत रहिए। फिर प्रदीप और पंडित बाहर चले गए। मैं और मम्मी, पंडित जी की भविष्यवाणी सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।
इसके बाद यह थैरेपी करीब तीन महीने तक चली लेकिन कोई खास परिवर्तन मेरे बदन में नही दिखा। लेकिन मेरी मम्मी ने कहा- तुम लगातार वीर्य पान करती रहो।
चौथे महीने के एक दिन जब सुबह उठी, तो मुझे लगा कि मेरी बुर के पास की सलवार गीली है। मैंने हाथ लगा कर देखा कि मेरी बुर से खून रिस रहा था। मैंने भाग कर मम्मी को बताया।
मम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और सलवार उतार कर मेरी बुर के होठों को फैला कर देखते ही बोली- चलो, तुम्हारे पीरियड शुरू हो गये हैं अब सब ठीक हो जायेगा। इसके बाद तो चुदाई में मुझे और मजा आने लगा। मेरी चुदाई से अब मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगा था। पांचवे महीने मेरी चूचियाँ सन्तरे के बराबर हो चुकी थी और मेरा रंग भी पहले से ज्यादा साफ हो रहा था।
एक साल के बाद तो कोई मुझे पहचान ही नही सकता था। मैं एक सम्पूर्ण खूबसूरत लड़की हो चुकी थी। जहाँ भी जाती, लोग मुझे देखते ही रहते। अब तो मैं महफ़िलों की शान थी। जो भी लड़का मुझे देखता, वो चोदने के फिराक में आ जाता था। लेकिन मैं सबसे तो चुदवा नहीं सकती थी।
समय बीतता गया, बीच बीच में मेरे रिश्ते के मामा ने भी मेरी खूब चुदाई की। मुझे उनकी चुदाई में मजा भी आता था।
मम्मी अक्सर कहती थी कि तुम्हारी शादी इन्हीं से करवा दे ! लेकिन वो कभी भी मुझे पूर्ण संतिष्टि नहीं दे पाये। इसलिए मैंने उनसे शादी के लिए मना कर दिया। इसीलिए मैंने अपने कई ब्वाय फ्रेन्ड्स के साथ सेक्स किया लेकिन सर… !
मैंने किसी के लण्ड पर काला तिल नहीं देखा। मेरी उम्र बढ़ती जा रही थी। antarvasna office फिर मेरे पापा के जानने वाले ने मेरी शादी एक सी.ए. से तय करा दी। वो सी ए साधारण लड़का था। मैंने भी सोचा कि चलो इसी से कर लेते हैं। शादी हमारे समाज में आवश्यक है। जब कोई आदमी, जिसके लन्ड पर काला तिल होगा, मिलेगा, तो उससे अपनी चूत की आग बुझवा लिया करूगीं।
फिर कुछ दिनों के बाद मेरी शादी हो गई। दो महीने के बाद मैंने आप के यहाँ जॉब कर ली। और आज जब मैंने आप के लन्ड पर काला तिल देखा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त आपके ऑफर को मान लिया। पंडित जी के अनुसार आप ही मुझे संतुष्ट कर सकते हैं !
यह सुनते ही मैंने कहा- ओह.. तो यह बात है… श्रेया । यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।
खैर मैंने श्रेया से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।
ओह.. तो यह बात है… श्रेया । यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।
खैर मैंने श्रेया से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।
यह सब कहते हुये उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं था बल्कि और भी जोर से पकड़ लिया था। मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह सख्त हो चुका था। अंदर से मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था।
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है सर…?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल … !
उसने कहा- और..?
वह कुछ और ही सुनना चाहती थी …
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े स्तन … तुम्हारे चूतड़ … मैं इन्हें सहलाना चाहता हूँ … इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने सिसकारती आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर … मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी …
उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को मसलने लगा … उसके भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे, घुटने के बल आकर उसने मेरे सुपारे को लॉलीपॉप की तरह फिर से चूसना शुरू कर दिया।
मैं सिसकारियाँ लेने लगा और जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा … थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया।
अचानक वो खड़ी हुई … मैं भी खड़ा हो गया। उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था …पहले तो मैं सहलाता रहा … नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ … उनके बीच की दरार … जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी … मैंने उसकी चूत के दरार पे उंगली फ़िराई …उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी…
मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी… वो चिहुँक उठी … .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया … उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं … मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया …
वो मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी … मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था… उसकी चूत गीली होती जा रही थी … वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी … उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी।
और मैं उसकी दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी ! मैं तो सिर्फ मानव हूं।
फिर वो पीछे घूम गई … अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था … ..मैंने उसके दोनों स्तन पकड़े और पीछे सट गया … वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पर रगड़ने लगी। आह … स्वर्गीय आनंद था … कामुकता … वासना … अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पर एक चुम्बन दिया … उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा,”उँह्ह्ह्ह्ह्ह …”
मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और चूत पर फेरने लगा … एक छोटी सी … मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ … जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी …और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बो के बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी …
लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है … मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ सोफे के बैक पर रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था। साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं … धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं …
सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए चमेली फूल सा लग रहा था …उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों की एक बारीख लाइन दिखाई दे रही थी … वो ऐसे लग रही थी जैसे श्रेया के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो … थोड़ा गुलाबी … थोड़ा बादामी … ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच …मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे …
मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार … तीन इंची दरार में टिका दिया … मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी बुर को चाटने लगा … कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था … अब वो कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उसके योनिद्वार में घुसा दिया … उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं …मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया … उसकी दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा …
लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था …जो आम तौर पर आठ इंच का दिखता था … आज नौ इंच का दिख रहा था … सुपारा अंगारा हो गया था … उतना ही गरम … उतना ही लाल … ! अपना दहकता अंगार मैंने श्रेया के सुलगते लावा में रख दिया … जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था … उफ़ क्या गरमी थी … क्या नरमी थी … ।
अपने गरम सुपारे को उसकी चूत के दोनों होठों के बीच रगड़ने लगा … … जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था … श्रेया अपना नियंत्रण खोती जा रही थी … उसके तन-मन में मादकता छा गई थी … उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया …
मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की …
कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपारा बार-बार फ़िसल जाता था … अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस चूत के छेद के लिये 4-5 इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था …। मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा … दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा … उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी … सुपारा अन्दर समा गया … अभी भी आठ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था … ऑफिस का एसी चलने चलने के बावज़ूद मैं पसीने-पसीने हो रहा था …।
अब मैंने लंड को छोड़ा … अपने आपको सीधा किया … गहरी साँस ली … दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा …नज़रें चमेली के फूल पर टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया … अब मेरा लौड़ा तकरीबन 4-5 इंच अंदर था..। अंदर तो भट्टी दहक रही थी … सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था …
श्रेया कराह रही थी …थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे …लंड आधा ही अंदर था … मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था …श्रेया चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। … मैं भी उसके चूत की मांसपेशियों का फैलना और सुकड़ना को महसूस कर रहा था। करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया …
अभी भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था … मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था … उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका चूतमर्दन कर रहा था।
मैं रफ़्तार पकड़ चुका था … और श्रेया भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी …
वो बड़बड़ा रही थी- पुश इट् हार्ड … पुश दैट मोर इनसाइड … ऊह्ह्ह्ह … ओ गॉड … आह..ऊँहु्ह्ह्ह … और जाने क्या-क्या … । अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा … ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं … उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी … और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। अचानक श्रेया भरभराकर कोहनियों के बल सोफे की सीट पर आ गई … उसका पेट और स्तन सीट पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था …
मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा … उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा … उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया …
श्रेया बोली- ओ गॉड … यह तो यूटेरस में टकरा रहा है …
इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई … मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया … कोई 20-25 मिनट के बाद मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया …
बस इतना पता है कि उसने कहा- ओह गॉड … .इतना सारा …?
मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया … उसके स्तनों को मसलने लगा … मेरा लंड उसकी चूत में फैलने-सुकड़ने लगा … उसने पता नहीं क्या किया … ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो। मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था … हम दोनों तरबतर हो चुके थे !
इसके बाद हम लोग हांफते हुए सोफे पर कटे हुए पेड़ की तरह गिर पड़े। उस दिन मैंने श्रेया को पाँच बजे तक चार बार चोदा। आखिर में श्रेया ने कह ही दिया… सर आज से पहले इतनी खुशी नहीं मिली। फिर हम लोग ऑफिस बन्द कर के अपने अपने घर चले गये।
——-समाप्त——-
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