ट्रेन में अकेली

Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

एक औरत का ट्रेन में अकेले सफ़र करना खतरे से खाली नहीं पर अगर वो थोड़ी नॉटी हो तो इस अकेलेपन का फायदा भी उठा सकती है और सेक्स की देवी बन सकती है. मेरे ऐसे ही एक Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani सुनाती हूँ..

ये बात लगभग १ साल पहले की है. हमारे रिश्तेदारी में किसी की डेथ हो गई थी. मेरे पति अपने काम धंधों में व्यस्त थे इसलिए मुझे ही वहां जाना पड़ा. ट्रेन का सफर था और मुझे अकेले ही जाना था इसलिए मेरे पति ने प्रथम श्रेणी एसी में मेरे लिए रिज़र्वेशन करवा दिया था.

रात को दस बजे की ट्रेन थी. मुझे मेरे पति स्टेशन तक छोड़ने के लिए आए और मुझे मेरे कूपे (कम्पार्टमेंट) में बिठा कर टिकेट चेकर से मिलने चले गए. मेरा कूपा केवल दो सीटों वाला था.

अभी तक दूसरी सीट पर कोई भी पेसेंजेर नहीं आया था. मैंने अपने सामान सेट किया और अपने पति की इंतज़ार करने लगी. थोडी ही देर में मेरे पति वापस आ गए. उनके साथ ब्लैके कोट में एक आदमी भी आया था. वो टिकेट चेकर था. उसके उम्र करीब छब्बीस साल की थी, रंग गोरा और करीब पौने छह फीट लंबा हेंडसम नवयुवके लग रहा था. मेरे पति ने उससे मेरा परिचय करवाया. वो आदमी केवल देखने में ही हेंडसम नहीं था बल्कि बातचीत करने में भी शरीफ लग रहा था.

उसने मुझसे कहा

” चिंता मत कीजिये मैडम मैं इसी कोच में हूँ कोई भी परेशानी हो तो मुझे बता दीजियेगा मैं हाज़िर हो जाऊंगा. आपके साथ वाली बर्थ खाली है अगर कोई पेसेंजर आया भी तो कोई महिला ही आएगी इसलिए आप निश्चिंत हो कर सो सकती हैं.”

उसकी बातों से मुझे और मेरे साथ साथ मेरे पति को भी तसल्ली हो गई. ट्रेन चलने वाली थी इसलिए मेरे पति ट्रेन से नीचे उतर गए. उसी समय ट्रेन चल दी. मैंने अपने पति को खिड़की में से बाय किया और फिर अपने सीट पर आराम से बैठ गई. दोस्तों मुझे आज अपने पति से दूर जाने में बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था. इसका कारण ये था कि मेरी मौसी हवारी ख़तम हुए अभी एक ही दिन बीता था और जैसा कि आप सब लोग जानते हैं मेरी जैसी चुदक्कड़ औरत की ऐसे दिनों में चूत की प्यास कितनी बढ़ जाती है. मैं अपने पति से जी भर कर चुदवाना चाहती थी लेकिन अचानक मुझे बाहर जाना पड़ रहा था. इसी कारण से मैं मन ही मन दुखी थी.

तभी कूपे में वो हेंडसम टीटी आ गया. उसने कहा Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

“मैडम आप गेट बंद कर लीजिये मैं कुछ देर में आता हूँ तब आपका टिकेट चेके कर लूँगा.”

उसके जाने के बाद मैंने सोचा की चलो कपड़े बदल लेती हूँ. क्योंकि रात भर का सफर था और मुझे साड़ी में नींद नहीं आती. ये सोच कर मैंने गाउन निकालने के लिए अपना सूटकस खोला तो सर पकड़ लिया. क्योंकि मैं जल्दबाजी में गाउन के ऊपर वाला नेट का पीस तो ले

आई थी लेकिन अन्दर पहनने वाला हिस्सा घर पर ही रह गया था. जो हिस्सा मैं लाई थी वो पूरा जालीदार था जिसमें से सब कुछ दीखता था.

करीब दो मिनट बैठने के बाद मेरी अन्तर्वासना ने मुझे एक नया निर्णय लेने के लिए विवश कर दिया. मैंने सोचा कि क्यों आज इस हेंडसम नौजवान से चुदाई का मज़ा लिया जाए. ये बात दिमौसी ग में आते ही मैंने वो जालीदार केवर निकाल लिया और ज़ल्दी से अपनी साड़ी, ब्लाउज़ और पेटीकोट निकाल दिए. अब मेरे बदन पर रेड कल र की पेंटी और ब्रा थी. उसके ऊपर मैंने सफ़ेद रंग का जालीदार गाउन पहन लिया. वैसे उसको पहनने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसमे से सब कुछ साफ़ नज़र आ रहा था और उससे ज्यादा मज़ेदार बात ये थी कि अन्दर पहनी हुई ब्रा और पेंटी भी जालीदार थी. इसलिए बाहर से ही मेरे निपल तक नज़र आ रहे थे. ख़ुद को आईने में देखकर मैं ख़ुद ही गरम हो गई.

साड़ी तैयारी करने के बाद मैं अपनी सीट पर लेट गई और मैगज़ीन पढ़ते हुए टीटी का इंतजार करने लगी. मुझे इंतज़ार करते करते पाँच मिनट बीत गए तो मैंने सोचा कि क्यूँ न पहले खाना खाकर फ्री हो लूँ ये सोच कर मैंने अपना खाना निकाल लिया जो मैं घर से साथ लाई थी. खाना शुरू करते हुए मैंने सोचा कि खाने के बीच मैं टीटी टिकेट चेके करने आ गया तो बीच में उठ कर टिकेट निकालना पड़ेगा ये सोच कर मैंने अपने पर्स में रखा टिकेट निकाल लिया.

टिकेट हाथ में आते ही मेरी आँखों के सामने उस टीटी का जवान बदन घूम गया और मेरे अन्दर की सेक्सी औरत ने अपना काम करना शुरू कर दिया. मैंने पहले ही जालीदार कपड़े पहने थे जिसमे से मेरा पूरा बदन दिखाई पड़ रहा था और फिर मैंने अपना टिकेट भी अपने बड़े बड़े स्तनों के अन्दर ब्रा के बीच मैं डाल लिया. अब वो टिकेट दूर से ही मेरे बायें उरोज के निप्पल के पास दिखाई दे रहा था. Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

पूरी तैयारी के बाद मैं खाना खाने लगी. तभी मेरे कूपे का गेट खुला और टीटी अन्दर आ गया. अन्दर आते ही मुझे पारदर्शी केपडों में देखकर बेचारे को पसीना आ गया. वह बिल्कुल सकेपका गया और इधर उधर देखने लगा. मैंने उसका होंसला बढ़ाने के लिए उसकी तरफ़

मुस्कुरा कर देखा और कहा “आईये टीटी साहब बैठिये, खाना खायेंगे आप ?”

मेरी बात सुनते ही वह बोला “न.न. नहीं मैडम आप लीजिये मैं तो बस आपका टिकेट टिक करने आया था. कोई बात नहीं मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा आप आराम से खा लीजिये.” मैंने उसे सामने वाली

सीट पर बैठने का इशारा करते हुए कहा “नहीं नहीं!! आप बैठो ना, मैं अभी आप को टिकेट दिखाती हूँ.”

यह कह कर मैंने अपना खाने का डिब्बा नीचे रख दिया और टिकेट ढूँढने का नाटके करने लगी. ये सब करते हुए मैं बार बार नीचे झुक रही थी ताकि वो मेरी छातियाँ जी भर के देख ले. मेरे बड़े बड़े दूधिया उरोज किसी को भी अपना दीवाना बना सकते हैं. ये साड़ी हरकेतें करते हुए मैं ये इंतज़ार कर रही थी की वो ख़ुद मेरे बायें उरोज में रखे हुए टिकेट को देख ले और हुआ भी ऐसा ही उसने मेरे सीने की और इशारा करते हुए कहा

” मैडम लगता है आपने टिकेट अपने ब्लाउज़ में रख लिया है.”

मैंने अनजान बनते हुए अपने गले की तरफ़ देखा और हँसते हुए कहा ” कहाँ यार…मैंने ब्लाउज़ पहना ही कहाँ है ये तो ब्रा में रखा हुआ है.” बोलते बोलते मैंने अपने खाना लगे हुए हाथों से उसको निकालने की नाकाम कोशिश की और इधर उधर से ऊँगली डाल कर टिकेट पकेड़ने की कोशिश करते हुए उसे अपने चूचियाँ के दर्शन करवाती रही.

जब मेरी ऊँगली से टकरा कर टिकेट और अन्दर घुस गया तो मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

“सॉरी..यार अब तो तुझे को ही मेहनत करनी होगी.” मेरी बात सुनते ही वो उठकर मेरे पास आ गया और मेरे गाउन में हाथ डालता हुआ बोला “क्यों नहीं मैडम मैं ख़ुद निकाल लूँगा!!”

ये बात कहते हुए वो बड़ी अदा से मुस्कुरा उठा था. उसने डरते डरते मेरे गाउन के अन्दर हाथ डाला और टिकेट पकड़कर बाहर खीचने की कोशिश करने लगा. लेकिन टिकेट भी मेरा पूरा साथ दे रहा था. वो टिकेट उसकी ऊँगली से टकरा कर बिल्कुल मेरे निप्पल के ऊपर आ गया

जिसे अब ब्रा में हाथ डाल कर ही निकाला जा सकता था. वो बेचारा मेरी ब्रा में हाथ डालने में डर रहा था इसलिए मैंने उसको इशारा किया और

बोली “हाँ.हाँ.. तू ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर निकाल ले न प्लीज़ !!” मेरी बात सुनते ही उसके होंसले बुलंद हो गए और उसने अपना पूरा हाथ मेरी ब्रा के अन्दर घुसा दिया.

हाथ अन्दर डालते ही उसको टिकेट तो मिल गया लेकिन साथ में वो भी मिल गया जिसके लिए नौजवान पागल हो जाया करते हैं. मेरी एक चूची उसके हाथ में आते ही वो बदामा श हो गया और उसने मेरी चूची को अपने हाथ से सहलाना और मसलना शुरू कर किया. मैं तो यही चाहती थी इसलिए मैं उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी. मुझे मुस्कुराता

देख कर वो खुश हो गया और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूची दबा डाली. उसके बाद उसने टिकेट निकाल कर चेके किया और मेरी तरफ़ आँख मौसी रते हुए बोला “आप खाना खा लीजिये..मैं बाकी सवारियों को चेके कर के अभी आता हूँ.”

मैंने भी उसको खुला निमंत्रण देते हुए कहा “ज़ल्दी आना..!!”

वो मुस्कुराता हुआ ज़ल्दी से बाहर निकल गया. Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मैंने भी ज़ल्दी ज़ल्दी अपना खाना खाया और बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार करने लगी. जितनी ज़ल्दी मुझे थी उतनी ही उसे भी थी इसीलिए वो भी पाँच-सात मिनट में ही वापस आ गया. अन्दर आते ही उसने कूप अन्दर से लाके कर लिया और मेरे करीब आ कर मुझे अपनी सुडौल बाँहों में भरता हुआ बोला “आओ..मैडम..आज आपको फर्स्ट एसी का पूरा मज़ा

दिलवाऊंगा”.

मैंने भी उसकी गर्दन में हाथ डालते हुए उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. अगले ही पल वो मेरे नीचे वाला होंठ चूस रहा था और मैं उसके ऊपर वाले होंठ को चूसने लगी. इस चूमौसी चाटी से वासना की आग भड़के उठी थी और ना जाने केब मेरी जीभ उसके मुंह में चली गई और वो मेरी जीभ को बड़े प्यार से चूसने लगा. उसके हाथ भी अब हरकत करने लगे थे और उसका दायाँ हाथ मेरी बायीं चूची को दबा रहा था. मुझे मज़ा आने लगा था और वो टी टी भी मस्त हो गया था. करीब दो-तीन मिनट की चूमौसी चाटी के बाद वो अलग हुआ और लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला “मैडम, एक प्रॉब्लम है !”

मैंने पूछा “क्यूँ क्या हुआ ?”

“मैडम मेरे साथ मेरा एक साथी और है इसी कोच में, अगर मैं उसको ज्यादा देर दिखाई नहीं दूँगा तो वो मुझे ढूँढता हुआ यहाँ आ जाएगा.” वो बोला। “अगर आप इजाज़त दें तो क्या उसको भी बुला….”.

उसके बात सुनते ही मेरी खुशी ये सोचकर दोगुनी हो गई चलो आज

बहुत दिनों बाद एक साथ दो लण्ड मिलने वाले हैं. इसलिए मैंने तुंरत अहसान सा जाताते हुए जवाब दिया ” अच्छा चलो.. बुला लो उसको भी लेकिन ध्यान रखना किसी और को पता नहीं चलना चाहिए. जाओ जल्दी

से बुला लाओ.” Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मेरी बात सुनते ही वो दरवाजा खोल कर बाहर चला गया और तीन-चार मिनट बाद ही वापस आ गया. उसके साथ एक आदमी और था. ये नया बन्दा करीब पैंतीस साल की उम्र का था. रंग काला लेकिन शकल सूरत से ठीक ठाक था बस थोड़ा मोटा ज़्यादा था. मैंने मन ही मन सोचा

चलो दो लण्ड से तो मेरी प्यास बुझ ही जायेगी भले ही दोनों में ताकेत कम ही क्यों ना हो.

उन दोनों ने अन्दर आते ही कूपे को अन्दर से लाके कर लिया और दोनों मेरे पास आ कर खड़े हो गए. पुराने वाले टीटी जिसका नाम मुझे अभी तक पता नहीं था उसने अपने साथी से मुझे मिलवाया “मैडम ये है मेरा दोस्त वी वीनू.”

मैंने खड़े होते हुए उससे हाथ मिलाया और पुराने वाले से बोली “ये तो ठीक है पर तुमने अभी तक अपना नाम तो बताया ही नहीं.”

मेरी बात पर मुस्कुराते हुए वो बोला “मैडम मुझे मनोज कहते हैं. वैसे आप मुझे मनु भी बुला सकती हो.”

मैंने उन दोनों से कहा “मनु!! तुम्हारा नाम तो अच्छा है लेकिन यार तुम लोगों ने ये मैडम मैडम क्या लगा रखा है. मेरा नाम शिवानी है. वैसे तुम लोग मुझे किसी भी सेक्सी नाम से बुला सकते हो.”

आपस में परिचय पूरा होने के बाद हम लोग थोड़ा खुल गए थे. लेकिन वो दोनों कुछ शरमौसी रहे थे इसलिए पहल मुझे ही करनी पड़ी और मैंने मनु के गले में हाथ डाल कर उसके होंठ चूसना चालू कर दिए. मनु भी मेरी कमर को अपने हाथों से पकेड़ते हुए मुझे चिपका कर चूमने लगा. उसका साथी वीनू अभी तक खड़ा हुआ था. उस बेचारे की हिम्मत नहीं हो रही थी कि कुछ कर सके.

उसको अपने करीब बुलाते हुए मैंने ही उससे कहा “तू क्या लाइव शो देखने आया है।” Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

ऐसा कहकर मैं उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड पर हाथ फेरना

चालू कर दिया. अब कभी मनु मुझे चूमता तो कभी वीनू मेरी गर्दन पर अपने दांत गड़ा देता. कुछ देर तक हम लोग खड़े खड़े ही चूमौसी चाटी करते रहे लगे. उन दोनों को उकेसाने के लिए मैंने उन दोनों के लंडों की नाप तौल शुरू कर दी थी. जैसे ही वो दोनों अपने रंग में आए तो उन्होंने मुझे उठा कर सीट पर लेटा दिया और फिर अपना अपना काम बाँट लिया.

मनु मेरे होठों को चूसते हुए मेरी छातियों से खेलने लगा और उधर वीनू ने मेरी पेंटी निकाल कर चूत का रास्ता ढूँढ लिया. मनु मेरी एक एक चूची को बारी बारी से दबा और मसल रहा था साथ में मेरे मुंह में अपनी स्वादिष्ट जीभ भी डाल चुका था. नीचे वीनू चूत के आस पास और नीचे वाले होठों को चूसने में मगन था. मुझे ज़न्नत का मिलना चालू हो गया था लेकिन अभी तक उन दोनों ने अपने कपड़े नहीं

उतारे थे इसलिए मैं अभी तक अपने असली हीरो के दर्शन नहीं कर पायी थी. मैंने उन दोनों को रोकते हुए कहा “रुको..मेरे यारों..केवल मेरे ही कपड़े उतारोगे तो कैसे काम चलेगा तुम लोग भी तो अपने अपने हथियार निकालो.”

मेरी बात सुनकर वीनू ने अपने कपड़े खोलना चालू कर दिया लेकिन मनु मेरी चूत का दीवाना हो गया था और चूत छोड़ने के लिए राजी नहीं था. मुझे ज़बरदस्ती उसका मुंह हटाना पड़ा तो वो बोला “मेरी जान पहले तुम भी अपने सारे कपड़े निकालो!”

“क्यूँ नहीं जानू मैं भी निकालती हूँ तभी तो असली मज़ा आएगा..!”

मैंने जवाब दिया और अपने बदन से गाउन और ब्रा, पेंटी निकाल कर एक तरफ़ रख दी.इसी बीच वीनू अपने कपड़े खोल चुका था. वोह अपना लण्ड हाथ में लेकर मेरे मुंह की तरफ़ बड़ा. उसके लण्ड की शेप बड़ी अजीब थी. उसके लण्ड का रंग बिल्कुल स्याह काला था और लम्बाई करीब छः इंच थी लेकिन मोटाई काफी ज्यादा थी करीब तीन इंच मोटा था. Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मैं उसके लण्ड की बनावट देखते ही सोचने लगी कि ये तो मेरी भारी चूतड़ के लिए बिल्कुल फिट रहेगा. ये सोचते हुए मैं उसका मोटा लण्ड अपने हाथ में ले सहलाने लगी..

ट्रेन में अपने कम्पार्टमेंट में 2 दमदार लौड़े लेने जा रही हूँ पर आज मुझे अपनी ये भूख देखके लग रहा है कि सिर्फ 2 से काम नहीं चलने वाला.. इन hindi train sex stories का धमाकेदार लास्ट पार्ट..

मैंने जवाब दिया और अपने बदन से गाउन और ब्रा, पेंटी निकाल कर एक तरफ़ रख दी.इसी बीच वीनू अपने कपड़े खोल चुका था. वोह अपना लण्ड हाथ में लेकर मेरे मुंह की तरफ़ बड़ा. उसके लण्ड की शेप बड़ी अजीब थी. उसके लण्ड का रंग बिल्कुल स्याह काला था और लम्बाई करीब छः इंच थी लेकिन मोटाई काफी ज्यादा थी करीब तीन इंच मोटा था.

मैं उसके लण्ड की बनावट देखते ही सोचने लगी कि ये तो मेरी भारी चूतड़ के लिए बिल्कुल फिट रहेगा. ये सोचते हुए मैं उसका मोटा लण्ड अपने हाथ में ले सहलाने लगी.. Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

लेकिन मोटाई इतनी ज्यादा थी कि मेरे हाथ में आ रहा था. मुझे लण्ड सहलाने में मज़ा आ रहा था इसी बीच में मनु ने भी अपने कपड़े खोल दिए और मेरे पास आ कर मुझे लण्ड सहलाते हुए देखने लगा. मैंने वीनू का लण्ड एक हाथ में और मनु का लण्ड दूसरे हाथ में ले थाम लिया. उसका लण्ड मेरी उम्मीद से ज्यादा लंबा था. करीब सात इंच लंबा और दो इंच मोटा बिल्कुल गोरा बहुत खूबसूरत लौड़ा था मनु का. मैंने ज़ल्दी से ट्रेन की सीट पर अधलेटते हुए मनु का लण्ड अपने उरोजों के बीच दबा लिया. उधर वीनू मेरी टांगों के बीच में बैठकर मेरी चूत चाटने लगा.उसने मेरी चूत में अपने पूरी जीभ डाल दी. अचानक जीभ अन्दर डालने से मेरी सिसकारी निकल गई. “आह..औ..आ..ह.ह..मेरे..पहलवान…मज़ा आ गया…ऐसे ही चोदो

आ.ह..आ.अ..हह..मुझे..जीभ सी…से.मेरी

दाना….रगड़ो..उधर…हाँ…ऐसे..ही…करते..रहो…शाबाश…वीनू..वाह….” मैं मस्त होने लगी थी.

मैंने फ़िर एक बार मनु का पूरा लण्ड अपनी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच दबाकर अन्दर बाहर करते हुए अपनी चूचियों की चुदाई करवाने लगी. वीनू अपनी खुरदरी जीभ से मेरी चिकनी चूत चाट रहा था और ट्रेन अपनी फुल स्पीड पर चल रही थी. Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मिली जुली आवाजें आ रहीं थीं

“धडके..धडके..खटाके..ख़त..चड़प..चाप..औयो..औ..थाधके…….” मनु के मुंह से भी आवाजें आने लगीं थीं.

“आह…ये…या.इस …वाह…मेरी…जान…चूस…चूसले..ले…और अन्दर…और आदर ले…भोसड़ी…की..और जोर..से..ले..और ले..ले…वाह…” अब उसने मेरी चूचियों में धक्के मौसी रना चालू कर दिया था. मुझे लगा कि उसे मज़ा आ रहा है तो कुछ देर और करने देती हूँ क्यूँकि उधर मुझे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था. लेकिन अचानक मनु ने मेरी चूचियों पर धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ पकड़कर अपना

पूरा लण्ड उनमें धांसकर अन्दर बाहर करते हुए ज़ोर से चिल्लाने लगा “आ…..ह….

.ह….आ…ले…कॉम…ओं…नं….मेरी…जान…ले..ले…पूरा….ले..मौसी…..चोद….ले….” अचानक पिचकारी चल गई. मैं समझ गई एक तो बिना चूत का स्वाद चखे ही चल बसा. झड़ने के बाद उसने अपने लण्ड बाहर निकाल लिया और हंसने लगा. उधर शायद वीनू भी चूत चूस चूस कर थक गया था इसलिए वो भी उठ कर खड़ा हो गया और मेरे मुंह के पास लण्ड ला कर बोला “प्लीज़ जान मेरा भी अपनी बड़ी बड़ी चूचियों में दबाओ न..” मैंने हँसते हुए उससे कहा “तुम दोनों अगर बिना चोदे ही उलटी करके चले जाओगे तो मैं क्या करूंगी..”

“नहीं मेरी जान, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी डालूँगा चिंता मत करो.” वीनू ने जवाब दिया.

मैंने वीनू का लण्ड अपनी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच दबाकर अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. थोडी देर तक लण्ड अन्दर बाहर केर्ने के बाद उसने अपना लण्ड निकाल लिया और मुझसे बोला. “चल..मेरी रानी..अब..कुतिया..बन जा…आज तेरी चूत का बाजा बजाऊंगा.” मैंने फ़ौरन उसका आदेश माना और उलटी हो कर चूत को उसकी तरफ़ कर दिया. उसने भी आसन लगा कर मेरी चूत की छेद पर लण्ड लगाया और एक केरारा धक्का दिया.

” आ.इ.ई.गई….आ..आ गया…आ.गया..मेरे राजा..पूरा..अन्दर..आ..गया..” मैं चिल्लाने लगी.

हमारी चुदाई चालू हो गई थी और उधर इस बीच मनु ने ज़ल्दी ज़ल्दी अपने कपड़े पहन लिए थे. जब मैंने मनु को कपड़े पहने हुए देखा तो चुदवाते हुए ही बोली Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

“क्या..आ.अ.हुआ..मनु…तुम..नहीं..आ.आ..हह..डालोगे…क्या..आ..हह…एक…ही..बार…में…ठंडा..पड़.आ.ह.. ह..गया…क्या ?”

मनु ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुझे चोद रहे वीनू के कान में आ कर कुछ बोला और कूपे से बाहर निकल गया. मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैंने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और ट्रेन के हिलने की गति के साथ ही हिल हिल कर लण्ड लेने लगी. अब वीनू की धक्को की स्पीड बढ़ने लगी थी और ट्रेन के हिलने की वजह से मुझे भी दोगुना मज़ा आ रहा था.

वीनू अब बड़बड़ाने लगा “या..ले…मेरी….जान..ले… पूरा…ले…..ले…

मेरा..लण्ड..तेरी…चूत फाड़ डालूँगा…बहन…चोद…ले..”

मुझे भी उसकी बातें सुन सुन आकर जोश आने लगा था इसलिए मैं भी बोलने लगी,”चल..और…ज़ोर..से..दे…

हाँ..कर…मेरे..राजा.. कर..ले… च.चल..अगर..तेरे..लण्ड..में..दम..है ..तो..

मेरी..भारी चूतड़…में..डाल.. डाल..न..गांडू…भारी चूतड़..में…डाल…” मेरी बात सुन कर उसने चूत में से अपना लण्ड निकाल लिया और मेरे गाण्ड के छेद पर लगाने लगा. मैंने भी अपनी पोज़िशन ठीक की और भारी चूतड़ का छेद ऊपर की तरफ़ निकाल कर झुक गई और बोली “चल.. आ.जा.ज़ल्दी….. डाल..दे… भारी चूतड़…में… धीरे….धीरे.डालना…”

वीनू ने भारी चूतड़ के छेद पर निशाना लगाया और एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया लेकिन उसका लण्ड मेरी चूत के पानी से चिकेना हो रहा था इसलिए फिसल गया और नीचे चला गया. उसने दुबारा कोशिश की और इस बार पहले से भी ज़ोर से धक्का लगाया. इस बार लण्ड ने भारी चूतड़ की पटरी पकड़ ली और मेरी भारी चूतड़ को चीरता हुआ अन्दर चला गया.

और मेरी जैसी चुदक्कड़ औरत की भी चीख निकल गई “आ….अ.अ.. आ..ईई. ई.ई.इ.ई. मार डाला मौसी दरचोद…

ऐसे…डालते..हैं..क्या.. फाड़ डाली..मेरी..भारी चूतड़.. गांडू… मुझे एक बार थोड़ा Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मरवानी है… आ..ई.ई.ई…” लेकिन उसने मुझे पीछे से पकड़ रखा था इसलिए मैं उसका लण्ड निकाल नहीं पायी और उसने धक्के लगाने चालू कर दिए. वाकई उसका लण्ड गज़ब का मोटा था मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी और धक्का लगाना चालू रखा. आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी दर्द कम हुआ और मज़ा आने लगा. अब मैंने नीचे से हाथ डाल कर अपनी चूत को मसलना चालू कर दिया था.

मेरी इच्छा हो रही थी की मेरी चूत में भी कोई चीज डाल लूँ लेकिन वो मनु का बच्चा तो खेल बीच में ही छोड़ कर चला गया था. तभी अचानक कूपे का दरवाजा खुला और तीन आदमी एक साथ अन्दर आ गए. ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी हुई थी. अचानक उन लोगों के अन्दर आने से मैं चौंक गई और जल्दी से अलग होकर अपने कपड़े उठा कर अपना बदन छुपाने की कोशिश करने लगी. उन तीन लोगों के अन्दर आते ही वीनू ज़ोर से चहके कर बोला “आओ बॉस !! मैं आप लोगों का ही इंतज़ार कर रहा था. उसने ज़ल्दी से कूपे का दरवाजा अन्दर से लॉके कर लिया और मेरी तरफ़ मुड कर बोला ” चिंता मत करो मैडम ये लोग भी अपने दोस्त हैं, अभी तुम्हारी इच्छा चूत में कुछ डलवाने की हो रही थी ना इसलिए इन लोगों को बुलवाया है. चलो शुरू करते हैं.”

मुझे इस तरह से उन लोगों का अन्दर आना अच्छा नहीं लगा. मैंने नाराज होते हुए कहा

“चुप रहो तुम !! मुझे क्या तुम लोगों ने रंडी समझ रखा है. जो भी आएगा मैं उससे चुदवा लूंगी. तुम लोग अभी मेरे कूपे से बाहर चले जाओ नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.”

मेरे इस तरह नाराज होने से वो लोग डर गए और मुझे मनाते हुए वीनू ने कहा ” नहीं मैडम ऐसा नहीं है अगर आप नहीं चाहोगी तो कुछ भी नहीं करेंगे.” Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

जो लोग अभी अभी अन्दर आए थे उनमें से एक ने कहा “नहीं मैडम हमें तो मनोज ने भेजा था अगर आप को बुरा लगता है तो हम लोग बाहर चले जाते हैं. प्लीज़ आप शोर मत मचाना हमारी नौकरी चली जायेगी.”

इस तरह वो चारों ही मुझे मनाने में लग गए. मन ही मन मेरे अन्दर की चुदक्कड़ औरत सोचने लगी कि अब इन लोगों ने मुझे नंगा तो देख ही लिया है और अभी तक अपना काम भी नहीं हुआ है. सुबह तो ट्रेन से

उतर कर चले ही जाना है फ़िर ये बेचारे शरीफ़ लोग लगते हैं और कौन सा कभी दुबारा मिलने वाले हैं. चलो आज आज तो चुदाई का मजा ले ही लिया जाए. फ़िर पता नहीं केब इतने लंडों की बारात मिले. ये सोच कर मैंने उनको डराते हुए कहा “ठीक है मैं तुम लोगों को केवल आधा घंटे का समय देती हूँ तुम लोग जल्दी जल्दी अपना काम करो और यहाँ से निकल जाओ और अब कोई और इस कूपे में नहीं आना चाहिए.”

वो चारों खुश हो गए और “जी मैडम ! जी मैडम” करने लगे. वीनू ने उन लोगों से कहा कि चलो अब मैडम का मूड दुबारा से बनाना पड़ेगा तुम लोग आगे आ जाओ”.

वो चारों मेरे करीब आ गए और दो लोगों ने मेरी एक एक बड़ी बड़ी चूचियाँ हाथों में थाम दबाना शुरू कर दिया और एक जना नीचे बैठ कर मेरी चूत में जीभ डालने लगा. वीनू ने अपना लण्ड जो अब कुछ ढीला हो गया था उसे मेरे मुंह में डाल दिया. अभी उसका लण्ड पूरा टाइट नहीं हुआ

था इसलिए मेरे मुंह आराम से आ गया और मैं फिर से उसका लण्ड चूसने लगी. थोड़ी ही देर में मेरी आग फिर भड़के गई और मैं फ़िर से उसी मूड में आ गई. मैंने वीनू का लण्ड तैयार करते हुए उससे कहा,”चलो वीनू तुम अपना अधूरा काम पूरा करो !”

मेरी बात सुनते ही वीनू हँसते हुए मेरे पीछे आ गया और बोला “क्यों नहीं मैडम अभी लो !!”

अब सब लोगों ने अपनी अपनी पोज़िशन ले ली. मै डौगी स्टाईल में झुक गई एक जन मेरे नीचे था मैंने अपनी भारी चूतड़ नीचे झुकाते हुए उसका लण्ड अपनी चूत में डाल लिया और पीछे से वीनू ने अपना लण्ड मेरी भारी चूतड़ में डाल दिया. मेरे मुंह के पास दो लोग अपने लण्ड निकाल कर खड़े हो गए. इस पोज़िशन में आने के बाद घमौसी सान चुदाई चालू हो गई. अपने सभी छेदों में लण्ड डलवाने के बाद मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और मेरे मुंह से फिर ना जाने क्या क्या निकल ने लगा. “आ..आ.ई.. आबी..अबे..हरामी… वीनू…ज़ोर…से. स.ऐ.ऐ.ऐ कर फाड़ दे दे.दे. आ..ऐ.ऐ.एई.. मेरी…गा..गा..न्ड. चलो चोदो…मुझे. हराम…के..पिल्लों .. चोदो मुझे…फाड़…दो.. मेरी..चूत भी…बहुत आग..है..इसमे……”

मैं ना जाने क्या क्या बोल रही थी और मेरी बातों से वो लोग और भड़के रहे थे. अचानक वीनू ने मेरी भारी चूतड़ में से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में लण्ड डाल कर खड़े आदमी से बोला “चल अब तू आ जा बे तू डाल अब भारी चूतड़ में मैं तो झड़ने वाला हूँ.” Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

ये बोलता हुए वीनू मेरे मुंह के पास लण्ड लाता हुए बोला “ले मेरी जान मेरा रस पी ले मजा आ जाएगा.” मैं भी यही चाहती थी इसलिए फ़ौरन उसका लण्ड अपने मुंह में ले लिया. वीनू ने दो चार धक्कों में ही अपना रस मेरे मुंह में उलट दिया.उधर जिसने मेरी चूत में अपना लण्ड डाल रखा था उसने भी नीचे से धक्के बढ़ा दिए और जल्दी ही मेरी चूत में उसके वीर्य की बाढ़ आ गई. अब दो लोग बचे थे और मेरी चूत की

आग अभी भी नहीं बुझी थी लेकिन मैं डोगी ढंग में खड़े खड़े थक गई थी इसलिए मैं सीट पर पीठ के बल लेट गई और उन बचे हुए दो लोगों से कहा” चलो अब तुम दोनों मेरी चूत में बारी बारी से अपना पानी डाल कर चलते बनो.”

पहले एक ने मेरी चूत में लण्ड डाल कर हिलाना शुरू किया. मुझे पूरा मजा जा आ रहा था. यूँ तो मैं अब तक चार पाँच बार झड़ चुकी थी लेकिन चूत में लण्ड डलवाने से होने वाली तृप्ति अभी तक नहीं हुई थी इसलिए मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और नीचे लेटे लेटे ही अपने चूतड़ उछाल उछाल कर लण्ड अन्दर लेने लगी. “आ..हा. हा.अ.अ.अ. आ.जा.. आ.जा.और अन्दर… आ.जा.चोद.. हरामी…ज़ोर..से.. चोद…आ.ह, आ,आ,,जा,” Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

मैं झड़ने ही वाली थी कि उससे पहले वो हरामी अपना पानी छोड़ बैठा.

मेरी चूत उसके गरम गरम पानी से भीग गई और मेरा जगन दो गुना हो गया था और मैं सोच रही थी की ये पाँच दस धक्के और मार दे तो मैं भी झड़ जाऊं. लेकिन वो ढीला लण्ड था और उसने झड़ते ही अपना लण्ड बाहर निकाल लिया. मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया और

मैं बोली “क्या..हुआ…मौसी दरचोद…चोदा..नहीं..जाता..तो लण्ड..खड़ा..करके क्यूँ आ जाते हो..चल अब तू आ जा जल्दी से चोद.”

जो आखड़ी बचा हुआ था वो मेरी गाली सुनकर भड़के गया और झपट्टा मौसी रकर मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ हाथों में दबोच अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत पर लण्ड टिकाते हुए बोला ”

ले..बहन..की..लौड़ी..अभी..तेर.चूत का भोसड़ा बनाता हूँ. अगर आज तेरी चूत नहीं फाड़ी तो मेरा नाम भी पंवार नहीं.” उसने जैसे ही अपना लण्ड मेरी चूत में डाला वैसे ही मैं समझ गई कि ये वास्तव में खिलाड़ी है. उसका लण्ड काफी मोटा और केड़के था. और फ़िर उसने बहुत तेज तेज पेलना शुरू कर दिया. मैं तो पहले ही झड़ने के करीब थी इसलिए उसका लण्ड आराम से झेल गई और चिल्लाते हुए झड़ने लगी,” हाँ..ये..बात… शाबाश…तू..ही…मर्द र्द..है..रे..फाड़..डाल…तेरे…बाप..का मौसी ल.है..और जोर..से..मैं..आ.. रही..हूँ.. मेरे..राजा… ले..मैं..आ.अ.अ. अ.अ.एई ….आ.ई.इ.इ. अ.ऐ.इ.”

और मैं झड़ गई. लेकिन उसने मेरी चूत की चुदाई बंद नहीं की और उल्टा उसके धक्के बढ़ते चले जा रहे थे. अब मेरी नस नस में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदे जा रहा था. करीब आधे घंटे बाद वो अपने चरम पर आ गया और बड़बड़ाने लगा “ले…मेरी जान..अब तैयार हो जा तेरी चूत की प्यास ऐसी बुझेगी ..कि तू भी याद करेगी..”

उसके बात सुनते ही मैंने सोचा कि ऐसे लण्ड का पानी तो चूत में लेना ही चाहिए. ये सोच कर मैंने उससे कहा, Train me akeli rail Antarvasna ki asli kahani

” तो आ मेरे राजा मेरे चूत में डाल दे अपने लण्ड का पानी….”

शायद उसकी भी इच्छा ये ही थी इसलिए मेरी बात सुन थोडी ही देर में उसने अपने लण्ड से दही जैसा गाढ़ा वीर्य चूत में डाल मेरी चूत की प्यास बुझा दी।

———-समाप्त———-

बहुत समय बीत गया पर वो रेल यात्रा और वो hindi train sex stories मुझे आज तक याद है. उम्मीद करती हूँ कि वो सुख मुझे फिर मिले..

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